...और इस तरह कर ली थी दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह हिटलर ने आत्महत्या

बचपन से जिस हिटलर की तानाशाही के किस्से सुन-सुन कर हम बड़े हुए हैं आज ही के दिन यानि 30 अप्रैल 1945 को उसने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

Anusha MishraAnusha Mishra   30 April 2019 6:24 AM GMT

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...और इस तरह कर ली थी दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह हिटलर ने आत्महत्या30 अप्रैल 1945 को उसने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

तानाशाही और क्रूरता के बारे में जब भी बात होती है हमें हिटलर ही याद आता है। किसी खड़ूस व्यक्ति से बहस हो जाए तो वह हमें हिटलर सा लगता है, स्कूल का कोई सख्त टीचर हो या ऑफिस में हर पल आप पर नज़र रखने वाले बॉस हों आप उनको हिटलर कहकर बुलाने में जरा भी गुरेज नहीं करते। बचपन से जिस हिटलर की तानाशाही के किस्से सुन-सुन कर हम बड़े हुए हैं आज ही के दिन यानि 30 अप्रैल 1945 को उसने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

हिटलर की ज़िंदगी से जुड़ी कई कहानियां हैं। किसी कहानी में वह हीरो है तो किसी में विलेन लेकिन यह भी सच है कि एडोल्फ हिटलर 20वीं सदी का सबसे क्रूर तानाशाह था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1933 में वह समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी को सत्ता में लाने के बाद उसने जर्मन सरकार पर अधिपत्य कर लिया।

एडोल्फ हिटलर का जन्म आस्ट्रिया में 20 अप्रैल 1889 को हुआ। जब हिटलर 17 वर्ष का था तब उसके पिता की मृत्यु हो गई इसके बाद वह वियना चला गया। पैसों की तंगी के कारण वह पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर काम चलाने लगा। यही वह समय था जब हिटलर के मन में साम्यवादियों और यहूदियों के प्रति घृणा ने जन्म लिया। जब पहला विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो वह सेना में भर्ती हो गया और फ्रांस में कई लड़ाइयों में उसने भाग लिया। 1918 युद्ध में घायल होने के कारण वे अस्पताल में रहा। जर्मनी की हार का उसे बहुत दुख हुआ। इसी साल उसने नाजी दल की स्थापना की। इसका उद्देश्य साम्यवादियों और यहूदियों से सब अधिकार छीनना था।

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भूमिसुधार करने, वर्साई संधि को खत्म करने और एक विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना का लक्ष्य हिटलर ने जमर्नी की जनता के सामने रखा, उसका मानना था कि ऐसा करने से जर्मन सुख से रह सकेंगे। धीरे-धीरे उसका प्रभाव बढ़ने लगे। उसने स्वास्तिक को अपने दल का चिह्र बनाया जो और भूरे रंग की पोशाक पहने सैनिकों की टुकड़ी तैयार की। 1923 में उसने अपनी आत्मकथा मीन कैम्फ ("मेरा संघर्ष") लिखी। इसमें उसने लिखा कि आर्य जाति सभी जातियों से श्रेष्ठ है और जर्मन आर्य हैं। उन्हें विश्व का नेतृत्व करना चाहिए। यहूदी सदा से संस्कृति में रोड़ा अटकाते आए हैं। जर्मन लोगों को साम्राज्यविस्तार का पूर्ण अधिकार है। फ्रांस और रूस से लड़कर उन्हें जीवित रहने के लिए भूमि प्राप्ति करनी चाहिए।

1930-32 में जर्मनी में बेरोज़गारी बहुत बढ़ गई। संसद में नाजी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो गई। 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में सफलता नहीं मिली। जर्मनी की आर्थिक दशा बिगड़ती गई और विजयी देशों ने उसे सैनिक शक्ति बढ़ाने की अनुमति की। 1933 में चांसलर बनते ही हिटलर ने जर्मन संसद को भंग कर दिया, साम्यवादी दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया और राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए ललकारा।

60 लाख यहूदियों की कराई थी हत्या

1933 में जर्मनी की सत्ता पर जब एडोल्फ हिटलर काबिज हुआ था तो उसने वहां एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। वह यहूदियों से सख्त नफरत करता था। यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा नरसंहार के रूप में सामने आया। होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे।

दूसरे विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा कारण था हिटलर

द्वितीय विश्व युद्ध तब हुआ, जब हिटलर के आदेश पर नाज़ी सेना ने पोलैंड पर आक्रमण किया। फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैंड को सुरक्षा देने का वादा किया था और वादे के अनुसार उन दोनो ने नाज़ी जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद जर्मनी ने रूस पर आक्रमण किया। जब अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया तो हिटलर की सामरिक स्थिति बिगड़ने लगी।

हर पल सताता था मौत का डर

हिटलर को अपनी मौत का बहुत डर था। ऐसा कहते हैँ कि कहीं उसके खाने में ज़हर न मिला दिया गया हो। यही वजह थी कि वह अपने सेवकों के चखने के बाद ही खाना खाता था। उसे ऐसा लगता था कि इंग्लैण्ड उसे मारना चाहता है जिस कारण वह हर वक्त चौंकन्ना रहता था।

शादी के अगले दिन कर ली थी आत्महत्या

आत्महत्या करने से कुछ घंटों पहले ही उसने अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन से शादी की थी। 'हिटलर्स लास्ट डे: मिनट बाई मिनट' क़िताब के मुताबिक, 30 अप्रैल को उसने खुद को गोरी मार ली थी। उस वक्त वह उस बंकर के कांफ्रेंस रूम में था जिसमें वह रहता था। क़िताब के अनुसार, हिटलर दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार से बहुत दुखी था और इसी कारण वह अवसाद में चला गया था। उसके आत्महत्या करने के तुरंत बाद उसकी बीवी ईवा ब्राउन ने भी ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी।

क़िताब में लिखा है कि आत्महत्या करने के पहले हिटलर ने अपनी सचिव से एक राजनीतिक वसीयतनामा लिखवाया। उसने लिखवाया कि मैं और मेरी बीवी ने समर्पण और शर्म की बजाय मौत को चुना है। यह हमारी इच्छा है कि हमारे शवों को हमारी मौत के तुरंत बाद जला दिया जाए। सुबह पांच बजे वह और उसकी पत्नी ईवा ब्राउन बंकर में बने अपने कमरे में गए। उस समय रूस जर्मनी में भयानक बमबारी कर रहा था। रूसी सेना उस तक पहुंचने ही वाली थी, इससे पहले उसने खुद को गोली मार ली और इस तरह एक तानाशाह का अंत हो गया।

ये भी देंखे- Auschwitz Concentration Camp : जहां हिटलर के आतंक के निशान आज भी मौजूद हैं

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