गोरखपुर की सड़कों पर ग्राम रोजगार सेवकों ने मांगी भीख ,छ: दिन से सैकड़ों लोग कर रहे हैं उपवास

दीपावली से पहले मानदेय भुगतान के लिए उपवास पर हैं ग्राम रोजगार सेवक पूजा ,अर्चना और मुख्यमंत्री के बुद्धि शुद्धि के लिए कर रहे हवन।मौके पर अब तक नहीं पंहुचा कोई जिम्मेदार अधिकारी

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   15 Oct 2018 8:48 AM GMT

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गोरखपुर की सड़कों पर ग्राम रोजगार सेवकों ने मांगी भीख  ,छ: दिन से सैकड़ों लोग कर रहे हैं उपवासगोरखपुर में धरना प्रदर्शन करते रोजगार सेवक

पिछले दो साल से मानदेय भुगतान की लड़ाई लड़ रहे ग्राम रोजगार सेवक पिछले 6 दिनों से मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में नगर निगम पार्क में उपवास ,मुख्यमंत्री की बुद्धि की शुद्धि के लिए हवन और पूजा पाठ कर रहे है। आज सैकड़ो की संख्या में ग्राम रोजगार सेवकों ने गोरखपुर की सड़कों पर भींख मांगी और भींख में मिलें 307 रूपये को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाने की घोषणा की। दीपावली के पहले रोजगार सेवक बकाया मानदेय के भुगतान सहित 8 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई जिम्मेदार अधिकारी /जनप्रतिनिधि मौके पर नहीं पंहुचा है।वहीँ प्रदेश के अन्य जनपदों से भी ग्राम रोजगार सेवक भारी संख्या में गोरखपुर पंहुच रहें हैं।

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दो साल से नहीं मनाया कोई त्यौहार,मानदेय नहीं मिला तो अबकी भी फीकी रहेगी दीवाली

गोरखपुर के जिलाध्यक्ष निखिल कुमार सिंह ने बताया कि "उत्तर प्रदेश के लगभग 38 हजार रोजगार सेवकों का मानदेय 2016-17,2017-18 का 225 करोड़ बकाया था। जिसमे से सरकार द्वारा 100 करोड़ रूपये की राशि मानदेय के लिए स्वीकृत किया गया था। यह पैसा जिलें पर आ गया है, लेकिन अभी तक रोजगार सेवकों को भुगतान नहीं किया है। दो साल से ग्राम रोजगार सेवको के निष्ठा से अपना काम करने के बाद भी गरीबी और जिल्लत झेल रहे हैं। अन्य सरकारी अधिकारीयों की तरह हमें सुविधाए नही मिलती पर जो न्यूनतम वेतन सरकार ने निर्धारित किया है वो तो समय से मिलना चाहिए। छ: दिन से सैकड़ों की संख्या में रोजगार सेवक उपवास ,भिक्षाटन और प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से अभी कोई पहल नही की गयी है। आज हम लोग काली पट्टी बांधकर गोरखपुर की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।"

रोजगार संघ के आज़मगढ़ जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह ने बताया कि जब तक मुख्यमंत्री से बात नहीं होती रोजगार सेवकों की समस्या का समाधान नहीं हो पायेगा। हर बार प्रदर्शन हुआ संघर्ष किया गया, लेकिन रोजगार सेवकों की समस्या का आज तक कोई निदान नही हो पाया। प्रदेश के रोजगार सेवकों को भाजपा नेताओं द्वारा लिखित और खुले मंच से सरकार बनने से पहले वादा किया गया था कि सरकार बनने के बाद रोजगार सेवकों की सभी समस्याओ का त्वरित निदान किया जायेगा।लेकिन अभी तक एक भी समस्या का समाधान नही हुआ। जब तक प्रदेश के मुखिया से बात नहीं होगी ,ये दिक्कते ख़त्म नहीं होंगी।

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प्रदेश में सत्ता बदलती रही पर रोजगार सेवकों की हालत में नहीं आया कोई सुधार

पिछलें 12 वर्षो से बतौर ग्राम रोजगार सेवक कार्य कर रहे बनारस के मनोज पाठक बताते है कि 2 दिसम्बर 2010 को लखनऊ में धरना स्थल पर प्रदेश भर से ग्राम रोजगार सेवक अपनी मांगो को लेकर आंदोलित हुए थे। उस समय में प्रदेश में बसपा और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। जिसमें बर्बरता से रोजगार सेवकों पर लाठीचार्ज किया गया। और भगदड़ के दौरान रामपुर जिला से आये रोजगार सेवक सहदेव कुमार की गोमती में डूबने से मौत हो गयी थी।और ढेढ़ सौ से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे।

इस आन्दोलन के दौरान उस समय रोजगार सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रहें इलाहाबाद के शिव मनोरथ शुक्ला बताते है,कि रोजगार सेवकों के नियमतिकरण ,मानदेय वृद्धि सहित अन्य मांगो को लेकर लखनऊ में प्रदर्शन किया गया था। जिसमें मेरे सहित 56 लोगों पर 17 आपराधिक मुकदमें दर्ज किये गये और तत्कालीन बसपा सरकार ने 5 दिनों के लिए हम लोगों को मोहनलालगंज जेल भेज दिया था। उस समय कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी ने मोहनलालगंज जेल के बाहर 7 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया,जिसके बाद सरकार ने रोजगार सेवकों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लेते हुए हम लोगों को रिहा कर दिया था। बीते 8 सालों में रोजगार सेवकों की स्तिथि और बदतर हुई है। रोजगार सेवकों की मेहनत और ग्राम पंचायतो के विकास में उनकी भूमिका को देखते हुए सरकार को एक्शन लेना चाहिए था। पर दुर्भाग्य से अभी तक ऐसा नहीं हो पाया और ग्राम रोजगार सेवक निराश हो रहें हैं। संगठन की बैठक में ये निर्णय हुआ हैं कि एक नवम्बर को सभी रोजगार सेवक जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे और 15 नंवबर से लखनऊ में आन्दोलन किया जायेगा।

रोजगार सेवकों की समस्याए न अधिकारी देखना चाहते है न सरकार

गोरखपुर में प्रदर्शन में शामिल ,रायबरेली से आये रोजगार सेवक कृष्ण शंकर दीक्षित बताते है, कि ग्राम पंचायत स्तर पर तीन हजार मानव दिवस सृजित न होने पर रोजगार सेवकों को निकालने का सरकारी फरमान तो जारी कर दिया गया। लेकिन न सरकार और न ही अधिकारी ये जानना जरुरी नहीं समझते की आखिर क्यों पंचायत स्तर पर तीन हजार मानव दिवस सृजित नहीं हो पा रहे हैं। ग्राम पंचायत की अधिकांश सरकारी जमींन पर गाँव वालों का कब्ज़ा हैं। प्रधान वोट बैंक के चलते इन कब्जो को हटाना नहीं चाहते। वहां कोई कार्य कैसे कराया जाय। अब तक मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश जिसमे मनरेगा से चौदहवे वित्त आयोग के डबटेलिंग की बात कही गयी थी।वो भी अभी तक लागु नहीं किया गया। कारण ये है की मनरेगा योजना पूर्ण रूप से पारदर्शी हैं और इसका सोशल आडिट भी होता हैं।और अन्य विभागों में कमीशन का खेल हैं जिसके चलते ये जमीनी स्तर पर लागू नही हो पा रहा।

कभी स्पॉट नही मिलता कभी मजदूर .

गोरखपुर के रोजगार सेवक निखिल ने बताया की मानव दिवस का सृजन में अकेले रोजगार सेवक की भूमिका नही होती,इसमें ग्राम प्रधान ,तकनीकी सहायक और पंचायत सचिव की भी भूमिका होती है। इन सब की भी जांच और इनपर भी कार्यवाही होनी चाहिए। लेकिन नोटिस सिर्फ रोजगार सेवकों को दी जा रही है। गोरखपुर के ब्रह्मपुरी ब्लाक में खंड विकास अधिकारी ने रोजगार सेवकों के लिए तीन हजार मानव दिवस सृजित न होने पर कार्यवाही की नोटिस टाइप करवा दी। रोजगार सेवक दौड़- भाग करके प्रस्ताव तैयार करे तो उसे सम्बंधित अधिकारीयों और प्रधान का सहयोग नहीं मिलता,प्रस्ताव पास होने के बाद 175 रूपये की मजदूरी पर गाँव में मजदूर ढूढ़े नहीं मिलते।क्योकि बाहर ढाई सौ से तीन सौ रूपये मजदूरी चल रही है और शाम को पैसा मिल जाता है और यहाँ काम करने के बाद 6-6 महीने तक मजदूरों को भुगतान नहीं मिला पाता। ऐसे में मजदूर मनरेगा में काम करने से कतराते हैं।


इन मांगों को लेकर आंदोलित हो रहे है यूपी के ग्राम रोजगार सेवक ...

1-मनरेगा योजना लागू होने के उपरान्त नवसृजित व् सीमा विस्तार वाली नगर निकायों में शामिल हो चुके ग्राम पंचायत के ग्राम रोजगार सेवकों की रिक्त पंचायतों में ग्राम रोजगार सेवक के पद पर समायोजित किया जाये

2-ग्राम रोजगार सेवकों को ग्राम पंचायतों से नियंत्रण मुक्त करकें फर्जी प्रस्ताव के आधार पर पद से हटाए गये रोजगार सेवकों को बहाल किया जाये तथा पारदर्शिता युक्त कार्य के लिए ग्राम रोजगार सेवकों को एक पंचायत से दूसरी पंचायत में स्थान्तरित किया जाए

3-ग्राम रोजगार सेवकों के नियमित मासिक मानदेय के भुगतान हेतु प्रासंगिक मद पर आधारित मानदेय की व्यवस्था को समाप्त करके राज्य सरकार द्वारा "पृथक बज़ट "की व्यवस्था का प्रावधान किया जाए और महंगाई में हुई भारी वृद्धि के दृष्टिगत भारत सरकार के श्रम व् रोजगार मंत्रालय अधिसूचना नई दिल्ली 28 अगस्त 2017 के अनुसार न्यूनतम मानदेय 24000 किया जाए

4- ग्राम रोजगार सेवकों के जॉब कार्ड में मनरेगा के अतिरिक्त अन्य कार्यों को जोड़कर ग्राम विकास सहायक /सहसचिव का दर्जा दिया जाए।

5-प्रदेश के समस्त ग्राम रोजगार सेवकों को कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ देने के साथ स्वास्थ्य ,दैवीय आपदा ,एवं दुर्घटना से बचाव हेतु बीमा का लाभ दिया जाए

6-प्रदेश के समस्त रोजगार सेवकों का वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017 -18 के प्रारंभ से अब तक लंबित बकाया मानदेय का तत्काल भुगतान कराया जाय

7-राज्य वित्त आयोग,चौदहवा वित्त आयोग को मनरेगा से अभिसारित करने हेतु मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शाशन द्वारा जारी किये गये शाशनादेश दिनांक 16 मई 2017 को सभी ग्राम पंचायतो में लागू कराया जाये

8-ग्राम पंचायत अधिकारी /ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती में 12 वर्षो के अनुभव के आधार पर वरीयता दी जाएँ

दीपावली से पहले हो जायेगा रोजगार सेवकों का भुगतान

गोरखपुर के मुख्य विकास अधिकारी अनुज कुमार सिंह ने बताया कि धरना -प्रदर्शन की जानकारी है।जो मानदेय के लिए धनराशि सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी थी उसका पत्र अभी कल ही प्राप्त हुआ हैं। दीपावली के पहले रोजगार सेवकों के खाते में भुगतान कर दिया जायेगा। साथ ही मनरेगा को अन्य विभागों से भी जोड़ा जायेगा ताकि ज्यादा मानव दिवस का सृजन हो सके।बहुत से ग्राम रोजगार सेवक अच्छा कार्य कर रहें हैं,और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग कर रहे हैं पर कुछ रोजगार सेवक सही कार्य नहीं कर रहें उन्ही के भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं। मनरेगा में रोजगार सेवकों का भुगतान कंटीजेंसी पर आधारित होता हैं इनका मानदेय कार्य पर निर्धारित होता है। अब जब गाँव में ग्राम रोजगार सेवक रोजगार सृजन ही नहीं करेंगे तो उन्हें भुगतान कैसे किया जायेगा।बहुत से राज्यों में तीन ग्राम पंचायत पर एक रोजगार सेवक हैं वो मेहनत कर रहे हैं और रोजगार सृजन कर रहे है। उनकी हालत यहाँ से अच्छी है।हम लोग अधिक मानव दिवस सृजन के लिए आईडब्ल्यूएम्पी ,पीडब्ल्यूडी ,ग्राम्य विकास विभाग में आवास का काम भी रोजगार सेवकों को दे रहें हैं। वो भी इनकी कांटिजेंसी में जुड़ रहा हैं। इसके अलावा वन विभाग से वृक्षारोपड़ का कार्य हुआ जिसमें गोरखपुर में 8 लाख पौधे लगाये गये उनसे भी रोजगार सृजन हुआ। हम लोग कन्वरजन माडल की तरफ बढ़ रहे है और इसके लिए रोजगार सेवकों को भी एक्टिवेट होना पड़ेगा। इसमें जी ओ भी आ गया है, कि एक साल में अगर किसी पंचायत में 3 हजार से कम मानव दिवस का सृजन हुआ तो वहां रोजगार सेवक को हटाने का भी निर्देश है जिसके लिए सम्बंधित अधिकारीयों को निर्देश दिया गया है की दो -तीन बार नोटिस देकर उन्हें हटाने को कहा गया हैं।

रोजगार सेवकों की मांग पर सरकार ने कार्यवाही की हैं :महेंद्र सिंह

ग्राम्य विकास विभाग के राज्यमंत्री डॉ महेंद्र सिंह का कहना है कि रोजगार सेवकों के धरना प्रदर्शन के बारें में मुझे जानकारी नहीं मिली है। अभी तक सरकार ने इनकी सभी मांगो इनके पक्ष को गंभीरता से लिया है। इनकी जो भी जायज मांगे थी वो पूरी की गयी है।रोजगार सेवकों की मांग को सुनकर सकारात्मक रूप से सरकार ने इनके मांग पर कार्यवाही की है। जिन सेवा शर्तो के अधीन ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्ति की गयी हैं ,उनके बारें में रोजगार सेवक भली प्रकार जानते हैं। इनके मानदेय भुगतान के लिए सरकार ने धन भी रिलीज किया है और ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि इन्हें समय से मानदेय का भुगतान होता रहे। मेरा इन लोगों से अनुरोध है कि लोग जो काम इन्हें दिया गया है धरना प्रदर्शन से हटकर अपना काम करते रहे और सरकार द्वारा जो भुगतान हो रहा हैं उसका लाभ प्राप्त करते रहे।


    

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