दरोगा की हत्या के बाद शक की सूई मदरसा संचालक पर

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दरोगा की हत्या के बाद शक की सूई मदरसा संचालक परgaonconnection

बागपत। सिंघावली अहीर थाने के दरोगा की हत्या के बाद मदरसा संचालक पर शक की सूंई घूमने लगी है। विवेचना के लिए गए दरोगा की गुरुवार की देर रात को गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस अधिकारियों को संदेह है कि कई मामले की जांच को दबाने के लिए तो हत्या नहीं की गई है। पुलिस भी कई मामलों पर जांच में जुट गई है। 

सिंघावली अहीर थाने के गाँव हिसावदा स्थित सरिउल इस्लामिक मदरसा चल रहा था, जो अधिकारियों की जांच के बाद फर्जी पाया गया था। जिला विकास अधिकारी हाकिम सिंह ने इसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी। इस मामले की विवेचना दरोगा सुखबीर सिंह को सौंप दी गई थी और फर्जी मदरसा चलाने वाला व्यक्ति मेरठ के मोहल्ला 31 रामबाग कालोनी का रहने वाला था। जब दरोगा सुखबीर सिंह फर्जी मदरसा मामले की जांच करने के लिए गुरूवार की रात को मेरठ गए तो उनकी बदमाशों ने गोली बरसाकर हत्या कर दी। दरोगा की हत्या की सूचना मिलते ही पुलिस में हडकंप मच गया। अब पुलिस की सूंई फर्जी मदरसा चलाने वाले इश्तयाक सहित कई मदरसा संचालकों की तरफ घूम रही है, क्योंकि अधिकतर मदरसा संचालक मेरठ के ही रहने वाले है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार फर्जी मदरसा संचालकों ने मामले की जांच को दबाने के लिए कहीं दरोगा सुखबीर सिंह की हत्या न कर दी, क्योंकि वह मामले की जांच गंभीरता से कर रहे थे और जल्द ही मदरसा चलाने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी होनी थी। उनका कहना है कि मामले की जांच को दबाने के लिए ही उसकी हत्या करने का संदेह उन्हें जता रहा है। अब मामले की सभी बिंदुओं पर जांच की जाएगी, जिसके बाद हत्यारोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब देखना है कि दरोगा की हत्या में मदरसा संचालक का हाथ है या फिर किसी दूसरे व्यक्ति का। यह तो पुलिस की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा। कौन इस हत्य में शामिल है। 

मदरसों की जांच से पीछे हट सकते हैं दरोगाओं के कदम! 

बागपत। दरोगा की हत्या के बाद फर्जी मदरसों की जांच का मामला गंभीर प्रकरण बनता जा रहा है और कोई भी विवेचना करने वाला अधिकारी इसमें चूक नहीं बरतेगा। अब तो मदरसों की जांच करने से दरोगाओं के कदम पीछे हट सकते है, क्योंकि जिस तरह से थाना सिंघावली अहीर के दरोगा की मेरठ में मदरसों की जांच करते समय हत्या कर दी गई है इससे तो ऐसा ही लगता है। दरोगा की हत्या के बाद मदरसों की जांच का मामला ठंडे बस्ते में जा सकता है, क्योंकि हत्या के से जांच करने वाले अधिकारियों में भी पूरी तरह से हडकंप मचा हुआ है और इतना ही नहीं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी और बाबू भी दरोगा की हत्या के बाद पूरी तरह से खौफजदा है।

इनमें से अल्पसंख्यक विभाग के कई कर्मचारी मेरठ से रोजाना आते जाते है। जनपद में फर्जी तरीके से 23 मदरसे चलते मिले थे और इन मदरसों को मेरठ के रहने वाले ही चला रहे थे। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने मदरसों की मान्यता रद्द करके इसकी रिपोर्ट संबंधित थानों में दर्ज करा दी गई थी, लेकिन जिस तरह से मदरसों की जांच करने वाले दरोगा सुखबीर सिंह की हत्या कर दी गई इससे तो ऐसा लगता है कि अन्य दरोगा भी जांच करने से पीछे हटते चले जाएंगे, क्योंकि सभी को संदेह है कि दरोगा की हत्या के पीछे मदरसा संचालकों का पूरी तरह से हाथ माना जा रहा है।

दरोगा के पास जिस मदरसा संचालक की विवेचना थी उसके खिलाफ बागपत, बालैनी थाने में भी रिपोर्ट दर्ज है और उक्त थाने के दरोगा भी उसके खिलाफ जांच कर रहे है। इससे तो लगता है कि जो भी दरोगा उसके खिलाफ कार्रवाई करने की सोच रहा उसके कदम भी पीछे हट सकते है। इसके अलावा अन्य मदरसा संचालकों के खिलाफ जांच करने वाले पुलिस अधिकारी भी फर्जी मदरसों की जांच करने में अकेले विवेचना करने के कदम आगे नहीं बढ़ा पाएंगे। 

 

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