इंटरनेट की दुनिया में भी जेंडर गैप, लड़कियों को लेकर ये कहते हैं आंकड़े

Anusha MishraAnusha Mishra   13 Dec 2017 5:25 PM GMT

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इंटरनेट की दुनिया में भी जेंडर गैप, लड़कियों को लेकर ये कहते हैं आंकड़ेइंटरनेट व महिलाएं

भारत के ज़्यादातर सेक्टर्स में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या काफी कम है। यही हाल इंटरनेट इस्तेमाल करने की संख्या के बारे में भी है। इस क्षेत्र में भी पुरुषों का दबदबा कायम है। हाल ही में ज़ारी हुई यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली कुल संख्या में महिलाओं की संख्या केवल 29 फीसदी ही है।

यूनिसेफ द्वारा ज़ारी स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रेन 2017 चिल्ड्रेन इन ए डिजिटल वर्ल्ड नामक एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सूचना और संचार तकनीक (आईसीटीसी) का इस्तेमाल करने में गाँवों में अभी लड़कियों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान के एक गाँव के लोगों का कहना है कि उनके गाँव की लड़कियों को सोशल मीडिया और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना मना है। वहीं उत्तर प्रदेश के एक गाँव में अविवाहित लड़कियों के मोबाइल इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा है, यहां तक कि जींस पहनने पर भी।

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अध्ययन के मुताबिक, दुनिया में 2017 में महिलाओं की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक पुरुषों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया। दुनिया में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों में 56 प्रतिशत संख्या पुरुषों की है और 44 प्रतिशत महिलाओं की। भारत में, एक तिहाई से कुछ कम महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। इसमें उल्लेख किया गया है कि डिजिटल दुनिया से लड़कियों को दूर रखने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सिर्फ इंटरनेट ही नहीं मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के मामले में भी महिलाओं की संख्या पुरुषों से काफी कम है। अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उद्योग निगरानी संस्था जीएसएम एसोसिएशन के अनुसार, महिलाओं की तुलना में 114 मिलियन ज़्यादा पुरुष मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

पैसों की कमी भी एक वजह

यूनिसेफ का मानना है कि मोबाइल या इंटरनेट तक पहुंच न होने की एक वजह उनकी कीमत भी है। वैश्विक आंकड़ों की बात करें तो जो लोग दिन में 2 डॉलर ( लगभग 128 रुपये) से कम कमाते हैं, उनके लिए किसी मोबाइल की कीमत उनकी सालाना कमाई का लगभग 16 प्रतिशत है। ऐसे में उनके लिए मोबाइल पर इतने रुपये खर्च करना मुनासिब नहीं होता। जो लोग मोबाइल खरीद भी लेते हैं उनके लिए इंटरनेट पर रुपये खर्च करना आसान नहीं होता। यूनाइटेड नेशन ने 2011 में एक रिपोर्ट ज़ारी की थी जिसमें उसने इंटरनेट के इस्तेमाल को लोगों का अधिकार बताया था और ये भी कहा था कि इसके लिए मोबाइल डाटा की कीमतों में कमी की जाए।

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युवा हैं सबसे आगे

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट इस्तेमाल करने के मामले में युवा (15 से 24 साल के) सबसे आगे हैं। दुनिया में लगभग 71 प्रतिशत युवा इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इस मामले में अफीक्रा अभी काफी पीछे है। यहां के लगभग 60 प्रतिशत युवा इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते।

भारत में 4जी स्पीड सबसे कम

कुछ दिनों पहले ही इंटरनेट स्पीड का विश्लेषण करने वाली संस्था ओपन सिग्नल की एक नई रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 4जी एलटीई स्पीड के मामले में भारत 77 देशों की लिस्ट में आखिरी नंबर पर है। इसी साल जून में 75 देशों में भारत की रैंकिंग 74 थी। भारत से ज्यादा बुरे हालात सिर्फ कोस्टा रिका के थे, लेकिन अब कोस्टा रिका भी इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत से आगे निकल चुका है।

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क्या नहीं है पसंद

इस रिपोर्ट के लिए यूनिसेफ ने दुनिया के 24 देशों में सर्वे किया जिसमें लगभग 40 लाख (13 से 24 साल के) लोग शामिल हुए। सर्वे में सवाल किया गया कि उन्हें इंटरनेट पर क्या नहीं पसंद है तो 33 प्रतिशत लेागों का जवाब था - गैर ज़रूरी सेक्स कंटेट, 23 प्रतिशत ने हिंसा को नापसंद किया।

तो बढ़ जाएगी इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या

भारत सरकार गाँवों में इंटरनेट की पहुंचा आसान बनाने के लिए भारतनेट नाम की परियोजना ला रही है। जिसका लक्ष्य देश की सभी 2.50 लाख ग्राम पांचयतों को इंटरनेट से कनेक्ट करना है। सरकार ने इसके लिए 2019 तक का समय निर्धारित किया है। ऐसी उम्मीद है कि इस परियोजना के लागू होने के बाद भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होगा। इस परियोजना को अक्टूबर 2011 में मंजूरी दी गई थी। लेकिन, भारत में इंटरनेट के लिए जरुरी बुनियादी ढांचा इतना कमजोर है कि अच्छी स्पीड मिलना काफी दूर की बात लगती है। यही कारण था कि मार्च 2013 तक सिर्फ पायलट प्रोजेक्ट शुरू ही शुरू पाए। पहले केंद्र सरकार ने इसे 2018 तक पूरा करने के लिए का लक्ष्य रखा था लेकिन इसे बढ़ाकर 2019 कर दिया गया है।

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