एक व्यक्ति की नेकी से पांच आदमियों को मिली जिंदगी

Arvind ShukklaArvind Shukkla   28 July 2016 5:30 AM GMT

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एक व्यक्ति की नेकी से पांच आदमियों को मिली जिंदगीgaonconnection

लखनऊ। सड़क हादसे में गोरखपुर के सुंदर सिंह (28 वर्ष) तो नहीं रहे लेकिन वो मरकर भी तीन लोगों को जिंदगी और दो लोगों की जिंदगी में रोशनी भर गए। सुंदर सिंह के परिजनों ने दोनों किडनी, लीवर और दोनों आंखें दान दी थी। KGMU की पहल पर शहर की यातायात पुलिस ने Green Corridor बनाकर लीवर को 23 मिनट में एयरपोर्ट और किडनियों को SGPGI ले जाया गया।

राजधानी में एक बार फिर Green Corridor बनाकर ब्रेनडेन व्यक्ति का लीवर KGMU से दिल्ली भेजा गया। एंबुलेंस लीवर को लेकर सुबह 11 बजे KGMU से रवाना हुई और 23 मिनट में 22 किलोमीटर का सफर तय कर अमौसी एयरपोर्ट पहुंची। यहां से लीवर को ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली ले जाया गया।

स्व. सुंदर सिंह की मौत ब्रेनडेड थी, जिसके बाद उनके परिजनों ने अंगदान की इच्छा जताई और KGMU के डॉक्टरों के संपर्क किया था। इसके बाद डॉ. अभिजीत चंद्र के नेतृत्व में स्व. सुंदर सिंह का लीवर दिल्ली भेजा गया और दोनों किडनियों को ट्रांसप्लान्ट के लिए SGPGI भेजा गया।

मृत सुंदर सिंह के लीवर को एयरपोर्ट तक ले जाने के लिए गुरुवार सुबह KGMU से यातायात पुलिस द्वारा हजरतगंज, राजभवन, कटाई पुल, अर्जुनगंज, शहीद पथ, आमौसी एयरपोर्ट तक Green Corridor बनाया गया था। इस दौरान शहरवासियों ने भी अपनी भूमिका निभायी और एम्बुलेंस को एयरपोर्ट तक पहुंचने में मदद की।

Green Corridor बनाने के लिए यातायात पुलिस ने पूरे इंतजाम किए थे। एसपी ट्रैफिक हबीबुल हसन ने बताया, "इस बार हमने लीवर को KGMU से एयरपोर्ट तक भिजवाने में 23 मिनट का समय लिया। उन्होंने बताया KGMU से एम्बुलेंस 11:02 बजे चली थी जो एयरपोर्ट पर 11 बजकर 24 मिनट पर एयरपोर्ट पहुंच गई थी। इसके लिए हर चेक प्वाइंट और चौराहों पर दो-दो पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। साथ ही इसमें सभी सीओ और एसपी लेवल के अधिकारी भी लगे हुए थे।"

उन्होंने बताया कि एंबुलेंस के आगे एक इंटरसेप्टर लगी थी जो ट्रैफिक को दुरुस्त करते हुए आगे बढ़ रही थी। इससे पहले 21 अप्रैल 2016 को जब एक लीवर Green Corridor के जरिये KGMU से एयपोर्ट भेजा गया था तो उसको एयरपोर्ट पहुंचने में 28 मिनट का समय लगा था।

जरुरत पड़ने पर आम आदमी भी बनवा सकते हैं Green Corridor: एसपी ट्रैफिक

हबीबुल हसन ने बताया कि बहुत से लोग सोचते हैं कि ऐसा किसी विशेष व्यक्ति के लिए किया जाता है। तो मैं बताना चाहता हूं कि ऐसा किसी आम व्यक्ति के लिए भी किया जाता है। मरीज का जीवन बचाने के लिए न केवल संस्थान, बल्कि आम आदमी भी Green Corridor की मदद ले सकता है। इसके लिए नियम यह है लगभग 2 घंटे पहले एसपी ट्रैफिक को सूचना देनी होती है जिससे तैयारी की जा सके। इसके लिए 9454401085 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।

मानव अंग को निश्चित समय में भेजने के लिए बनता है Green Corridor

मानव अंग को एक निश्चित समय के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए Green Corridor बनाया जाता है। इसमें पुलिस एम्बुलेंस को गुजरने वाले पूरे रूट को खाली करवाती है। एम्बुलेंस के आगे पुलिस की इंटरसेप्ट्र गाड़ी चलती है, ताकि उसकी स्पीड में कोई ब्रेक न लगे, इसलिए इस प्रक्रिया को 'Green Corridor' कहा जाता है। यदि फ्लाइट के जरिए उस अंग को ले जाया जाता है तो इसमें एयरपोर्ट अथॉरिटी की मदद भी ली जाती है। इसमें शहरवासियों से भी इसमें सहयोग की अपील की जाती है। फिलहाल यह सुविधा दिल्ली, कोची, चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु और लखनऊ में मौजूद है।

 

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