कानपुर बालिका संरक्षण गृह मामले ने क्यों पकड़ा था तूल?

कानपुर राजकीय बालिका गृह में कोरोना से संक्रमित 57 लड़कियों में से पांच गर्भवती हैं। राज्य महिला आयोग ने यूपी के सभी जिलाधिकारियों से 19 जून को आदेश जारी कर रिपोर्ट माँगी है।

Neetu SinghNeetu Singh   21 Jun 2020 6:32 PM GMT

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कानपुर बालिका संरक्षण गृह  मामले ने क्यों पकड़ा था तूल?

उत्तर प्रदेश में कोरोना का हॉटस्टॉप बना कानपुर शहर 21 जून को एकाएक सुर्खियों में आ गया क्योंकि शहर के एक राजकीय बालिका संरक्षण गृह में पाई जानी वाली 57 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव पाई गईं थीं, जिनमें से पांच लड़कियां गर्भवती हैं।

मीडिया में ये खबर आने के बाद हंगामा मच गया, कोरोना पॉजिटिव से बड़ा मामला लड़कियों के गर्भवती होने का था। कानपुर स्वरूपनगर में स्थित बालिका संरक्षण गृह में कुल 176 बालिकाएं इस समय मौजूद हैं, जिसमें 69 पॉक्सो मामले से सम्बन्धित पीड़िताएं हैं जो नाबालिग हैं। पॉक्सो मामले से समबंधित सात लड़कियाँ गर्भवती थीं। जिसमें से दो की डिलीवरी नौ और 15 जून को हो चुकी है।

कोरोना पॉजिटिव होने का मामला अलग दिशा में मुड़ता देख मंडलायुक्त और डीएम और पुलिस के अधिकारियों ने स्थिति को साफ करते हुए घटनाक्रम बताया। प्रशासन के मुताबिक कोरोना की जांच कराई गई थी, जिसके बाद ये रिपोर्ट आई है।

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा मांगी गयी प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से रिपोर्ट.

कानपुर नगर के जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "पिछले सप्ताह कोविड-19 की जांच के दौरान बालिका संरक्षण गृह में 57 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव पायी गयी हैं जिसमें पॉक्सो मामले से संबंधित 5 बालिकाएं गर्भवती थीं। सभी को कोविड-19 अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है और केंद्र को सील कर दिया गया है।"

उन्होंने आगे कहा कि "इस सम्वासिनी गृह में जितनी भी गर्भवती बालिकाएं हैं ये पॉक्सो मामले से समबंधित बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद, एटा, कानपुर नगर की बालिकाएं हैं। दो गर्भवती बालिकाओं की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आयी है।"

देशभर में कम उम्र (नाबालिग) बलात्कार का शिकार, मानव तस्करी से छुड़ाई गई लड़कियों के साथ ही प्रेम प्रसंग में भागी, सामाजिक और पारिवार से ठुकराई गई लड़कियों को राजकीय बालिका संरक्षण गृहों में रखा जाता है। पिछले कुछ वर्षों में बिहार के मुज्फ्फरपुर से लेकर यूपी के देवरिया तक में बालिका संरक्षण गृहों में बालिकाओं के जो यौन शोषण की खबरें आईं थी, वो काफी भयभीत और समाज को कलंकित करने वाली थीं। इसलिए इस मामले ने भी तूल पकड़ा हालांकि प्रशासन ने इस मामले में स्पष्टीकरण दिया।

कानपुर राजकीय बालिका संरक्षण गृह में 58 कोरोना संक्रमित मामले पाए गये थे, जिसमें एक स्टॉफ भी है। यूपी सरकार ने जून महीने में पूरे प्रदेश में सभी बालिका संरक्षण केंद्रों में कोविड जांच के आदेश दिए थे। कानपुर के संरक्षण गृह में पांच लड़कियों की पहली जांच 12 जून को हुई जिसमें चार की रिपोर्ट निगेटिव आयी थी।

उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के माध्यम से प्रदेशभर में 58 राजकीय संरक्षण गृह संचालित होते हैं, जबकि निजी संस्थाओं के जरिए 175 संरक्षण गृह चल रहे हैं। इनमें से कुछ संरक्षण गृह बंद भी हो चुके हैं। यूपी समेत देश के तमाम शहरों में संचालित महिला और बालिका गृहों में ज्यादातर वो लड़कियां रखी जाती हैं जो प्रेम प्रसंग में भागकर शादी करती हैं, लड़का दूसरी जाति का होने पर केस कोर्ट पहुंच जाता है, बलात्कार पीड़ित (जिन्हें घर वाले नहीं अपनाते) मानव तस्करी में छुड़ाई गई लड़कियां होती हैं। ये लड़कियां बाल कल्याण समिति के निर्देशन और गाइड लाइंस के अनुसार ऐसे सेंटर में रखी जाती हैं

जिलाधिकारी के अनुसार कोरोना पॉजिटिव गर्भवती बालिकाओं में से दो को हैलट अस्पताल में और तीन ट्रामा सेंटर के आईसीयू में भर्ती हैं।

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