गाँवों में शादी के लिए कुंडली से पहले देख रहे बायोडाटा

Swati ShuklaSwati Shukla   29 July 2016 5:30 AM GMT

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गाँवों में शादी के लिए कुंडली से पहले देख रहे बायोडाटाgaonconnection

लखनऊ। शाहजहांपुर के भावलखेड़ा ब्लॉक की रहने वाली गुंजन मिश्रा (21 वर्ष) बताती हैं, “इण्टर में थी तभी मेरा बायोडाटा बनवाया गया था।

मेरा बायोडाटा हिन्दी में बनवाया गया था, जिसमें मेरी पसन्द और पढ़ाई की जानकारी दी गई थी। सिलाई-कढ़ाई, खाना बनना आदि। जब घरवाले शादी के लिए जाते हैं तो फोटो के साथ बायोडाटा भी भेजा ले जाते हैं।” गुंजन की कहानी एक नजीर है मगर ऐसा अब गाँवों में आम हो गया है। लड़के और लड़कियों के बायोडाटा के जरिए भी अब शादियां हो रही हैं। जिससे युगल एक-दूसरे को आसानी से जान पा रहे हैं।

गाँवों में एक समय था जब जिस युगल की शादी होती थी, वह कई बार शादी के दिन ही बमुश्किल एक-दूसरे को देख पाता था। माता-पिता या परिवार के बुजुर्ग शादियां तय कर देते थे और इस रिश्ते को मान लेना लड़का-लड़की के लिए अनिवार्य होता था मगर अब माहौल बदल रहा है। गाँवों में शादी के लिए अब बायोडाटा मांगे जा रहे हैं। समय के साथ-साथ लोगों की सोच में लगातार परिर्वतन हो रहे है। 

सीतापुर जिला मुख्यालय से 34 किलोमीटर दूर कमलापुर के थानापत्ती गाँव में रहने वाली आशा मिश्रा (24 वर्ष) बाताती हैं, “हम तीन बहनें हैं दो बहनों की शादी में बायोडाटा नहीं मांगे गए थे मगर मेरी शादी के लिए जब घरवाले जाते हैं तब उनसे बायोडाटा मांगा जाता है।

इसलिए घरवालों ने शहर से बायोडाटा बनवाया है। साथ ही में लड़के वाले भी अपना बायोडाटा भेजते हैं।” तहसील सिधौली के 23 किलोमीटर दूर पाण्डेय का पुरवा गाँव की रहने वाली पारुल पाण्डेय (28 वर्ष) बताती है, “मेरे पिता लखनऊ शहर में शादी के लिए लड़का देखने गए थे वहां पर बायोडाटा मांगा गया। पिता को इसके बारे में कुछ नहीं पता था वो हाईस्कूल और इण्टर की मार्कशीट लेकर गए। घर वापस आकर पूछने लगे ये क्या होता है? तब सिधौली से बायोडाटा मांगा जाता था।”

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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