आईएस ने मोसुल की 800 साल पुरानी मस्ज़िद को उड़ाया, बगदादी यहीं बना था खलीफा

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आईएस ने मोसुल की 800 साल पुरानी मस्ज़िद को उड़ाया, बगदादी यहीं बना था खलीफाविस्फोट के बाद मस्ज़िद अल-नुरी से निकलता धुंआ।

नई दिल्ली। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने इराक स्थित मोसुल की प्रसिद्ध झुकी हुई मीनार और उससे जुड़ी अल-नुरी मस्जिद को विस्फोट कर उड़ा दिया है। हालांकि आईएस ने इसके लिए अमेरिकी हवाई हमले को जिम्मेदार ठहराया है। इसी मस्जिद में आईएसआईएस चीफ अबू बकर अल बगदादी 2014 में पहली बार लोगों के सामने पेश हुआ था और खिलाफत की घोषणा की थी।

नूरी मस्जिद और झुकी मिनार- अल हब्दा

नूरी मस्जिद 800 साल पुरानी है। 1172 में इस मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ था। इस मस्जिद का नाम तुर्क शासक नूर अल-दिन महमूद ज़ांगी के नाम पर रखा गया था। नूर अल-दीन महमूद ज़ांगी मूसल और अलेपो शहर के शासक थे।

नूरी मस्जिद के साथ जुड़ी हुई मीनार का नाम अल-हब्दा है। यह नूरी मस्जिद के सामने है। जिस वक़्त इसका निर्माण पूरा हुआ उस वक़्त मीनार की ऊंचाई 150 फुट थी। मोसुल की यह लोकप्रिय इमारत थी।

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ये जिहादियों की ओर से हार की घोषणा है

इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल आबदी ने कहा कि मस्ज़िदों को तबाह किया जाना जिहादियों की ओर से हार की आधिकारिक घोषणा है। वहीं इराकी सेना के एक शीर्ष कमांडर अब्दुलमीर याराल्लाह ने एक बयान में कहा, 'हमारे जिहादी पुराने शहर में अंदर तक उनके ठिकानों की ओर बढ़ रही है और जब वे नूरी मस्जिद के 50 मीटर के दायरे में घुस गए तो आईएस ने नूरी मस्जिद और हदबा को उड़ा कर एक और ऐतिहासिक अपराध किया।'

चार दिन से लगातार चल रही है लड़ाई

इराक के शहर मोसुल में पिछले चार दिनों से भयंकर लड़ाई छिड़ी हुई है। 19 जून को इराकी अधिकारियों ने मोसुल को पूरी तरह अपने कब्ज़े में लेने के लिए हमले की शुरुआत करने के बाद पर्चा गिराकर आम लोगों को दूर रहने की सलाह दी है और जिहादियों को आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी है।

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पुराने शहर को इस्लामिक स्टेट समूह के कब्जे से पूरी तरह से अपने नियंत्रण में लेने के लिए इराकी बलों ने कुछ दिनों पहले हमले किए थे। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि आईएस मोसुल में मानव ढाल के रूप में 100,000 से अधिक लोगों को पकड़ सकता है।

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