‘द जंगल बुक' को मिले यू/ए सर्टिफिकेट को लेकर बवाल

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मुंबई। डिज्नी की बाल फिल्म ‘द जंगल बुक' को सेन्सर बोर्ड द्वारा यू/ए सर्टिफिकेट दिया गया है, जिसके कारण बॉलीवुड और सोशल मीडिया में टीका-टिप्पणियों के चलते बवाल शुरू हो गया है। रुडयार्ड किपलिंग की कहानियों पर आधारित ‘द जंगल बुक' एक अमेरिकी रोमांचित साहसिक फिल्म है, जिसके निर्देशक जॉन फेवरिओ हैं।

इस फिल्म को जस्टिन मार्क्स ने लिखा है और इसके निर्माता वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स हैं लेकिन यू/ए सर्टिफ़िकेट का मतलब होता है कि फिल्म को देखने के लिए माता-पिता के मार्गदर्शन की जरूरत है। ये फिल्म भारत में आज रिलीज की गई है जबकि अमेरिका में इसे एक हफ्ते बाद रिलीज किया जाएगा। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने पिछले साल जेम्स बॉन्ड की फिल्म ‘स्पेक्टर' में एक ‘किस' की अवधि को कम करके बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था लेकिन ‘द जंगल बुक' फिल्म को बहुत डरावनी होने के चलते यू/ए सर्टिफिकेट दिया गया है।

सेंसर बोर्ड का ये फ़ैसला लोगों को कतई रास नहीं आया। उन्होंने सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को हरी झंडी दिखाने को लेकर संवेदनहीन रुख अपनाने का आरोप लगाया। बॉलीवुड फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने बुधवार रात एक अवार्ड समारोह के दौरान कहा कि 'द जंगल बुक' को यू/ए सर्टिफिकेट मिलना बताता है कि ये देश कितना बावला हो गया है। हमने विवेक खो दिया है। ऐसा कहने के लिए मुझे खेद है अगर ‘जंगल बुक' को यू/ए सर्टिफिकेट मिल रहा है, तब तो सरकार को सीबीएफसी के बारे में कुछ गंभीरता से विचार करना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ''अगर आप मुझसे पूछते हैं कि क्या सीबीएफसी को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए, तो मेरा मानना है कि वो सीबीएफसी के लिए सही जगह है।'' जब यूए सर्टिफिकेट दिए जाने पर सीबीएफसी प्रमुख पहलाज निहलानी द्वारा दिए गए तर्क के बारे में पूछा गया, तो भट्ट ने बताया, ''मैं निहलानी के बारे में नहीं बोल रहा हूं। वो तो केवल उन लोगों की कठपुतली हैं, जिन्होंने उन्हें सीबीएफसी प्रमुख बनाया है। इसमें कुछ विलक्षण सोच होनी चाहिए। यदि ‘जंगल बुक' को यूए सर्टिफिकेट मिल सकता है, तो यह भारत के लिए लज्जा की बात है।''

 

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