एक था पराग कोऑपरेटिव

दिति बाजपेईदिति बाजपेई   8 April 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। घाटे से उबारने और निजी कंपनियों से टक्कर लेने के लिए यूपी सरकार पराग का चोला बदल कर जल्द सामने लाएगी। उत्पादों को बेचने के लिए नई कंपनी बनेगी। कर्मचारी इसे भंग करने की साजिश बता रहे हैं।

उत्तर प्रदेश प्रादेशिक को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड (पीसीडीएफ) करीब 30 वर्षों से गाँवों से दूध इकट्ठा कर उसे पराग ब्रांड से बेच रहा था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से पीसीडीएफ का घाटा बढ़ता जा रहा है। नई-नई निजी कंपनियों के मुकाबले पराग की बिक्री तेजी से गिरी और पीसीडीएफ घाटे में दब गया। इसे घाटे से उबारने के लिए नई कंपनी ‘पराग मिल्क मार्केटिंग लिमिटेड’ बनाई गई है।  

पीसीडीएफ के महाप्रबंधक एसके  प्रसाद बताते हैं, “बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, हम तकनीकी रुप से पिछड़े हुए थे। इसलिए अब नई रणनीति के तहत काम होगा। आंकलन के बाद जहां से नुकसान हो रहा था, उसे सही करने की कोशिश की जा रही है और नए-नए प्लांट लगाए जा रहे हैं।”

हालांकि नई कंपनी बनाने और घाटे के नाम पर पुराने कर्मचारियों को हटाने का विरोध भी जारी है। प्रदेशभर में तैनात सैकड़ों कर्मचारियों में से 730 ने वीआरएस ले लिया है। हालांकि वो कह रहे हैं ये जबरन है, और पीसीडीएफ के खिलाफ साजिश है। वहीं, इसके विरोध में पीसीडीएफ ट्रेड यूनियन के महामंत्री श्याम सुंदर शुक्ला बताते हैं, “स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नाम पर 700 से ज्यादा लोगों की नौकरी ले ली गई है। नई कंपनी में आउटसोर्स कर लोग रखे जाएंगे। नेता और अधिकारी अपने चहेतों को लगवाएँगे इसमें। प्रदेश के जो प्लांट पहले से हैं उनमें जरूरत का दूध नहीं मिल रहा है। उगर उन्हें थोड़े पैसे लगाकार दुरुस्त कर दिया जाए, तो रिकॉर्ड दुग्ध उत्पादन हो सकता है, नए प्लांट की जरूरत पैसे के बंदरबांट के लिए हैं।”

इस बारे में संयुक्त मोर्चा के महामंत्री शब्बीर अहमद बताते हैं, “यह किसानों और कर्मचारियों के खिलाफ साजिश है। लोगों की नजर दुग्ध संघ की करोड़ों रुपये की संपत्ति पर है।” जबकि पीसीडीएफ के उच्च अधिकारी इसे कोरी अफवाह बताते हैं। महाप्रबंधक शिव प्रसाद आनंद (पीसीएस) प्रशासन एवं कार्मिक बताते हैं, “पीसीडीएफ भंग करने की बात ही नहीं है। मुख्यमंत्री 12 अप्रैल को 14 जिलों में करीब 18000 करोड़ की योजनाओं और प्लांटों का शिलान्यास कर रहे हैं। हमारी कोशिश हैं कि पराग को सबसे बेहतर और भरोसेमंद ब्रांड बनाया जाए।”

संघ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “करीब 2100 कर्मचारियों और अधिकारियों की सैलरी पर ही करोड़ों रुपये खर्च हो रहे थे, एक-एक चपरासी की सैलरी 50-60 हजार तक थी, अब जब आउटसोर्स करेंगे तो वही काम 20 हजार वाला आदमी करेगा। पीसीडीएफ की पूरे प्रदेश में करीब 1700 समितियां और करीब 52 दुग्ध संघ हैं। दुग्ध संघों को अब मंडल स्तर पर समायोजित कर दिया गया है। मंडल के सभी जिलों का काम एक आदमी देखेगा। कोर्ट के आदेश पर बनी समिति में घाटे से उबरने के यही रास्ते निकाले गए थे।”

 

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