दिव्यांग ने बेचना बंद किया गुटखा,सिगरेट

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दिव्यांग ने बेचना बंद किया गुटखा,सिगरेटgaonconnection

कुर्सी भीतर गाँव (कानपुर देहात )। धूम्रपान करने वाले लोग हमेशा एक दावा करते हैं कि अगर नशा बाजार में मिलना ही समाप्त हो जाये तो हम नशा करना बंद कर देंगे। इसलिए इसकी शुरुआत मैंने अपने ही गाँव से की। मैंने तय किया कि अपनी दुकान में अब धूम्रपान और गुटखा जैसी कोई भी चीज नहीं बेचूंगा। ऐसा कहना है दुकानदार दिव्यांग योगेश कुमार दीक्षित का।

कानपुर देहात के रसूलाबाद से पूरब दिशा में 20 किलोमीटर दूर कुर्सी भीतरगांव हैं। इस गाँव में रहने वाले दिव्यांग योगेश कुमार दीक्षित (26 वर्ष) ने बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद सन 2012 में एक मोबाइल की दुकान खोली। धीरे-धीरे मोबाइल में और तमाम चीजें बिकनी शुरू हो गईं। सभी दुकानों की तरह इस दुकान में गुटखा भी बिकता था। अप्रैल 2016 में योगेश ने ये संकल्प लिया कि ये अपनी दुकान पर नशे से सम्बंधित कोई भी सामग्री नहीं बेचेंगे।

योगेश कुमार बताते हैं अप्रैल 2016 की एक शाम सामुदायिक रेडियो पर नशा मुक्ति अभियान योग गुरु ज्योति बाबा कि आवाज़ में सुन रहे थे। जिसमें लोग कह रहे थे कि अगर दुकानों पर धूम्रपान की सामग्री मिलना बंद हो जाये तो हम नशा करना बंद कर देंगे। इसलिए मैंने सोचा क्यों न इसकी शुरुआत हम अपने दुकान से करें। चार साल से रोजाना एक या दो गुटखा पैकिट बिक जाते थे। जिसमें एक पैकिट में सिर्फ 15 रुपए का ही मुनाफा होता था। जबसे मैंने गुटखा बेचना बंद किया है। हमारी दुकान की आमदनी पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है |

2200 लोग कम्युनिटी रेडियो के नशामुक्ति अभियान में शामिल

अन्तर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति अभियान के प्रमुख और राष्ट्रीय निदेशक कानपुर के योग गुरु ज्योती बाबा बताते हैं कि 1989 में 11 लोगों के सहयोग से कानपुर में नशा मुक्ति अभियान की शुरुआत की थी। आज इस अभियान में सक्रिय रूप से 2200 लोग शामिल हो चुके हैं। जो जगह-जगह पर जागरुकता अभियान कर रहे हैं। मैं खास कर स्कूल और कॉलेजों में खुद जाता हूं और वहां के बच्चों को जागरूक करने का काम करता हूं। मीठी सुपाड़ी और मीठी इलायची में तम्बाकू (निकोटीन) मिलाकर बच्चों को आदी बनाया जा रहा है। इसकी वजह से लोग दिल, दमा, डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। योग ज्योति इंडिया संस्था कानपुर के 30 जूनियर हाईस्कूल में तम्बाकू और उससे सम्बंधित उत्पादों के सेवन पर एक खतरनाक रिपोर्ट सामने आयी है। 5 वर्ष के 95 प्रतिशत बच्चे मीठी सुपाड़ी और सेंटेड इलायची का सेवन करते हैं। 

स्वयं वालेंटियर: उमा शर्मा

स्कूल- प्रखर प्रितशा इंटर कॉलेज

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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