उत्तर प्रदेश की एक लाख गर्भवती महिलाओं को जान का खतरा 

Darakhshan Quadir SiddiquiDarakhshan Quadir Siddiqui   15 Oct 2016 6:50 PM GMT

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उत्तर प्रदेश की एक लाख गर्भवती महिलाओं को जान का खतरा प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी महिलाओं की तादाद उत्तर प्रदेश में एक साल में 27 हजार से बढ़कर एक लाख हो गयी है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं के लिए प्रदेश सरकार करोड़ों रूपयें खर्च करती है, लेकिन उसका लाभ ऐसी महिलाओं तक नही पहुँच पा रहा है। इस काम के लिए सरकार ने गाँव में आशा बहु और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को लगा रखा है। ऐसी महिलाओं के खानपान के लिए सरकार इनको अच्छी धनराशि दे रही है, लेकिन बावजूद इसके आशा बहुएं और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां उनको सिवाय आयरन की गोलियों के और कुछ वितरित नही कर रही हैँ।

तराई क्षेत्रों में ज्यादा है इन महिलाओं की संख्या

परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अरुण कुमार सिन्हा का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के एक सर्वे में पता चला है कि एचआरपी महिलाओं की संख्या तराई क्षेत्रों में ज्यादा है। इन महिलाओं की देखरेख और सुरक्षित प्रसव के लिए दवाईयों के साथ फूड प्रोडक्शन और खाने पीने का इंतजाम विभाग ने किया है, लेकिन शिकायत मिली है कि यह आशा बहुएं और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां वितरित नहीं कर रही हैं। जिसकी जाँच कराई जा रही है ऐसी आंगनबाड़ियों और आशाबहुओं के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी चुनौती

सूबे में एक लाख हाई रिस्क गर्भवती महिलाएं मिली हैं। इन्हें पिछले दिनों चलाए गए मातृत्व सप्ताह के दौरान चिह्नित किया गया है। इनका सुरक्षित प्रसव कराना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। विभाग इसके लिए रणनीति बनाने में जुट गया है। मातृ व शिशु मृत्यु दर में सुधार के लिए चलाए गए इस अभियान में करीब 14 लाख गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया। इनमें से एक लाख महिलाएं ऐसी हैं, जिनकी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी है।

14 से 21 अक्टूबर तक मातृत्व सप्ताह

बच्चों में स्वास्थ्य सूचकों में सुधार के लिए प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे मातृत्व सप्ताह के दूसरे चरण में 14 से 21 अक्तूबर तक जिलों के हर ब्लॉकों पर एचआरपी (हाई रिस्क प्रेगनेंसी) दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इन 8 दिनों में उस संबंधित ब्लॉक की हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली महिलाओं का उपचार किया जाएगा। इसके लिए हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की सुलभ पहचान एवं उन्हें इलाज में प्राथमिकता देने के लिए उनके मातृ एवं शिशु सुरक्षा कार्ड पर लाल बिंदी सील लगाई जाएगी।

आशा बहुएं और एएनएम करेंगी हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का फॉलोअप

इस द्वितीय चरण में गर्भवती महिलाओं की हीमोग्लोबिन, ब्लड प्रेशर, पेशाब और शुगर की जांच की जाएगी। इसके अलावा वैक्सीन की सुविधा दी जाएगी। बुधवार और शनिवार को नियमित टीकाकरण किया जाएगा। हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान और अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव तक फॉलोअप करने के लिए एएनएम और आशा बहुओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

जननी सुरक्षा योजना का लाभ देने के लिए द्वितीय चरण

गर्भवती महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ देने के लिए मातृ एवं शिशु कार्ड पर मोबाइल नम्बर, आधार संख्या और बैंक खाते का नम्बर दर्ज किया जाएगा। ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के समय गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल के प्रति लोगों की बढ़ती जागरुकता को बनाए रखने के लिए इस माह मातृत्व सप्ताह का द्वितीय चरण का आयोजन किया जा रहा है।

पहले चरण का हाल

इस साल प्रदेश की 17 लाख 65 हजार गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल का लक्ष्य मातृत्व सप्ताह के पहले चरण में (27 जनवरी से 3 फरवरी) तक किया गया। इस दरम्यान स्वास्थ्य विभाग एवं राज्य पोषण मिशन ने संयुक्त प्रयास से प्रदेश में 17 लाख 65 हजार गर्भवती महिलाओं का चिन्हीकरण किया गया। इनमें से 15 लाख 97 हजार गर्भवती महिलाओं की सभी प्रकार की जांचें की गईं। इन महिलाओं में से 50 फीसदी एनीमिया, हीमोग्लोबिन की कमी से ग्रस्त मिलीं। इनके सुरक्षित प्रसव के लिए ब्लॉक स्तर पर सेफ बर्थ रिस्पांस टीम का गठन किया गया।

   

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