आम लोगों पर कर, अमीर किसानों को छूट?

अमित सिंहअमित सिंह   9 Jun 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। सरकार ने कुछ दिनों पहले ही कृषि कल्याण उपकर के नाम पर सर्विस टैक्स में 0.5 फीसदी का इज़ाफ़ा किया और ये दलील दी कि बढ़ोतरी से जो पैसे जमा होंगे उसका इस्तेमाल किसानों के विकास के लिए किया जाएगा।

हालांकि कृषि अर्थशास्त्रियों के अनुसार अतिरिक्त कर से जमा किए गए पैसों से ज्यादा बड़ा कदम ये होता कि सरकार खेती के नाम पर कर चुराने वाले लोगों पर लगाम लगाती। इससे इकट्ठा पैसा कृषि कल्याण कर से कई गुना ज्यादा होता। लखनऊ यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफेसर व अर्थशास्त्री सोमेश शुक्ला के मुताबिक़, “कृषि कल्याण सेस में 0.5 फीसदी अतिरिक्त सर्विस टैक्स के प्रावधान से सरकार सालाना लगभग पांच हज़ार करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा करेगी।

लेकिन सरकार हर साल कृषि आय के नाम पर 15 से 20 हज़ार करोड़ रुपये की टैक्स छूट ऐसे लोगों को दे रही है जो वास्तव में किसान हैं भी या नहीं इसका किसी को पता नहीं।” शुक्ला के मुताबिक अगर इन प्रोक्सी किसानों या बनावटी किसानों से टैक्स चोरी रोकी जाए तो सालाना किसान कल्याण कर से लगभग दो गुना ज्यादा बजट इकट्ठा हो पाएगा जिसका प्रयोग किसान कल्याण में किया जा सकता है।

राज्य सभा में केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2013-14 के लिए नवंबर 2014 तक कृषि आय दिखाकर कर में छूट के लिए चार लाख से ज्यादा अर्जियां आईं। इन मामलों में छूट की कु्ल राशि 9,338 करोड़ रूपए थी। 73.1 करोड़ रुपये की टैक्स छूट का फायदा मैकलॉयड रसल इंडिया को मिला। वहीं मध्य प्रदेश राज्य वन विभाग को 62.2 करोड़ रुपये टैक्स छूट मिली। वंदना फार्म्स एंड रिज़ॉर्ट को भी 61.1 करोड़ रुपये की टैक्स छूट दी गई। “गैरकृषकों द्वारा खेती की आय का प्रयोग ट्रैक्स से बचने और कालेधन को जायज़ बनाने के लिए एक औजार की तरह किया जा रहा है।

इसके चलते देश को हर साल राजस्व में करोड़ों रुपए की हानि हो रही है,” टैक्स तंत्र की कमियों को खोजने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री के सलाहकार पारथोसारर्थी शोम की अध्यता में गठित टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन रिफोर्म कमेटी ने नवंबर 2014 को दाखिल अपनी रिपोर्ट में सरकार को यह बताया था। टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन रिफोर्म कमेटी की रिपोर्ट में भी कहा गया, “भारत में बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो एक नैकरीपेशा शख्स से ज्यादा कमाते हैं। कुछ किसानों की कमाई तो करोड़ों में है।

ऐसे में सरकार को कुछ ऐसा प्रावधान करने की ज़रूरत है कि अमीर किसान भी टैक्स के दायरे में आ जाएं।” देश के बड़े बिज़नेस चैंबर्स भी अमीर किसानों पर टैक्स लगाने की बात को सही ठहराते हैं। व्यापार संगठनों के समूह एसोचैम की उत्तर प्रदेश बॉडी के अध्यक्ष वीएन गुप्ता कहते हैं, “सरकार को इस ओर ध्यान देने की ज़रूरत है। अमीर किसानों पर टैक्स लगाने में क्या बुराई है। टैक्स डिपार्टमेंट को चाहिए कि वो अमीर किसानों के लिए एक स्लैब बना दें और फिर उसके मुताबिक़ उन पर टैक्स लगाए।

ये फॉर्मूला इस तरह का होना चाहिए जैसे कमर्शियल बिजली महंगी होती है और डोमेस्टिक इस्तेमाल की बिजली सस्ती होती है।” टैक्स रिफॉर्म रिपोर्ट में इस बात की भी सिफारिश की गई कि जिन किसानों की सालाना आय 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा है उन के ऊपर टैक्स लगाने का नियम बना देना चाहिए।  वर्ष 2016 में संसद के पटल पर पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में भी इस बात का जिक्र था कि अगर अमीर किसानों या मोटा पैसा कमाने वाली एग्री कंपनियों पर टैक्स लगाया जाए तो इससे सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा। 

एग्री कंपनियों को करोड़ों की टैक्स छूट

इन चार लाख अर्जियों में कृषि आय दिखाकर छूट मांगने वालों में केवल व्यक्ति शामिल नहीं थे बल्कि कृषि की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी शामिल थीं, जिन्हें आयकर में वही छूट मिलती है जो किसी किसान को मिलती है।

कर में सबसे ज्यादा छूट पाने वाली टॉप पांच कंपनियों में कावेरी सीड्स को 186.6 करोड़ रुपये की टैक्स छूट दी गई। मोनसेंटो इंडिया को 94.4 करोड़ रुपये की टैक्स छूट मिली।     

 

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