भारत से श्रीलंका को जोड़ने वाले राम सेतु को लेकर वैज्ञानिकों ने किया ये चौंकाने वाला दावा 

Anusha MishraAnusha Mishra   13 Dec 2017 10:27 AM GMT

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भारत से श्रीलंका को जोड़ने वाले राम सेतु को लेकर वैज्ञानिकों ने किया ये चौंकाने वाला दावा राम सेतु

हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामायण में एक ऐसे पुल का ज़िक्र है जो भारत को श्रीलंका से जोड़ता है। कहते हैं कि राम को जब श्रीलंका जाना था तब सुग्रीव की वानर सेना ने पत्थरों से एक पुल बनाया था। ये ऐसा पुल था जिसमें पत्थर पानी पर तैरते थे। पौराणिक कथाओं में इस पुल को रामसेतु कहा गया है। अभी तक लोग इस बात पर विवाद होता था कि ये सिर्फ ये कहानी है और वास्तविकता से इसका कोई लेना देना नहीं है लेकिन भू वैज्ञानिकों ने हाल ही में जो विश्लेषण किया है उससे कुछ और ही पता चलता है।

भू वैज्ञानिकों के मूताबिक, भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे तमिलनाडु के मन्नार द्वीप के बीच बनी चूना पत्थर की एक श्रृंखला है जो आज भी मौज़ूद है। एनसिएंट लैंड ब्रिज नाम के एक प्रोमो में ऐसा दावा किया गया है, जो बुधवार यानि आज शाम साढ़े सात बजे डिस्कवरी कम्युनिशेन के साइंस चैनल पर अमेरिका में दिखाया जाएगा।

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साइंस चैनल ने व्हाट ‘ऑन अर्थ एनसिएंट लैंड एंड ब्रिज’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। साइंस चैनल के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया है, जिसमें भू-वैज्ञानिकों ने नासा की तरफ से ली गई तस्वीर को प्राकृतिक बताया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस सैंड के ऊपर यह पत्थर रखा गया है वह करीब 4 हजार साल पुराना है और यहां पर लाया गए पत्थर करीब 7 हजार साल पुराने हैं। अपने विश्लेषण में भू-वैज्ञानिकों को यह पता चला कि जिस सैंड पर यह पत्थर रखा हुआ है ये कहीं दूर जगह से यहां पर लाया गया है। हालांकि, कुछ जानकार इसे पांच हजार साल पुराना मानते हैं जिस दौरान रामायण में इसे बनाने की बातें कही गई हैं। वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में यह पाया कि 30 मील लंबी यह श्रृंखला चेन मानव निर्मित है।

वैज्ञानिक इसको एक सुपर ह्यूमन एचीवमेंट मान रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार भारत-श्रीलंका के बीच 30 मील के क्षेत्र में बालू की चट्टानें पूरी तरह से प्राकृतिक हैं, लेकिन उनपर रखे गए पत्थर कहीं और से लाए गए प्रतीत होते हैं। यह करीब सात हजार वर्ष पुरानी हैं जबकि इन पर मौजूद पत्‍थर करीब चार-पांच हजार वर्ष पुराने हैं।

स्मृति ईरानी ने किया रीट्वीट

साइंस चैनल के इस ट्वीट के बाद केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने साइंस चैनल के इस वीडियो को 'जय श्री राम' लिखकर ट्वीट किया है। उनके इस ट्वीट को अब तक 2200 ये ज़्यादा लोग रीट्वीट कर चुके हैं।

क्या हैं मान्यताएं

वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि राम को अपनी पत्नी सीता को लंका से वापस लाने के लिए वहां जाना था। राम उस वक्त दक्षिणी भारत के रामेश्वरम में थे। उन्हें वहां से समुद्र को पार करके लंका जाना था जिसके लिए एक पुल बनाना ज़रूरी था। उस वक्त समुद्र की लहरें इतनी तेज़ थीं कि वहां पुल बनाना संभव नहीं था। उस वक्त राम ने समुद्र के देवता वरुण का आह्वान किया और उनसे प्रार्थना की कि वे समुद्र की लहरों को शांत कर दें ताकि लंका तक जाने के लिए रास्ता मिल सके लेकिन वरुण ने उनकी प्रार्थना नहीं सुनी।

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राम को इस बात पर गुस्सा आ गया। उन्होंने समुद्र को सुखाने के लिए अपना धनुष उठा लिया, जिससे समुद्र के देवता डर गए और उन्होंने राम से माफी मांगते हुए कहा कि अगर आपकी सेना में शामिल वानर पत्थर पर राम लिखकर उसे समुद्र में डालेंगे तो वो पत्थर डूबेगा नहीं बल्कि तैर जाएगा। इसके बाद पुल बनाने का सिलसिला शुरू किया। नल और नील पत्थर पर श्री राम लिख रहे थे और सुग्रीव की वानर सेना उन पत्थरों को समुद्र में डालती जा रही थी। धीरे - धीरे ये पुल बन गया और राम व उनकी सेना इसी पुल के रास्ते लंका गए।

   

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