मैथिली लोकगीत: जब दूर जाकर याद आता है घर

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'मुझे दिल्ली, असम जैसी जगह पर रहना पसंद नहीं है, मुझे तो मिथिला नगरी ही अच्छी लगती है। इसलिए वापस चलो अपने गांव।'

जब परदेस में याद आती है अपने देश की। जब घर से दूर रहकर याद आती है घर की। ये मैथिली लोकगीत बयां करता है एक ऐसे ही इंसान की भावनाओं को, जो अपना शहर छोड़ एक नई जगह पर आया है। नए शहर में उसे कुछ नहीं अच्छा नहीं लग रहा है। उसे याद आ रहा है अपना घर, अपने लोग। वो वापस लौटना चाहता है।


ये गीत मैथिली लोकगीत है, जिसमें घर से दूर आकर व्यक्ति को याद आ रही है अपनी मिथिला नगरी की। मैथिली लोकगीत बिहार के मिथिलांचल में गाया जाता है। बिहारी भाषा समुदाय की भोजपुरी, मैथिली तथा मगही भाषाएं हैं। मैथिली भारत के बिहार और झारखंड राज्यों और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मीठी लगती है। मैथिली लोकगीत में मशहूर दूसरे गीत हैं विवाह, मुंडन और विदाई गीत।

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