... तो पैसों से भी ख़रीदी जा सकती है खुशी

Anusha MishraAnusha Mishra   27 July 2017 1:47 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
... तो पैसों से भी ख़रीदी जा सकती है खुशीप्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ। ये सच है, पैसे से खुशी ख़रीदी जा सकती है, ख़ासकर तब जब पैसा आपका समय बचाए। वो लोग जो हाउसकीपिंग, डिलीवरी सर्विस और टैक्सी आदि की सुविधा लेने के लिए रुपये ख़र्च करते हैं वो उन लोगों की तुलना में ज़्यादा खुश होते हैं जो पैसे बचाकर अपना समय बर्बाद करते हैं।

हाल ही में चार देशों के 6000 लोगों पर एक सर्वे कराया गया जिसमें लोगों को दो हफ्तों तक खर्च करने के लिए लगभग 40 डॉलर यानि लगभग 2500 रुपये दिए गए। पहले हफ्ते में जहां लोगों ने अपने लिए सामान यानि शर्ट या कोई ड्रेस ख़रीदी तो दूसरे हफ्ते में लोगों ने उन पैसों से अपना समय बचाया। दो हफ्ते बाद जब उनसे उनके एक्सपीरियंस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें पैसे खर्च करके समय बचाना अपने लिए सामान ख़रीदने से ज़्यादा सुकून देने वाला लगा।

यह भी पढ़ें : इस कारण से परेशान देशों की सूची में भारत पहले पायदान पर

इस बारे में ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी की प्रोफेसर एलिज़ाबेथ डन ने कहा कि हां, ये सच है कि पैसे से खुशी खरीदी जा सकता है अगर आप इसे सही जगह खर्च करें तो। एलिज़ाबेथ इस स्टडी की को- ऑथर भी हैं, जो नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस ने कराई है।

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के अध्ययन की मुख्य लेखक एशले व्हीलन्स ने कहा कि अधिक परिश्रम से होने वाला काम और भी तब जब आपको वो पसंद नहीं है, अगर उसे कराने के लिए आप पैसे खर्च करते हैं तो ये वाकई आपको खुशी देगा। रिपोर्ट के मुताबिक, जब लोग ऐसा करते हैं, तो वे उस दिन सामान्य से ज़्यादा खुश होते हैं और सुकून महसूस करते हैं। लेकिन जब वे किसी सामान को ख़रीदते हैं तो ये उन्हें उतना मानसिक सुकून नहीं देता।

यह भी पढ़ें : भारत बेकार पानी का खेती में इस्तेमाल करने वाले पहले पांच देशों में

सर्वे में शामिल इंडियानापोलिस की एक क्रिटिकल केयर नर्स लिंडा जोंस ने कहा कि उन्होंने अपने घर का काम करने के लिए एक हाउसकीपर को रखा है। ये ऐसी चीज़ है जो उन्हें सुकून देती है क्योंकि पूरे दिन नौकरी करने के बाद वो इतना थक जाती हैं कि उनसे घर का काम नहीं होता। ऐसे में वो हाउसकीपिंग पर पैसे खर्च करती हैं जो उन्हें सुकून देता है। अब तो वे किराने का सामान भी डिलीवरी सर्विस से ही मंगवाती हैं। लिंडा कहती हैं कि इन कामों में मेरा जो समय बर्बाद होता था वो इनमें खर्च होने वाले पैसों के मुकाबले बहुत ज़्यादा था। आप पैसे तो दोबारा कमा सकते हैं लेकिन एक बार जो समय चला गया वो वापस नहीं आ सकता।

एक रिसर्च में ये भी कहा गया था कि किसी की मदद करने के लिए पैसे खर्च करने में स्पा जाने या ट्रैवल करने से ज़्यादा खुशी मिलती है। ये सर्वे अमेरिका, कनाडा, डेनमार्क और नीदरलैंड के लोगों पर कराया गया। अमेरिका को छोड़कर बाकी देश वही हैं जो ग्लोबल हैप्पिनेस रिपोर्ट में टॉप पर थे।

यह भी पढ़ें : एक लाख डॉलर में बिक सकती हैं आइंस्टाइन की ये दुर्लभ तस्वीर

रिसचर्स ने 60 लोगों को लगभग 2500 रुपये देकर कनाडा के साइंस म्यूज़ियम में भेजा। जब लोगों ने इन रुपयों से सामान ख़रीदा तो 5 प्वाइंट स्केल पर उनकी खुशी का स्कोर 3.7 था। लेकिन जब उन्होंने इन रुपयों को टैक्सी बुक करने, लंच मंगाने में जैसे अपने आराम के कामों में खर्च किया तो इस स्केल पर उनका स्कोर 4 था। रिसर्चर डन के मुताबिक, भले ही ये अंतर कम है लेकिन इसकी महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि पैसा खुशी नहीं खरीद सकता ये बात सच है लेकिन उतनी ही सच ये भी बात है कि समय ही पैसा है।

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.