धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहे जंगली सुअर

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहे जंगली सुअरधान की फसल, जंगली सुअर, छुट्टा जानवर

सरावां (रायबरेली)। नीलगाय और छुट्टा जानवरों के आतंक के साथ अब जंगली सुअरों का डर भी बढ़ गया है। ये झुंड में आकर रातोंरात किसानों की पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं, इस समय किसान धान लगा रहे हैं और ये सुअर धान के खेतों की मेड़ तोड़ देते हैं।

 

रायबरेली जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी दूर हरचंदपुर ब्लॉक के सरावां गाँव के किसान जितेन्द्र कुमार (45 वर्ष) ने एक हफ्ते पहले दो बीघा खेत में धान लगाया था। 

दूसरी रात को ही जंगली सुअरों ने पूरा खेत बर्बाद कर दिया। जितेन्द्र कुमार बताते हैं, “धान में पानी न लगाए तब भी नुकसान है, क्योंकि पानी न होने की वजह से धान के पौधे सूख जाएंगे और उसमें अनेक प्रकार के रोग लगेंगे। लेकिन अगर खेत में पानी भरा रहेगा तो सुअर खेत खराब कर देंगे।”

जंगली सुअर के होने के कारण यहां के किसान खेती करने मे असफल हो रहे हैं, पिछले कुछ वर्षों में सुअरों का कुनबा तेजी से बढ़ा है। धान ही आलू, गन्ना, और केला की फसल को भी ये नुकसान पहुंचाते हैं। हजारों की लागत लगा कर किसान खेती करते हैं, लेकिन उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।

सरावां गाँव के ही किसान रामशंकर (50 वर्ष) बताते हैं, “इस बार मैंने भी दो बीघा खेत में धान लगवाने के लिए पानी किराए पर भरा था। लेकिन धान लगवाने से पहले ही सुअर ने हमारे खेत की मेड़ को गिरा दिया जिससे उनका काफी नुकसान हुआ। वो आगे कहते हैं, “हमने रात में जागकर पानी भरा था और उसकी मेड़ को दो दिनों में बांधा था, लेकिन सुअर ने रोपाई से पहले ही हमारी सारी मेहनत को बेकार कर दिया।” 

किसानों ने इनसे बचाव के लिए अपने खेत में लोहे के कटीले तार की चाहरदिवारी बनाई है। उन्हें भी तोड़कर वो खेतों में घुस जाते हैं, कई बार तो किसानों पर हमला भी कर देते हैं। 

गाँव के हरीशंकर (40 वर्ष) बताते हैं, “मैंने खेत के चारों ओर तार बांध दिया है, लेकिन फिर भी सुअर घुस आते हैं। कई बार भगाने पर वो जानलेवा हमला भी कर देते हैं। इससे लोगों को और भी नुकसान उठाना पड़ता है।”

स्वयं वालेंटियर: सत्येनद्र कुमार चौधरी

स्कूल: बाल विद्या मंदिर इण्टर कॉलेज

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.