भूख ने बनाया शतरंज का नेशनल चैंपियन

Mithilesh DharMithilesh Dhar   20 Aug 2017 2:48 PM GMT

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भूख ने बनाया शतरंज का नेशनल चैंपियनफियोना मुटेसी।

लखनऊ। जब वह नौ साल की थी तब उसके पिता की मौत हो गयी। घर छिन गया। वह अपनी मां और भाई के साथ युगांडा की राजधानी कंपाला की सबसे गरीब बस्ती केतवा पहुंचती है। केतवा मतलब ऐसी जगह जहां न खाने का ठिकाना और न ही पानी का, सोने की छत भी नहीं। तमाम परेशानियों के बावजूद इसी बस्ती से शुरुआत होती है एक ऐसी लड़की की कहानी जो इस समय पूरे युगांडा के लिए गौरव है। डिज्नी चैनल ने संघर्ष की इस कहानी पर एक फिल्म भी बनायी जो हाल ही में रिलीज हुई।

हम बात कर रहे युगांडा की 20 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी फियोना मुटेसी की। फियोना ने जब पहली बार लोगों को शतरंज खेलते हुए देखा तो उसे लगा कि ये जूआ है। फियोना कहती हैं कि युगांडा जैसे देश में ऐसे खेल में खुद को स्थापित करना मुश्किल है। खासकर तब जब आप बेहद गरीब परिवार से हों। फियोना बताती हैं कि जब हमने अपना घर खो दिया तो हम झोपड़ी में रहने लगे। मेरे भाई ने मुझे शतरंज खेलते हुए देखा और मुझे एसओएम चेस एकेडमी ले गया। जब मैं वहां पहुंची तो तीन दिन से भूखी थी। मेरे भाई ने एकेडमी के संचालक से कहा कि आप इसे खाना दे दो, ये अच्छा खेलती है। और फिर वहीं से मेरा जीवन बदल गया। यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार युगांडा में लगभग 68 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।

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खाने के लिए खेलना शुरू किया

2005 में जब फियोना नौ साल की थीं तब उन्होंने शतरंज खेलना शुरू किया। एकेडमी के कोच रॉबर्ट कटेन्डे ने फियोना को खेल की बारीकियां सिखाना शुरू किया। रॉबर्ट बताते हैं कि वे शतरंज के अच्छे खिलाड़ी तैयार करना चाहते थे। उन्हें लगा कि फियोना अच्छी खिलाड़ी बन सकती है। फिओना को बस अच्छा खाना चाहिए था और मुझे अच्छा खिलाड़ी। रॉबर्ट उसके खेल समर्पण को लेकर उत्साहित थे। एबीसी न्यूज के अनुसार फियोना ने छह महीने बाद ही अपने से बड़े खिलाड़ियों को हराना शुरू कर दिया, और ऐसे खिलाड़ियों के लिए चुनौती पेश की जो बड़े टूर्नामेंट जीत चुके थे।

2009 में जीता पहला खिताब

2009 में फियोना ने सुडान में जूनियर चैंपियनशिप का खिताब जीता। फियोना उस टूर्नामेंट के बारे में बताती हैं कि वहां जीतना मेरे जीवन का सबसे अच्छा पल था। वहां मैं पहली बार होटल में रुकी, वहां के टॉयलेट में फ्लश था। पहली बार बेड पर सोयी। उससे पहले मैं अपने भाई के साथ चद्दर बिछाकर जमीन पर सोती थी।

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फियोना की ये जीत रॉबर्ट कटेन्डे के लिए भी जरूरी थी। रॉबर्ट बताते हैं कि वह समय ऐसा था जब लगा कि मुझे अब अपनी सोच से आगे सोचना पड़ेगा। वहां से मैंने ये प्रयास करना शुरू कर दिया कि फियोना के खेल को और कैसे निखारा जाये। इसके लिए मैंने फियोना को शारीरिक और मानिसक रूप से मजबूत बनाया। फियोना ने रूस, तुर्की और अफ्रीका में कई टूर्नामेंट जीते और युगांडा की नेशनल प्लेयर बन गयीं। फियोना की प्रतिभा का लोहा पूरे अफ्रीका ने माना।

मां के लिए घर खरीदा

अपनी खेल की बदौलत फियोना के लिए सबसे अच्छी बात ये रही कि उन्होंने अपनी मां के लिए एक घर खरीदा। फियोना ने बताया कि जब शतरंज से मैंने पैसे कमाये तो अपने कोच से बात की और कहा कि इन पैंसों से मैं सबसे पहले घर खरीदना चाहती हूं। फिर शहर से दूर एक घर खरीदा जहां फियोना अपनी मां के साथ रहती है।

न्योंग ओ।

डिज्नी ने बनायी फिल्म

युगांडा में इन दिनों फियोना की चर्चा किसी और वजह से है। डिज्नी चैनल ने फियोना को लेकर एक फिल्म बनायी है जिसका नाम क्वीन ऑफ केतवा है। फिल्म को मीरा नायर ने डायरेक्ट किया है। पूरे युगांडा में इस समय इस फिल्म की स्क्रीनिंग की गयी। फिल्म में फियोना का रोल लुपिता न्योंगओ निभाया जो स्टार वार और द जंगल बुक जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। इसके अलावा फिल्म में डेविड आवेलेयो और मदीना नलवांगा मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म में फियोना की भूमिका निभा रहीं न्योंग ओ कहती हैं कि फियोना के बारे में पूरी दुनिया को जानना चाहिए। हमको प्रेरणा लेनी चाहिए कि हम किसी भी हालात में हों, अगर दृ़ढ़ संकल्प लें तो हम जो चाहते हैं वो कर सकते हैं। फियोना इस समय दसवीं में पढ़ रहीं हैं और भविष्य में बेहतर खिलाड़ी बनने के साथ-साथ वकील भी बनना चाहती हैं. फिओना ने बताया कि वे अपने जैसे बच्चों के लिए सहारा बनना चाहती हैं।

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