आने वाले समय में कितना कारगार हो सकेगा ऑड इवेन फॉर्मूला?

Kushal MishraKushal Mishra   12 Nov 2017 5:02 PM GMT

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आने वाले समय में कितना कारगार हो सकेगा ऑड इवेन फॉर्मूला?फोटो: इंटरनेट

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर के आसमान पर जहरीली धुंध की मोटी परत चढ़ने के बाद एक बार फिर ऑड-इवेन फॉर्मूला का जिन्न बाहर निकल आया है। भारतीय हरित अभिकरण (एनजीटी) की फटकार के बाद कड़ी शर्तों के साथ ऑड इवेन फॉर्मूले को दिल्ली में लागू करने को लेकर सरकार ने सहमति नहीं जताई है। मगर इससे इतर प्रश्न यह भी उठता है कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए जिस ऑड इवेन फॉर्मूले का सहारा लिया जा रहा है, क्या आने वाले समय में यह फॉर्मूला कारगार हो सकेगा?

बड़ी बात यह है…

शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जब आप सड़क पर जाम से न जूझते हों, इसका सबसे बड़ा कारण-बढ़ती गाड़ियों की संख्या। जिस तरह सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, उसको देखते हुए यह फॉर्मूला खरा उतरता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। बर्नस्टेन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2040 तक पूरी दुनिया में कार और हवाई जहाज दोनों की संख्या दोगुनी होने जा रही है।

कार की संख्या पर गौर करते हैं

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में दुनियाभर में कारों की संख्या 1.1 अरब रही है। अगर अगले एक दशक यानि वर्ष 2025 में गौर करें तो कारों की संख्या में 1.5 अरब पहुंच सकती है। बड़ी बात यह है कि इससे आगे वर्ष 2040 तक कारों की संख्या में लगभग दोगुना इजाफा हो जाएगा, यानि 2040 तक कारों की संख्या 2.0 अरब होने की संभावना है।

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ट्रकों की संख्या पर भी नजर डालिए

अब कारों से इतर अगर ट्रकों की बढ़ती संख्या पर नजर डालते हैं, वर्ष 2040 तक विश्व में ट्रकों की संख्या में भी दोगुने से ज्यादा इजाफा होगा। बर्नस्टेन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में दुनियाभर में 37.7 करोड़ ट्रक हैं और अगले दस सालों में यानि 2025 में इन ट्रकों की संख्या 50.7 करोड़ होने की संभावना है। वहीं, वर्ष 2040 तक ट्रकों की संख्या 79 करोड़ होने की संभावना है, यानि आज से दोगुना ज्यादा ट्रकों की संख्या।

हवाई यात्रा पर सबसे ज्यादा बढ़ेगा दबाव

बर्नस्टेन की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 25 सालों में आबादी में भी 27.7 प्रतिशत का इजाफा होगा, ऐसे में आबादी बढ़कर 9.2 अरब हो जाएगी। बढ़ती आबादी को देखते हुए उड़ान के लिहाज से हवाई जहाज की संख्या और सफर आज से दोगुना होगा। यहां हवाई जहाज के सफर के आंकड़ों को एयरलाइंस में सफर करने वाले यात्रियों के वॉल्यूम के आकलन से मापा गया है। वर्ष 2015 में 9 टन रेवेन्यू पैसेंजर किलोमीटर है, वहीं 2025 में यह आकलन 12 टन रेवेन्यू पैसेंजर किलोमीटर होगा और 2040 में यह 20 टन रेवेन्यू पैसेंजर किलोमीटर तक पहुंच जाएगा।

हवाई यात्रा में सबसे तेज होगा इजाफा

हवाई यात्रा जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ माना जाता है। ऐसे में सबसे तेज इजाफा हवाई यात्रा में होगा। रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2040 तक हवाई जहाज के सफर में 122.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, वहीं ट्रक में 109.5 प्रतिशत और कार में 81.8 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना है।

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यातायात में इजाफा चीन और भारत में सबसे ज्यादा

विश्व में चीन और भारत में सबसे ज्यादा यातायात में इजाफा देखने को मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार पेट्रोल की मांग में चीन जहां अगले दशक तक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बाजार होगा, वहीं डीजल की मांग में भारत अगले दस सालों में सबसे महत्वपूर्ण बाजार होगा।

अब बात ऑड इवेन फॉर्मूला की

जहां तक हाल में दिल्ली में ऑड इवेन नियम को तीसरी बार फिर से लागू करने की बात उठी थी, उस पर दिल्ली की आप सरकार घेरे में आई थी। तब आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में स्वीकारा था कि ऑड इवेन नंबर नियम वायू प्रदूषण को रोक पाने में कोई स्थाई समाधान नहीं है। दिल्ली के परिवहन मंत्री के तौर पर दो बार ऑड इवेन नंबर नियम लागू करा चुके गोपाल राय ने कहा था, “मेरा अनुभव है कि यह कवायद प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सिर्फ जनभागीदारी तो सुनिश्चित कर सकती है, लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं बन सकती है। प्रदूषण जनित धुंध की समस्या के लिए धूल सबसे बड़ी वजह नहीं है। इसकी मुख्य वजह वाहनों का धुंआ है, जो पीएम 10 कणों की वजह माने जाने वाले धूल कणों को भी पीएम 2.5 की श्रेणी में ला देते हैं।“

दिल्ली में वाहनों की संख्या 1 करोड़

दिल्ली की आबादी 1 करोड़ 70 लाख है, जबकि दिल्ली में ही वाहनों की संख्या लगभग 1 करोड़ है। सिर्फ इतना ही नहीं, राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण दिल्ली में हर दिन दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में गाड़ियां प्रवेश करती हैं। दूसरी ओर की तस्वीर यह भी है कि दिल्ली में इससे पहले भी दो बार ऑड इवेन फॉर्मूले को लागू किया गया, मगर सरकार ने साफ नहीं किया कि ऑड इवेन से प्रदूषण स्तर कम होने पर क्या नतीजे निकले।

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सबसे पहले कहां लागू हुआ ऑड इवेन फॉर्मूला और क्या रहा असर

सबसे पहले ऑड इवेन का फॉर्मूला वर्ष 1984 में मैक्सिको की राजधानी में लागू किया गया था और सड़कों पर ऑड और इवेन नंबर के निजी वाहनों का पालन न किए जाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया गया था। इस पहल से वायु प्रदूषण में 11 प्रतिशत की गिरावट भी दर्ज की गई। मगर दूसरी ओर की तस्वीर यह है कि लंबे समय तक इस नियम का पालन होने की वजह से लोगों ने ऑड और इवेन दोनों ही नंबरों की गाड़ियों को खरीदना शुरू कर दिया। ऐसे में नई समस्या यह सामने आई कि सड़कों में गाड़ियों की संख्या में बड़ा इजाफा देखने को मिला और असर यह हुआ कि प्रदूषण में इजाफा और ज्यादा हो गया। अंत में वहां की सरकार को ऑड इवेन फॉर्मूले को रद्द करने का फैसला लेना पड़ा।

बीजिंग से तुलना करना ज्यादा बेहतर

दिल्ली की जनसंख्या, क्षेत्रफल और गाड़ियों की संख्या पर गौर करें तो दिल्ली की तुलना बीजिंग से किया जाना बेहतर है क्योंकि लगभग इतनी ही जनसंख्या और गाड़ियों की संख्या बीजिंग में भी है। बीजिंग में भी इससे पहले तीन बार ऑड इवेन के फॉर्मूले का इस्तेमाल किया गया। सिर्फ इतना ही नहीं, नई गाड़ियों की बिक्री पर भी रोक लगाई गई। फॉर्मूले के इस्तेमाल पर वहां की सरकार ने माना कि प्रदूषण स्तर गिरावट आई है, मगर बाद में शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा भी। ऐसे में बीजिंग में सरकार सार्वजनिक वाहनों के इस्तेमाल किए जाने को बढ़ावा देने के साथ कई अन्य कदमों पर काम कर रही है।

इसी साल चीन ने भी झेला है जहरीली धुंध का प्रकोप

इसी साल की शुरुआत में चीन की राजधानी बीजिंग समेत अन्य 71 शहरों में पांच दिनों तक धुंध छा गई थी। इस जहरीली धुंध की परत आसमान में इतनी मोटी थी कि चीन के हेबेई प्रांत की राजधानी शीजीआझुआंग के हवाईअड्डे पर एक दिन में 164 उड़ानों का आगमन और प्रस्थान रद्द किया गया था। सिर्फ इतना ही नहीं, बीजिंग के छह एक्सप्रेसवे अस्थायी तौर पर बंद कर दिए थे।

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