जालियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले शहीद उधम सिंह के परपोते चपरासी की नौकरी के लिए धरने पर है

Shefali SrivastavaShefali Srivastava   3 Jan 2017 6:43 PM GMT

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जालियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले शहीद उधम सिंह के परपोते चपरासी की नौकरी के लिए धरने पर हैशहीद उधम सिंह के परपोते जग्गा सिंह को सरकारी वादे के बावजूद नौकरी नहीं मिली

नई दिल्ली (भाषा)। जालियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने शहीद उधम सिंह के परपोते जग्गा सिंह आज चपरासी की नौकरी के लिए भी तरस रहे हैं। जबकि दस वर्ष पहले उनसे पंजाब की तत्कालीन सरकार ने वादा किया था।

यह हाल तब है जब राष्ट्रीय बहस में राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर जोर है।देेश के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों के परिवारीजनों को उनका हक दिलाने के लिए तो सरकार हमेशा कार्यरत रहती है लेकिन उधम सिंह के परपोते जग्गा सिंह को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह द्वारा वादा किए जाने के बाद भी अब तक नौकरी नहीं मिली।

कांग्रेस सरकार की ओर से किया गया यह वादा पूरा नहीं सका क्योंकि राज्य में कांग्रेस पार्टी करीब 10 साल से सत्ता से बाहर है। उधम सिंह की बड़ी बहन आस कौर के परपोते जग्गा सिंह द्वारा शिरोमणि अकाली दल और भाजपा सरकार से बार-बार अपील किए जाने का अभी कोई परिणाम नहीं निकला है।

उधम सिंह ने लिया था जलियांवाला हत्याकांड का बदला

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में खूनी दिवस के दौरान उधम सिंह वहां उपस्थित थे। बाद में करीब 21 साल बाद उन्होंने लंदन में माइकल ओ ड्वायर की हत्या कर इस नरसंहार का बदला लिया था। जलियांवाला बाग में कत्लेआम के समय माइकल ओ ड्वायर ही पंजाब का गवर्नर था। बाद में उधम सिंह को हत्या के आरोप में लंदन में फांसी दे दी गई थी।

केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद है

जग्गा सिंह इस समय अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ बेहद गरीबी में जीवन गुजार रहे हैं। इसके अलावा उन्हें 60 वर्षीय पिता जीत सिंह की देखभाल भी करनी पड़ती है। वह एक दिहाड़ी मजदूर हैं। तीस वर्षीय जग्गा सिंह दसवीं तक पढ़े हैं और 2,500 रुपए मासिक की तनख्वाह पर संगूर की एक कपड़ा दुकान में काम करते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को कई पत्र भी लिखे हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह उनके पत्रों पर ध्यान देंगे।

जंतर-मंतर तक पहुंचा विरोध

सिंह अब इस कड़ाके की और धुंध भरी सर्दी में अपने विरोध को जंतर-मंतर तक ले आए हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता के गलियारों में उनकी आवाज जरूर सुनी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमने कई बार पंजाब के वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा से मुलाकात की। कई मुलाकातों के बाद उन्होंने हमें बताया कि हमारा मामला मुख्यमंत्री के सामने रखा गया था, लेकिन उन्होंने कहा कि वह हमारी मदद नहीं कर सकते क्योंकि उनका नियुक्ति पत्र कांग्रेस की अमरिंदर सरकार के समय जारी किया गया था, इसलिये उन्हें यह नौकरी नहीं दी जा सकती।’

जग्गा ने कहा कि अमरिंदर सिंह की ओर से पत्र जारी किए जाने के बाद उनके पिता ने उन्हें कोई नौकरी चाहे वह चपरासी की ही हो दिए जाने की मांग को लेकर उपजिलाधिकारी से मुलाकात की थी, लेकिन मौजूदा सरकार उन्हें नौकरी देने के लिए तैयार नहीं है।

    

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