एक अनार के अनेक फायदे

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अनार के बारे में कौन नहीं जानता? सारी दुनिया में अनार एक प्रचलित फल के तौर पर घरों के डायनिंग टेबल की शोभा बढ़ाता है। अनार के औषधीय गुणों की वकालत दुनियाभर के वैज्ञानिक भी खूब करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय जर्नल इविडेंस-बेस्ड कॉमप्लिमेंट्री एंड आल्टरनेटिव मेडिसिन में हालिया प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार दैनिक खाद्य शैली में एक गिलास अनार का रस अपनाकर 30 से 40 वर्ष (अधेड़ उम्र) के लोग और बुजुर्ग अपनी याददाश्त को बेहतर बना सकते हैं।

इस शोध को सत्यापित करने के लिए करीब 32 लोग जिन्हें याददाश्त को लेकर समस्याएं थी, को रिसर्च विषय बनाकर एक शोध की गई और इस रिसर्च के दौरान इन लोगों को अनार के फलों के रस की एक गिलास मात्रा प्रतिदिन एक महीने तक दी गई। एक महीने के बाद जब परिणाम प्राप्त किए गए तो जानकारी मिली कि अनार जूस याददाश्त को बेहतर करने के लिए अत्यंत कारगर है। अनार के जूस से याददाश्त में बेहतरी होने की शोध के अलावा अनार को एक बेहतर ब्रेन टोनिक भी माना गया है। शोधों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अनार के जूस में न्यूरो-प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं अर्थात इसके लगातार सेवन करने वाले व्यक्ति को ब्रेन हैमरेज जैसी घातक समस्याएं होने की संभावनांए नगण्य हो जाती हैं और परिणाम ये भी बताते हैं कि एल्जिमियर्स रोग में भी यह फायदा करता है।

अनार का जूस कार्डियो-वेस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है अर्थात यह ब्रेन की सेहत के लिए बेहतरीन होता है। माना जाता है कि ब्रेन से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त रोगियों को अनार का जूस जरूर पीते रहना चाहिए। अनेक शोध परिणामों से ज्ञात होता है कि माता के गर्भ में पल रहे बच्चे की बेहतर सेहत के लिए अनार जूस कारगर होता है, माना जाता है कि नाल में श्वसन क्रिया के दौरान कभी कभी होने वाले तनाव को रोकने में यह मददगार होता है। जोड़ दर्द अथवा आर्थरायटिस से ग्रस्त रोगियों के लिए अनार का जूस वरदान की तरह है, रोगियों को दिन में एक बार कम से कम 75 से 100 मिली अनार जूस जरूर पीना चाहिए, फायदा होता है।

शोध परिणामों से यह भी जानकारी मिली है कि अनार का रस प्रोस्टेट के दोहरेपन को रोकता है और प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम होता है अत: प्रोस्टेट कैंसर की संभावनांए होने या इसके होने के शुरुआती दौर में रोगी अनार का जूस पिलाना चाहिए, अत्यंत कारगर होता है। अनार का जूस शरीर में इंसुलिन की मात्रा को प्रभावित किए बगैर वयक्ति के वजन कम करने में मदद करता है। खाली पेट प्रतिदिन अनार का जूस पीने से वसीय कोशिकाओं का अपघटन होता है और आहिस्ता आहिस्ता वजन कम होता है।

प्रयोगशालाओं से प्राप्त क्लिनिकल परिणामों पर नजर डाली जाए तो जानकारी मिलती है कि अनार के दानों में एरोमाटेज नामक एंजाईम की क्रियाशीलता को कम करने का गुण होता है। दर असल एरोमाटेज एंजाईम एंड्रोजन को एस्ट्रोजन में बदलने का कार्य करता है जिससे अक्सर महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावनांए बढ़ जाती हैं। सैकड़ों साल से आजमाए जाने वाले इस आदिवासी फार्मुलों के असर को वैज्ञानिक परीक्षण के तौर पर भी सिद्ध किया जा चुका है। स्ट्रेप्टोकोकस मिटिस और स्ट्रेप्टोकोकस संगस नामक बैक्टीरिया की वजह से ही जिंजिवायटिस और कई अन्य मुख रोग होते हैं और इनकी वृद्धि को रोकने के लिए अनार के छिलके बेहद असरकारक होते हैं।

क्या कहता है पारंपरिक हर्बल ज्ञान?

  • ऐसा माना जाता है कि अनार के सेवन से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है और इसी वजह से यह हृदय के लिए भी खूब लाभदायक होता है। प्रतिदिन एक गिलास अनार का जूस पीने से सेहत तंदुरुस्त रहती है।
  • आदिवासियों की मान्यता के अनुसार जिन महिलाओं को मातृत्व प्राप्ति की इच्छा हो, अनार की कलियां उनके लिए वरदान की तरह है। इन आदिवासियों के अनुसार अनार की ताजी, कोमल कलियां पीसकर पानी में मिलाकर, छानकर पीने से महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि होती है।
  • लगभग 10 ग्राम अनार के पत्तों को आधा लीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इस काढ़े से कुल्ला करने से मुंह के छालों में लाभ होता है।
  • लगभग 100 ग्राम अनार के हरे पत्तों को 500 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी रह जाए, तो इसे छानकर 75 ग्राम घी और 75 ग्राम शक्कर मिलाएं। इसे सुबह-शाम पीने से मिरगी के रोग में खूब फायदा होता है।
  • पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लिए जाए और इसे मंजन की तरह दिन में २ से 3 बार इस्तेमाल किया जाए तो दांतों से खून आना बंद होकर दांत मजबूत हो जाते हैं।
  • लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण (लगभग 1 ग्राम) और सोंठ का चूर्ण (लगभग आधा ग्राम) मिलाकर पीने से पुरुषों में पेशाब के साथ वीर्य जाने की समस्या में बहुत लाभ होता है।
  • डाँग-गुजरात के आदिवासियों के अनुसार पेटदर्द और अतिसार में इसके पत्तों को अनारदानों के साथ पीसकर अदरक के रस के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
  • डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार अनार के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन अतिशीघ्र कम हो जाती है और दर्द में भी आराम मिलता है।
  • अनार छीलने के बाद छिलकों को फेंके नहीं, इन्हें बारीक काटकर मिक्सर में थोड़े पानी के साथ डालकर पीस लें। बाद में इसे मुंह में डालकर कुछ देर कुल्ला करें और थूक दें। दिन में करीब दो तीन बार ऐसा करने से मसूड़ों और दांतों पर किसी तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमण हो तो काफी हद तक आराम मिल जाता है। जिन्हें मसूड़ों से खून निकलने की शिकायत हो उन्हें यह फार्मूला बेहद फायदा करेगा।
  • पीलिया, बुखार और सर्दी खाँसी में, डाँग गुजरात के आदिवासी अनार और भुई आँवला की पत्तियाँ (5-5 ग्राम) लेकर पीस लेते हैं। एक गिलास पानी में इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिला दिया जाता है। दूसरी तरफ करीब 5 भिंडी की फल्लियां लेकर इन्हें बीच से चीरा लगा दिया जाता है और इन फल्लियों में नींबू का रस (करीब १ चम्मच) भी डाल दिया जाता है। इन फल्लियों को अनार और भुई आँवले के पानी में मिला दिया जाता है और रात भर डुबोकर रख देते हैं। अगली सुबह सारे मिश्रण को अच्छी तरह से पीसकर या ग्राइंड करके इसका प्रतिदिन इसका सेवन 2 बार लगातार 7 दिनों तक किया जाता है। माना जाता है कि पीलिया में यह काफी आराम दिलाता है।

 

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