धुंध कम करने के लिए कांटेदार और औषधीय पौधे लगाना आवश्यक 

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धुंध कम करने के लिए कांटेदार और औषधीय पौधे लगाना आवश्यक कार्यक्रम में जानकारी देते अधिकारी।

रिपोर्ट: सुधा पाल

लखनऊ। सीएसआईआर के भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीईआर) के वैज्ञानिकों कहना है कि स्मॉग (प्रदूषित धुंध) को भविष्य में कम करने के लिए कांटेदार पौधों को लगाना आवश्यक है। यह जानकारी मंगलवार को एक आउटरीच कार्यक्रम के दौरान नागरिकों को दी गई। यह कार्यक्रम आम नागरिकों में वैज्ञानिक समझ और स्वभाव में वृद्धि करने के उद्देश्य से रखा गया। इस संबंध में वहां पर मौजूद वैज्ञानिकों और स्कूली छात्रों से बातचीत भी की गई।

लोगों को किया जागरूक

आईआईटीईआर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक घटक प्रयोगशाला है। आउटरीच कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के पूर्व सभी अनुसंधान और विज्ञान तथा प्रद्योगिकी और अर्थ साइंस मंत्रालय के तहत रखा गया। राजधानी में आयोजित इस कार्यक्रम में सामाजिक संस्थाओं, हितधारकों और शैक्षिक संस्थानों से आए छात्रों ने भाग लिया। सीएसआईआर–आईआईटीआर को निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन, मुख्य अतिथि तथा विधायक आशुतोष टंडन के साथ डॉ विनय खन्ना, डॉ डी कार चौधरी, डॉ पूनम कक्कड़, योगेश्वर शुक्ला और डॉ मणिक्कम वैज्ञानिकों में शामिल रहे। कार्यक्रम के दौरान दूषित वातावरण में फैले ज़हरीले केमिकल्स का विवरण देते हुए मानव शरीर और वातावरण पर होने वाले इसके प्रभाव के बारे में भी लोगों को जागरुक किया गया।

अधिक से अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाएं

इस अवसर पर वैज्ञानिकों एवं छात्रों के बीच एक प्रश्नोत्तर कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमे छात्रों द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछे गए और संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा सभी प्रश्नों के यथोचित समाधान दिए गए। संस्थान के वैज्ञानिक योगेश्वर शुक्ला ने बताया कि स्मॉग से दिल्ली समेत राजधानी भी ज़हरीले कैमिकल्स की चपेट में आ चुकी है। इसके लिग ज़रूरी है कि लोग अधिक से अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाएं। इसके साथ ही सावधानी के तौर पर मास्क का उपयोग करें। डॉ मणिक्कम ने बताया कि अच्छी सेहत के लिए भी हरा भरा वातावरण होना आवश्यक है। घरों में फूलों और पौधों को लगाकर वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर लोग स्वस्थ रह सकते हैं। पौधों से घर के बाहर व भीतर सभी जगह शुद्ध हवा व स्वस्थ वातारण बना रहता है। एरिका पाम, बोस्टोन फर्न, एलोवेरा, क्रिस्मस कैक्टस, ग्रीन तुलसी, पीपल 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले पौधों में शामिल हैं, जिससे घर में पूरे दिन ताजगी बनी रहती है। ये पौधे घरों में आसानी से लगाए जा सकते हैं। सेंसेवेरिया नामक पौधा हवा में मौजूद 107 प्रकार के कैमिकल्स को शुद्ध हवा में परिवर्तित करता है। इतना ही नहीं, ये पौधे 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं।

मिलावट को लेकर अच्छा कर रहे वैज्ञानिक संस्थान

मुख्य अतिथि तथा विधायक आशुतोष टंडन ने इस अवसर पर बड़ी संख्या में संस्थान में उपस्थित शैक्षिक संस्थानों से आए छात्रों से तकनीकी प्रगति और पर्यावरण सुरक्षा के बीच एक संतुलन कायम करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ज़बरदस्त प्रगति कर रहा है। मुख्य अतिथि ने खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगाने और स्वच्छ पानी के उत्पादन के लिए समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों की सराहना की। इस अवसर पर संस्थान की विभिन्न सफलता की कहानियों को 50 वर्षों की उपलब्धियों की प्रदर्शनी द्वारा दिखाया गया। वहीं, डॉ एसपीएस खनूजा, (निदेशक और मेंटर स्काइज़ लाइफ टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड) तथा केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर, लखनऊ) के पूर्व निदेशक ने एक लोकप्रिय विज्ञान पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जो कोई व्यवस्थित और तार्किक तरीकों का जीवन में उपयोग करता है वह विज्ञान का वास्तविक जीवन में प्रयोग कर रहा है।

हमें एक संतुलित वातावरण बनाना चाहिए जो जीवन को अनुकूल बनाने में उपयोगी हो।
आशुतोष टंडन, विधायक

मास्क की क्वालिटी पर ध्यान देने की ज़रूरत है। अच्छी क्वालिटी का मास्क ही वातावरण नें फैले हानिकारक और ज़हरीले कैमिकल्स से बचा पाएगा।
योगेश्वर शुक्ला, वैज्ञानिक

ज़ाइलीन जैसे ज़हरीले कैमिकल्स के संपर्क में आने से मानसिक रोग होने की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं। बच्चे हाइपरएक्टिव डिस्ऑडर का भी शिकार हो सकते हैं।
डॉ विनय खन्ना

    

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