एफसीआई की चौखट पर गेहूं की परीक्षा

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एफसीआई की चौखट पर गेहूं की परीक्षाgaoconnection

सुलतानपुर। केंद्र सरकार से जारी गेहूं खरीद का मानक खाद्य अफसरों के गले की फांस बन गया है। चालू सत्र में खेतों से आ रहे गेहूं में आठ से दस फीसदी तक सिकुड़न पाई जा रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने अधिकतम चार प्रतिशत तक ही सिकुड़न वाले गेहूं खरीदने की भारतीय खाद्य निगम को इजाजत दी है।

गुणवत्ता मानक में आ रहे दो गुने के फर्क से अफसरों के माथे पर पसीना आने लगा है। गेहूं खरीद तो रहे हैं, लेकिन क्वालिटी टेस्ट में इसे पास कैसे कराएंगे, यह एजेंसियों के लिए अनसुलझा सवाल बन गया है। बिना स्वीकृति मिले केंद्र सरकार खरीदे गए गेहूं का समर्थन मूल्य भी नहीं देगी। 

रबी सत्र 2016-17 के तहत जिले में गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिला खाद्य एवं विपणन, पीसीएफ, कर्मचारी कल्याण निगम, यूपी स्टेट एग्रो, उत्तर प्रदेश सहकारी संघ व भारतीय खाद्य निगम को एजेंसी बनाते हुए 37 क्रय केंद्र संचालित किए गए हैं। इन पर गेहूं बेचने वाले किसानों को 1525 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक्री धनराशि दी जा रही है। जून 15 तक नोडल एजेंसी को 48 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदना होगा। गेहूं में आठ से दस प्रतिशत तक सिकुड़न आने से भंडारण को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। 

मानक में दोगुने का फर्क

जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी ज्ञानचंद्र वर्मा कहते हैं कि एफसीआई चार प्रतिशत तक की सिकुड़न वाले गेहूं को ही खरीदेगी। एफसीआई की तरफ से मानक के प्रतिशत का डिमांड लेटर एजेंसियों को दे दिया गया है। विपणन अधिकारी अनिल पटेल के मुताबिक इस बार आठ से दस प्रतिशत तक दानों में सिकुड़न पाई जा रही है। इसे मानक के सापेक्ष दो गुने तक अंतर के तौर पर देखा जा रहा है। 

 

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