जंगली नस्लों के चमत्कारी हैं पौधे, जानिए पौधों की अजब-गजब दुनिया 

Kushal MishraKushal Mishra   14 Oct 2017 7:47 PM GMT

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जंगली नस्लों के चमत्कारी हैं पौधे, जानिए पौधों की अजब-गजब दुनिया फोटो:  इंटरनेट

लखनऊ। आमतौर पर हमें गिने-चुने पौधों के बारे में जानकारी होती है और सिर्फ इतना ही पता होता है कि इन पौधों की ये विशेषताएं हैं। जबकि पौधों की दुनिया से कमोबेश हर व्यक्ति जुड़ा हुआ है। इन पौधों को हम ओढ़ते-पहनते हैं, खाते हैं, बीमारियों से इलाज के लिए दवाओं में इस्तेमाल करते हैं, घर बनाने में इस्तेमाल करते हैं, घर की साज-सज्जा में उपयोग करते हैं, किसी को तोहफा के रूप में देते हैं, सिर्फ इतना ही नहीं, हजारों तरह के पौधों की किसान खेती करता है। मगर इसके बावजूद वैज्ञानिक मानते हैं कि पौधों की दुनिया बहुत विचित्र है और हम अभी भी पौधों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।

दुनिया में असंख्य पौधे

ब्रिटेन के कीव स्थिन बॉटैनिकल गार्डन में शोधकर्ता यह मानते हैं कि दुनिया में असंख्य पौधे हैं। ऐसे में यहां के शोधकर्ता लगातार ऐसे पौधों को खोजने पर लगे हैं और इनकी खूबियां का पता लगा रहे हैं, जिससे लोगों की जिंदगी और बेहतर हो सके।

जंगली नस्लों के पौधे कहीं ज्यादा प्रभावी

बॉटैनिकल गार्डन के शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि पौधों में आपसी रिश्तेदारी होती है। ऐसे में यहां के शोधकर्ता पौधों की ऐसी जंगली नस्लों की खोज कर रहे हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन जंगली पौधों में भारी बारिश या सूखे की स्थिति में, कीड़ों, बीमारियों और विकट से विकट स्थिति में आबोहवा में अपने को ढाल चुके हैं। ऐसे में इनकी खूबियों अन्य पौधों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभावी हैं। इसलिए इनकी तमाम खूबियां लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में काम आ सकती हैं।

एंसेट पौधे में हैं चमत्कारी गुण

उदाहरण के तौर पर एक ऐसा जंगली पौधा है एंसेट। यह पौधा जंगली नस्ल का है और अफ्रीकी देश के इथियोपिया में होता है। यह एक तरह से केले के पौधे के समान ही दिखता है। मगर इस एंसेट पौधे के चमत्कारी रूप सामने आए हैं। इथियोपिया के लोग इस पौधे को खाते भी हैं और जानवरों के चारे के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। लोग इसे आलू की तरह उबालकर खाते हैं और सूप बनाते हैं। इतना ही नहीं, एंसेट पौधे से दवाएं और चटाई भी बनाई जाती है। यहां के लोग इन पौधों को घर बनाने में भी उपयोग करते हैं। इस पौधों का इस्तेमाल कपड़े बनाने में भी किया जाता है। बड़ी बात यह है कि इस पौधे की खूबियां यहीं खत्म नहीं होती है। एंसेट पौधा किसी भी परिस्थति में अपने आपको ढाल सकने में सक्षम है यानि बाढ़ की स्थिति हो, या फिर सूखा हो, या तूफान की स्थिति हो, यह पौधा खुद को बचा सकता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का यह प्रयास है कि इस पौधे को दूसरे देशों में उगाया जा सके ताकि इसकी चमत्कारी उपयोगिता काम आ सके।

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आपस में देते हैं संदेश

हर्बल विषयों के जानकार दीपक आचार्य ने अपने एक लेख में लिखा है कि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिराफ और ऊंट जब बबूल के ऊंचे पेड़ों की शाखाओं पर किनारों पर लगी ताजी हरी पत्तियों को खाने जाते है और जैसे ही पहले पौधे पर मुंह मारते हैं, कुछ ही देर में इस पौधे की पत्तियों से एक विशेष प्रकार की जहरीली गैस का रिसाव होता है जो हवा के माध्यम से नजदीक के बबूल के पेड़ों तक पहुंच जाती है, तुरंत नजदीकी पेड़ अपनी रक्षा के लिए जहरीले टोक्सिंस को पत्तियों की सतह पर ले आते हैं और जब ये जानवर नजदीकी दूसरे पेड़ों पर मुंह मारते है तो पत्तियों की कड़वाहट इन्हें बबूल के पेड़ों से दूर होने पर मजबूर कर देती हैं।

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दुनिया में असंख्य पेड़-पौधे हैं। आइए, आपको दुनिया में मौजूद ऐसे विचित्र पौधों के बारे में बताते हैं, जिन्हें शायद ही आप जानते हों। इनका स्वाभाव और प्रकृति आश्चर्यचकित करने वाली है।

कीटों को खाने वाले पौधे

इन्हें कीटभक्षी या मांसाहारी पौधे कहते हैं, जो कीटों को खा जाते हैं। ऐसे पौधों की 975 प्रजातियां कई देशों में पाई जाती है, इनमें से 30 प्रजातियां भारत में ही पाई जाती हैं। असल में इन पौधों को जीवन के लिए नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है और नाइट्रोजन को प्राप्त करने के लिए आस-पास से गुजरने वाले कीटों को खा जाते हैं। ये मांसभक्षी पौधे शिकार को पकड़ने के लिए कई तरह के तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, मगर मुख्यत: ये दो प्रकार के हैं, जिनमें निष्क्रिय और सक्रिय है। ड्रासेरा, ड्रायोनिया, अट्रिकुलेरिया, एरिस्टोलोकिया जैसे सैकड़ों पौधे ऐसे हैं जो कीटभक्षी पौधे कहलाते हैं।

रोने वाले पौधे

ऐसा नहीं है कि केवल मनुष्य और पशु ही दु:ख के समय रोते हैं। एक पेड़ ऐसा भी है जिसको काटने पर या उखाड़े जाने पर एक बच्चे की तरह रोने लगता है। यह फेनरी द्वीप में पाया जाने वाला लाउरेल नाम का एक वृक्ष है। यह काफी हद तक मेंढक की आकृति में होता है।

घूमने वाले पेड़

आमतौर पर पेड़-पौधे अपनी जगह पर स्थिर होते हैं और उतने ही क्षेत्र में विकसित होते हैं। मगर अमेरिका के मेनग्रोव नाम से एक ऐसा पौधा है जो एक जगह से दूसरी जगह तक घूमता रहता है। इन पौधों को घुमक्कड़ पौधे भी कहते हैं। हालांकि इनकी गति मंद होती है, मगर कई किलोमीटर तक अपना सफर पूरा करते हैं। ये सैकड़ों फीट तक ऊंचे भी होते हैं।

रोशनी देते हैं ये पौधे

भारत में हिमालय के आसपास 'सोम औषधि' नाम से एक ऐसा पौधा पाया जाता है जो रात के अंधेरे में हीरे की तरह चमकता है। इस पौधे की विशेषता यह भी है कि एक माह में 15 दिन तक इस पौधे में पत्ते रहते हैं। इसके बाद इसकी सभी पत्तियां गिर जाती है और सिर्फ सूखी लकड़ी रह जाती है, जो हीरे व रेडियम की तरह चमकती है। अमावस्या की रात में इसकी सभी पत्तियां झड़ जाती हैं। इसके अलावा कुकुरमुत्ते की कुछ ऐसी प्रजातियां है, जो रात में कई रंग का सुनहरा प्रकाश फैलाते हैं।

आवास देने वाले पेड़

ऐक ऐसा पेड़ भी है, जो आदमी बड़े आराम से रह सकता है। यह पौधा (पेड़) अफ्रीका में पाया जाता है और इसका नाम वाओवस है। इसकी खासियत यह है कि यह पौधा उलटा दिखाई देता है। इसके पुराने पेड़ खोखले होते हैं और जिसमें कम से कम दस आदमी रह सकते हैं। इतना ही नहीं, इसके मोटे तने को पानी का भंडारगृह माना जाता है।

ये पेड़ जला देता हैं घास

छोटा नागपुर में एक पेड़ काला कोरैया है। इसकी खूबी यह है कि इस पेड़ की छाया जहां तक पड़कती है वहां तक सारी घास पूरी तरह जल जाती है। इतना ही नहीं, मिट्टी का रंग भी काला हो जाता है।

पानी देने वाले पौधे

एक ऐसा पौधा भी है, जो पानी अपने पास भंडारित करता है। यह पौधा अंडमान व निकोबार क्षेत्र में पाया जाता है और इसका नाम वुंकबाबे है। इसे एक अन्य नाम केलेमस अण्डमानिक्स से भी पुकारा जाता है। असल में यह पौधा अपने पर्णवृन्त में पानी को भंडारित करता है। ऐसे में यहां रहने वाले आदिवासियों को जब प्यास लगती है और अगर आसपास कोई पानी का स्त्रोत नहीं है तो वे इसी पौधे से अपनी प्यास बुझाते हैं। इसके पत्तों की बनावट प्यालों की तरह होती है

दो पत्तों में काटता है 1500 साल

यह दुनिया का सबसे प्रतिरोधी पौधा है और नामिबीया के रेगिस्तान में पाया जाता है। इस पौधे का नाम वेलविशिया माइराबिलिस है और इसकी जिंदगी 400 से 1500 साल तक हो सकती है। इस पौधे में खास बात यह है कि यह हर मुश्किल का सामना कर लेता है और दो पत्तों के सहारे पूरी जिंदगी काट लेता है। इसकी जड़ काफी मोटी होती है और दिखने में यह पौधा काफी भयावह लगता है।

पानी को जमा देने वाला पौधा

एक ऐसा पौधा भी है, जो बर्फ बनाता है। इस पौधे को वाटर फ्रीजर नाम से पुकारा जाता है। असल में इसकी पत्तियों और तने के रस को पानी में कुछ बूंदे डाल देने से वह पानी बर्फ में तब्दील हो जाता है। यही कारण है कि इसे जल जमनी पौधे के नाम से भी जाना जाता है।

मक्खन देने वाला पेड़

एक ऐसा पौधा (पेड़) भी है, जिसके फल में मक्खन जैसा सफेद और चिकना पदार्थ निकलता है। इसका रंग, स्वाद और खुशबू भी बिल्कुल मक्खन की तरह होती है। इतना ही नहीं, यह बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट भी होता है। यह पेड़ उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है। इसके फल अखरोट की तरह कड़े आवरण के होते हैं। इसे दो सालों तक बिना खराब हुए सुरक्षित रखा जा सकता है।

सूक्ष्म पौधे नहीं देख पाते हम

कुछ पौधे बहुत छोटे होते हैं, जिन्हें हम अपनी निगाहों से नहीं देख सकत हैं। इन पौधों को देखने के लिए हमें सूक्ष्मदर्शी यंत्र की जरुरत लेनी पड़ती है। क्लेमाइडोमोनास, स्पाइरोगाइंरा और बालवाक्स कुछ ऐसे ही जलीय पौधों के नाम हैं, जिन्हें हमें देखने के लिए यंत्र का उपयोग करना पड़ेगा।

शर्माने वाले पौधे

एक पौधा ऐसे भी है, जिसको छू लेने से या हिला देने से अपनी पत्तियों को सिकोड़ कर बंद कर लेता है। यह माइमोसा पुडिका नाम से जाना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लोग छुईमुई या लाजवंती के नाम से भी पुकारते हैं। अपनी पत्तियों को सिकोड़ लेने के एक मिनट के बाद यह अपनी पत्तियों को खोलता है।

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