मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कमलनाथ की हुई जीत, सोमवार को लेंगे शपथ

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग में मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ का नाम चुन लिया गया है। विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुन लिया गया। कमलनाथ 14 दिसंबर को राज्यपाल आनंदी बेन से मिलने राजभवन पहुंच गए है।

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मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कमलनाथ की हुई जीत, सोमवार को लेंगे शपथ

नई दिल्ली। काफी जद्दोजहद के बाद मध्यप्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री के तौर पर चुन लिया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग में उनके नाम पर मुहर लगी, उसके बाद विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुन लिया गया। कांग्रेस पार्टी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद कमलनाथ ने कहा कि मुझे पद की कोई भूख नहीं है। अगला समय काफी चुनौती का है। यह पद मेरे लिए मील का पत्थर है।

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कांग्रेस की अगुवाई वाली पिछली सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे कमलनाथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस द्वारा सत्तारुढ़ भाजपा के खिलाफ जीत दर्ज करने के समय से ही मुख्यमंत्री पद के शीर्ष दावेदार थे। राज्य में पिछले 15 साल से भाजपा सत्ता में थी। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। कांग्रेस ने ट्वीट किया, ''कमलनाथ के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री निर्वाचित होने पर उन्हें हमारी शुभकामनाएं। उनकी कमान में राज्य में एक नये युग का सूत्रपात होने जा रहा है।''

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद के लिए चुने गए कमलनाथ 14 दिसंबर को राज्यपाल आनंदी बेन से मिलने राजभवन पहुंच गए है। वह वहां सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। इस दौरान उनके साथ दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी और अरुण यादव समेत कुछ नेता भी मौजूद रहेंगे।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक 17 दिसंबर को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में कमलनाथ मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह में बसपा प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हो सकते हैं। कमलनाथ ने अखिलेश यादव और मायावती को खुद ही फोन पर शपथ ग्रहण समारोह में आने का निमंत्रण दिया है।

बता दें कि दिल्ली में राहुल गांधी के घर हुई मैराथन बैठक के बाद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों भोपाल रवाना हुए थे। इन दोनों नेताओं के बीच ही मुख्यमंत्री पद की रेस थी। दोनों ही लोकप्रिय नेता हैं और अपनी अलग पहचान रखते हैं। कमलनाथ की पहचान एक अनुभवी वार्ताकार की रही है, लेकिन सिंधिया मध्यप्रदेश में ज्यादा लोकप्रिय चेहरा रहे हैं। कमलनाथ को दिग्विजय सिंह का भी समर्थन हासिल है तो वहीं, सिंधिया की वजह से कांग्रेस को ग्वालियर, चंबल संभाग में बड़ी जीत मिली है, जिसका उन्होंने दावा भी किया है।

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'इंदिरा गांधी मानती थी तीसरा बेटा'

मध्यप्रदेश में आठ महीने पहले जब कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था तो पार्टी में कई लोगों को याद आया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थीं, जिन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी। 39 साल बाद 72 वर्षीय कमलनाथ ने अब इंदिरा के पोते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में दमदार भूमिका निभाई। जनता के बीच 'मामा' के रूप में अपनी अच्छी छवि बना चुके एवं मध्यप्रदेश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार को चौथी बार लगातार सत्ता में आने से रोकने के लिए उन्होंने कड़ी टक्कर दी है।

इंपुट: एजेंसी।

         

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