'गाँव में कच्ची शराब बनना बंद हो तो नशा करने वालों की संख्या घटेगी'

"बीसों साल से यहाँ कच्ची शराब बन रही है पहले लोग कम मात्रा में गुड़ की बनाते थे। धीरे-धीरे इसकी मांग ज्यादा बढ़ी तो लोग इसका व्यापार करने लगे। अब गुड़, यूरिया और भी कई चीजें मिलाकर बनाते हैं। जब तक शराब गाँव में बनना बंद नहीं होगी तब तक नशा करने वालों की संख्या कम नहीं होगी।"

Neetu SinghNeetu Singh   31 Oct 2019 7:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
गाँव में कच्ची शराब बनना बंद हो तो नशा करने वालों की संख्या घटेगी

पिसावां (सीतापुर)। "पहले इस गाँव में खुलेआम कच्ची शराब बनती थी और अब पुलिस की दबिश के बाद चोरी छिपे बनती है। गाँव की बाजार में यूरिया और गुड़ की बनी शराब 20 रुपए पाउच में कोई भी खरीद सकता है।" ये बात हरद्वारी लाल विश्वकर्मा ने नशामुक्ति जागरुकता कार्यक्रम के दौरान कही।

हरद्वारी लाल विश्वकर्मा सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक के नेरी गाँव के रहने वाले हैं। इस गाँव में गाँव कनेक्शन फाउंडेशन और राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस) के साझा प्रयास से नशामुक्ति जागरुकता कार्यक्रम 14 अक्टूबर 2019 को किया गया। नुक्कड़ नाटक और जादूगर के माध्यम से ग्रामीणों को नशे के दुष्प्रभाव बताए गए। जब गाँव कनेक्शन फाउंडेशन की टीम ने कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों से जानना चाहा कि आखिर किन वजहों से यहाँ के लोग ज्यादा नशा करते हैं तो हरद्वारी लाल की तरह कई लोगों ने तमाम वजहें बताई।

ये भी पढ़ें-"जब पिता और बड़े भाई नशा करते हैं तो वो अपने बच्चों को कैसे रोक पाएंगे"

नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम में हिस्सा लेते ग्रामीण

"बीसों साल से यहाँ कच्ची शराब बन रही है। पहले लोग कम मात्रा में गुड़ की बनाते थे। धीरे-धीरे इसकी मांग ज्यादा बढ़ी तो लोग इसका व्यापार करने लगे। अब गुड़, यूरिया और भी कई चीजें मिलाकर बनाते हैं। जब तक ये गाँव में बनना बंद नहीं होगी तब तक नशा करने वालों की संख्या कम नहीं होगी।" हरद्वारी लाल (71 वर्ष) ने बताया, "गाँव में इसकी लत से कई लोग मर चुके हैं। पर इस जहरीली शराब को कोई मरने की वजह नहीं मानता। किसी के सर से पिता का साया उठा तो किसी के सर से पति का। इससे कई परिवार तबाह हो चुके हैं। मेरा बेटा खुद बहुत शराब पीता है वो तबतक पीता जबतक पीकर बेहोश होकर गिर नहीं जाता। अगर इस कार्यक्रम से जरिए इस गाँव में शराब बंदी हो जाये तो ये गाँव खुशहाल हो जायेगा।"

यूपी के 10 जिलों में 10-23 अक्टूबर 2019 तक चलने वाले इस नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम की कोशिश भी यही थी कि हम ऐसे गाँव को चिन्हित करके जागरूकता कार्यक्रम करें जहाँ पर कच्ची शराब बनती हो या फिर वहां के लोग नशा बहुत करते हों। नेरी गाँव उनमे से एक था। गाँव के रामपूजन (30 वर्ष) कहते हैं, "यहाँ लोग इतना ज्यादा नशा करते हैं कि उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से कोई मतलब नहीं। घर में खाने-पीने का ढंग से इंतजाम नहीं जिससे बच्चे बीमार रहते हैं। पहले शराब ठेका दूर होते थे शराब भी महंगी मिलती थी तो लोग कम पीते थे लेकिन अब तो 20 रुपए में कच्ची शराब गाँव से खरीदकर कोई भी पी लेता है।"

ये भी पढ़ें-पहले नशे के नुकसान को समझा फिर सैकड़ों लोगों ने इससे किया तौबा

उपजिलाधिकारी महोली शशिभूषण रॉय ने नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम की सराहना की.

इस कार्यक्रम में उपजिलाधिकारी महोली शशिभूषण रॉय ने कहा, "गाँव स्तर पर इस तरह के नशामुक्त जागरुकता कार्यक्रम करने से युवाओं में जागरूकता फैलेगी। आज का युवा नशा में बहुत ज्यादा लिप्त है उसे जागरूक करने की जरूरत है। मुझे भरोसा है अगर इस तरह के नशा मुक्त जागरूकता कार्यक्रम होते रहे तो निश्चित तौर पर एक दिन सीतापुर जिला आप सभी के प्रयासों से पूरी तरह से नशामुक्त हो जाएगा।"

इस नशामुक्ति कार्यक्रम से प्रेरित होकर नेरी गाँव के अमरीश कुमार (32 वर्ष) ने कहा, "मैं गुटका और बीड़ी का नशा करता हूँ लेकिन आज इस कार्यक्रम को देखने के बाद मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं आज से ये दोनों नशे भी बंद कर दूं। दूसरों को भी इस बात की जानकारी दूंगा कि वो नशा छोड़ दें।" इस कार्यक्रम में सभी ने अपने-अपने अनुभव साझा किये। ख़ास बात ये रही कि ग्रामीण नशे की इस बुरी लत को छोड़ना चाहते हैं पर उनका कहना था कि अगर सस्ती शराब गाँव में मिलना बंद हो जाये तो हम पीना छोड़ देंगे।

ये भी पढ़ें-जिन्होंने नशे की बुरी लत छोड़ दी उनकी कहानियों से ग्रामीणों को मिली प्रेरणा

नशामुक्ति पर नुक्कड़ नाटक करती टीम

इस नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य भी यही था कि युवा, शिक्षक और माता-पिता इस विषय पर बातचीत करें। नशे के दुष्प्रभाव को समझें और आने वाली पीढ़ी को नशामुक्ति रहने के लिए प्रेरित करें। रामप्रकाश शुक्ला (40 वर्ष) ने कहा, "पुलिस जब दबिश देती है तब कुछ दिन बंद रहती है फिर बनना शुरू हो जाती है। पुलिस को ये बात पता है कि यहाँ बहुत शराब बनती हैं पर फिर भी पता नहीं क्यों यहाँ पूरी तरह से शराब बनना बंद नहीं करवा पा रही है।"

इस कार्यक्रम में महोली उपजिलाधिकारी, कोतवाल महोली राजेन्द्र शर्मा,साधन सहकारी समिति नेरी के डायरेक्टर वीरेश शुक्ला, शिक्षक बन्धु समेत 150 से अधिक ग्रामीण उपस्थित रहे।

ये भी पढ़ें-'हमें कुछ नहीं चाहिए बस गाँव से ये शराब का ठेका हट जाए'

">

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.