गाँव के दूध उत्पादक ने शहरों में लगवाया दूध का एटीएम

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गाँव के दूध उत्पादक ने शहरों में लगवाया दूध का एटीएमगाँव कनेक्शन

इंटौजा (लखनऊ)। छोटे से कस्बे इंटौजा के एक पशुपालक ने अपने डेयरी फार्म का दूध बेचने के लिए ऐसा उपाय खोजा, जो देश के 80 प्रतिशत छोटे दूध उत्पादकों की वितरण की सबसे बड़ी समस्या का हल हो सकता है।

मुनिल मिश्रा (38 वर्ष) लखनऊ जिला मुख्यालय से उत्तर में 30 किलोमीटर दूर इंटौंजा कस्बे में पिछले चार वर्षों से डेयरी फार्म चला रहे हैं। देश के ज्यादातर दुग्ध उत्पादकों की तरह उनकी भी समस्या यही थी कि सरकारी एजेंसी कम दाम में दूध खरीदती थी, और खुदरा में दूध औने-पौने दाम बिकता। इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने पैसों के एटीएम की तरह ही खुद के मिल्क एटीएम की शुरुआत की। इस मिल्क एटीएम को उन्होंने अपने फार्म के साथ-साथ जल्द ही लखनऊ के गोमतीनगर के कई इलाकों में लगवाया।

मुनिल की डेयरी में रोज़ 300 लीटर दूध का उत्पादन होता है। पहले वे ये दूध पराग व अमूल कंपनी को 22 से 25 रुपए लीटर में बेचते थे, जिससे नुकसान होता था। अब वे अपने फार्म पर उत्पादित दूध के साथ ही आस-पास के उत्पादकों का दूध शहर में लगे एटीएम के ज़रिए 42 रुपए प्रति लीटर की दर से बेचते हैं। पशुपालकों द्वारा लाया गया, गाय का दूध मुनिल 32 रूपए प्रति लीटर और भैंस का दूध 35 रूपए प्रति लीतर में खरीदते हैं। 

''मिल्क एटीएम लग जाने से बहुत सुकून है, इससे शहर तक दूध बेचने में कोई भी परेशानी नहीं होती हैं साथ ही अब हमारे पास गाँव-गाँव से लोग दूध स्टोर कराने लाते हैं, इससे उन्हें जगह-जगह जाकर दूध बेचने की झंझट नहीं होती और हमारी भी कमाई हो जाती है" मुनिल ने बताया। लोहे की चादर से बने इस संयंत्र में दूध 18 घण्टों तक सुरक्षित रहता है। इससे लाने-ले जाने में दूध पीला नहीं पड़ता। 

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार भारत में दूध का उत्पादन तीन लाख से ज्य़ादा गाँवों में होता है पर इनमें से सिर्फ एक लाख बीस हज़ार गाँवों के संगठित उद्योग ही औद्योगिक स्तर पर दूध बेचने के लिए सक्षम हैं, इसका कारण ये है कि अधिकतर गाँव दूध की गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों को हासिल करने में चूक जाते हैं।

मुनिल के मिल्क एटीएम में दूध लाने वाले दुग्ध उत्पादक दिनेश के पास 15 भैंसे हैं। वो अपना पूरा दूध मुनिल के मिल्क एटीएम में ही बेचते हैं। ''पहले जो दूध बच जाता था उसे फेकना  पड़ता था, जिससे हमको काफ़ी नुकसान होता था अब पूरा दूध एक ही जगह पर बिक भी जाता है और दाम भी सही मिल जाता है" दिनेश ने बताया।

शुद्धता के दावे के चलते लोग भी इसे बहुत पसंद करते हैं। गोमती नगर एक्सटेंशन में रहने वाले अविनाश पाण्डेय (38 वर्ष) मिल्क एटीएम से ही दूध खरीदते हैं। वे बताते हैं, '' एटीएम से मिलने वाला दूध गाढ़ा और अच्छा रहता है। ऐसी सुविधा हर जगह होनी चाहिए।"

 

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