चेतावनी: भारत में लगातार घट रही है खेती और अनाज

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चेतावनी: भारत में लगातार घट रही है खेती और अनाजgaonconnection

लखनऊ। पिछले तीन दशकों में देश में खेती घट गई है। ऐसे समय में जब लगातार तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए पर्याप्त अनाज उत्पादन एक गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है, खेती का घटना खाद्य सुरक्षा के लिए चिंता खड़ी करता है।

सरकार के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1990-91 में देश का कुल बुवाई क्षेत्र 142,870 हजार हेक्टेयर था जो वर्ष 2012-13 में दो प्रतिशत घटकर 139,932 हो गया। 

कुल बुवाई क्षेत्र में देश के बगीचे भी शामिल किए जाते हैं, इसीलिए यदि मुख्य अनाजों की स्थिति जानने के लिए केवल देश के फसल क्षेत्र के आंकड़ों पर नज़र डालें तो स्थिति ज्यादा गंभीर दिखती है।

वर्ष 2014 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 1987-88 में फसलों की बुवाई का जो क्षेत्र कुल बुवाई का 87 प्रतिशत था, वो 2011-12 में 72 प्रतिशत हो गया। यानि 15 प्रतिशत की कमी।

एनएसएसओ के ही डाटा पर आधारित फाउंडेशन फॉर एग्रेरियन स्टडीज़ रीसर्च पेपर में फसलों का रकबा घटने के मुख्य कारण देहातों में प्रति घर घटती ज़मीन और मजदूरी की ओर बढ़ते रुझान को बताया गया।

फसलों की बुवाई का क्षेत्र घटने का सीधा असर देश में हर व्यक्ति के लिए उपलब्ध अनाज की मात्रा में आई गिरावट में देखा जा सकता है। 

वित्तीय सर्वेक्षण 2014-15 के अनुसार 1987-88 में देश में प्रति व्यक्ति आवश्यकता के लिए अनाज और दालों की 471.8 ग्राम मात्रा उपलब्ध थी जो 2011-12 में 18 ग्राम घटकर 453.5 ग्राम रह गई। 

90 के दशक ने अनाज के प्रति हेक्टेयर उत्पादन में बढ़ोतरी ज़रूर हुई लेकिन प्रति व्यक्ति आवश्यकता में घटौती ये साफ दिखाती है कि जनसंख्या के अनुरूप उत्पादन नहीं बढ़ा।

न्य देशों की उत्पादकता से तुलना करने पर भी पता चलता है कि अभी प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में भारत कितना पीछे है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था एफएओ के अनुसार अगर भारत प्रति हेक्टेयर अनाज की औसत 27 कुंतल मात्रा उगाता है, वहीं चीन में ये आंकड़ा 55 कुंतल, ब्राजील में 40 कुंतल और अमेरिका में सबसे ज्यादा 70 कुंतल है। 

 

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