पुलिस में भर्ती हो करना चाहती थी दूसरों की रक्षा पर खुद को बचा न सकी

24 दिसंबर (सोमवार) को उन्‍नाव के सेवक खेड़ा गांव की रहने वाली गोल्‍डी यादव (20 साल) की चाकू से गोदकर हत्‍या कर दी गई थी। वो शौच करने बाग की ओर गई थी।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   26 Dec 2018 1:59 PM GMT

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उन्‍नाव। ''मेरी उम्र 75 की हो गई है, लेकिन इतनी दरिंदगी आज तक नहीं देखी। मुझे बिटिया की शक्‍ल याद आती है। मैं रात में सो नहीं पाता।'' यह बात उन्‍नाव के सेवक खेड़ा के रहने वाले सोमनाथ कहते हैं। सोमनाथ उस घटना का जिक्र कर रहे हैं, जिससे इस इलाके में सनसनी फैल गई। इसी 24 दिसंबर (सोमवार) को गांव की रहने वाली गोल्‍डी यादव (20 साल) की चाकू से गोदकर हत्‍या कर दी गई थी। वो शौच करने बाग की ओर गई थी। इस मामले में पुलिस ने गांव के ही रहने वाले सतीश यादव उर्फ मुलायम (20 साल) को गिरफ्तार किया है।पुलिस में भर्ती हो करना चाहती थी दूसरों की रक्षा पर खुद को बचा न सकी

आरोपी

सोमनाथ की ही तरह गांव का हर शख्‍स इस हत्‍या से सकते में है। गोल्‍डी के गले पर चाकुओं से कई वार किए गए थे, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। गोल्‍डी की मां माधुरी बताती हैं, ''उस रोज गोल्‍डी ने उनसे कहा, 'मां खाना बना दो मैं खेत से आती हूं।' इसी बीच न जाने वो लड़का कब उसके पीछे चला गया। वहीं उसे मार दिया। जब बहुत देर हो गई तो मुझे लगा गोल्‍डी अपने पापा के पास नए वाले घर चली गई होगी।

इसके बाद खेत की ओर से एक औरत आ रही थी, उसने मुझसे बताया कि वहां बाग में कोई लड़की मरी है। कोई लाकर फेंक गया लगता है। इसपर मैं और मेरे साथ एक और औरत उस लड़की को देखने पहंचे। वहां जाकर देखा तो पता चला वो मेरी ही बेटी थी। इसके बाद मैं रोने लगी, आगे क्‍या हुआ हमको पता नहीं।''

लड़की की मां

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बता दें, गोल्‍डी की हत्‍या उसके घर से करीब 500 मीटर की दूरी पर हो गई। आरोपी सतीश का घर गोल्‍डी के घर के सामने ही है। बाग की ओर जाने का रास्‍ता भी आरोपी के घर से होकर ही जाता है। गोल्‍डी की मां माधुरी कहती हैं, ''हमें नहीं मालूम था कि वो (सतीश) ऐसा कर देगा। मेरी बेटी ने कभी कुछ बताया भी नहीं। मैं चाहती हूं उसे तुरंत जेल हो, वो कभी मेरी नजरों के सामने न पड़े।''

गोल्‍डी के बड़े भाई अमर बहादुर यूपी पुलिस में सिपाही हैं और इलाहाबाद में तैनात हैं। अमर बहादुर बताते हैं, ''गोल्‍डी बहुत होनहार थी। उसने यूपी पुलिस का मेडिकल और फिजिकल क्‍लियर कर लिया था। मेरिट भी उसका सही था। अब बस ट्रेनिंग पर जाना था, लेकिन उसे मार दिया गया। उस लड़के को ईर्ष्‍या थी, क्‍योंकि वो भी भर्ती देख रहा था, लेकिन उसका हुआ नहीं। इस वजह से उसने ये कदम उठाया।''

लड़की का भाई

अमर बहादुर बताते हैं, ''सतीश से हमारे संबंध भी खराब नहीं थे। जैसे सामान्‍य सबसे होते हैं वैसे ही उससे भी थे। मुझे मालूम था कि ईर्ष्‍या है, लेकिन इतनी होगी कि मर्डर हो जाए ये पता नहीं था। गांव का माहौल ही ऐसा हो गया है। किसी की प्रगति नहीं देख सकते। मेरी पत्‍नी भी पुलिस में है, बहन का भी पुलिस में हो ही गया था। इस वजह से जलन के मारे इस घटना को अंजाम दिया गया है।''

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गोल्‍डी की भाभी सुलेखा भी यूपी पुलिस में हैं और इलाहाबाद में ही तैनात हैं। सुलेखा बताती हैं, ''मुझे 11 बजे इस बात की जानकारी हुई। मैं तब इलाहाबाद में ही थी। पता ही नहीं चल रहा कि क्‍यों मारा है, न ही अवैध संबंध का मामला था, न ही खेत का मामला था, क्‍योंकि ये हमारे पटिदार भी नहीं हैं। मामले में कुछ पता ही नहीं चल रहा।''

गोल्डी की भाभी।

''सतीश ने जैसा संगीन अपराध किया है उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। ताकि ऐसा अपराध करने वालों को सबक मिल सके और लड़कियों को भय न रहे। गोल्‍डी को न्‍याय मिलना चाहिए।'' - भावुक होकर सुलेखा कहती हैं।

गोल्‍डी बीए की पढ़ाई कर रही थी। ये उसका आखिरी साल था। गोल्‍डी के भाई अमर बहादुर बताते हैं, ''मैं जब भी गांव आता था गोल्‍डी देर रात तक पढ़ाई करते दिखती थी। मेरी मां हमेशा मुझसे बताती थीं कि गोल्‍डी रात में खाना भी नहीं खाती थी, ताकि उसे नींद न लगे। मैंने कई बार उसे ऐसा न करने को कहा, लेकिन बाद में सोचा की पढ़ाई के लिए ही कर रही है। उसे पढ़ने का शौक था।'' अमर बहादुर कहते हैं, ''अभी 10 दिसंबर को गोल्‍डी को लेकर मैं पुलिस भर्ती का फिजिकल और मेडिकल दिलाने गया था। वहां 125 लड़कियों में से केवल 23 लड़कियां चुनी जा रही थीं। गोल्‍डी ने उसमें भी निकाल लिया। ये देखकर मुझे बहुत अच्‍छा लगा था।''

आरोपी का घर।

अमर बहादुर बताते हैं, ''ऐसा पता चला है कि सतीश मेरी बहन को मारने के बाद अपने मामा के घर चला गया। उसके मामा का घर हमारे गांव से 8 किमी दूर ही है। वहां एक दिन रहने के बाद ये अपने मौसा-मौसी के पास कानपुर चला गया। लगातार दो दिन इधर-उधर घूमने के बाद ये पकड़ा गया है। इस दौरान इसे सिखा पढ़ा दिया गया है कि सिर्फ यह बोलना कि तुमने ही यह सब किया है और वो यही बोल भी रहा है।'' अमर बहादुर इस मामले में और लोगों के शामिल होने की बात भी कहते हैं। वो कहते हैं, इसमें और भी लोग हैं, जिन्‍होंने उससे कहा होगा कि तुम ऐसा कर दो कुछ नहीं होगा। गांव में यह सब तो होता ही है।


बता दें, सेवक खेड़ा गांव में करीब 100 घर हैं। इन 100 घरों में से करीब करीब आधे में शौचालय नहीं है। गोल्‍डी के घर में भी शौचालय नहीं है, इस वजह से उसे खेत की ओर जाना पड़ता था। गोल्‍डी की बुआ कहती हैं, ''गांव की औरते बाग की तरफ ही जाती थीं। आज तक कुछ नहीं हुआ। लेकिन अब जो हुआ है, उससे गलत क्‍या होगा। अगर घर में शौचालय होता तो शायद ऐसा नहीं होता।'' गांव के ही फूलचंद कहते हैं, ''गांव की ज्‍यादातर औरतें बाग की तरफ ही शौच को जाती हैं। पुरुष उधर को नहीं जाते हैं। इस लिए किसी को पता भी नहीं चला कि ये घटना कब हो गई।''

गांव के बाहर चारपाई पर बैठे लोग। यहां भी गोल्डी को लेकर ही चर्चा हो रही थी।

फिलहाल गांव में गोल्‍डी की मौत का दुख सबके चेहरे पर नजर आता है। वहीं, सतीश के लिए नफरत भी साफ देखने को मिलती है। यह मामला उन्‍नाव जिले के मौरावां थाने में दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक, गोल्‍डी और सतीश एक ही स्‍कूल में पढ़ाई करते थे। इसी दौरान दोनों में बात होने लगी। इस बीच सतीश एक तरफा प्‍यार में पड़ गया। उसने गोल्‍डी से अपने प्‍यार का इजहार भी किया, लेकिन गोल्‍डी ने इनकार कर दिया। इसके बाद से ही सतीश यह मानने लगा कि गोल्‍डी किसी दूसरे लड़के से प्‍यार करती है। सतीश लगातार गोल्‍डी से प्‍यार का इजहार कर रहा था, लेकिन जब गोल्‍डी से साफ इनकार कर दिया तो उसने इस घटना को अंजाम देने का मन बनाया।

पुलिस के मुताबिक, करीब 1 महीने पहले सतीश पनकी कानपुर में अपनी बुआ के घर गया था। वहां उसने चाकू खरीदा और मौका मिलने पर गोल्‍डी की हत्‍या कर दी। पुलिस के मुताबिक, गोल्‍डी का सतीश की हरकतों को नजरअंदाज करना और अपने परिजनों को इस बारे में न बताना सतीश के हौसले को बढ़ाता गया।

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी।

इंस्‍पेक्‍टर मनोज कुमार मिश्र कहते हैं, सतीश चिड़चिड़ा और सिरफिरा किस्‍म का है। जब लड़की ने इनकार किया तो वो बर्दाश्‍त न कर सका और इस घटना को अंजाम देने की ठान ली। सतीश के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। बता दें, धारा 302 हत्‍या के लिए प्रयोग की जाती है।

गोल्डी यादव (फाइल फोटो)

गोल्‍डी पुलिस में भर्ती होकर दूसरों की रक्षा करना चाहती थी, लेकिन एक ऐसा पल आया जब वो खुद की रक्षा करने में असमर्थ हो गई। इस मामले में दो चीजें साफ देखने को मिलती हैं। पहली कि अगर घर में शौचालय होता तो गोल्‍डी पर ये खतरा कम हो जाता। दूसरी यह कि पुलिस के मुताबिक, गोल्‍डी ने सतीश की हरकतों को नजरअंदाज किया। अगर वो समय रहते इसकी जानकारी घर वालों को देती तो आज वो जिंदा होती।


   

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