मानो या ना मानो: सरकारी स्कूल प्राइवेट से ज्यादा खर्चा करते हैं

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मानो या ना मानो: सरकारी स्कूल प्राइवेट से ज्यादा खर्चा करते हैंगाँव के प्राथमिक स्कूल में बच्चे पढ़ाई करते हुए

लखनऊ। एक लाख पचासी हज़ार करोड़ रुपये। इतना खर्च होता है हर साल भारत में सिर्फ प्राइमरी शिक्षा पर। इसका ज्यादातर भाग अकेले शिक्षकों की तनख्वाह में जाता है फिर भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का स्तर नहीं सुधर रहा।

देशभर में सरकारी स्कूल, निजी स्कूलों के मुकाबले 50,000 करोड़ रुपए सालाना ज्यादा खर्चते हैं।

यदि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) यानि कुल खर्च के अनुपात में देखें तो प्राथमिक शिक्षा पर जीडीपी का 2.5 प्रतिशत यानि लगभग एक लाख पचासी हज़ार करोड़ रुपये खर्च होता है।

कुल 2.5 प्रतिशत के खर्च में से 1.75 प्रतिशत हिस्सा सरकारी और 0.71 प्रतिशत हिस्सा निजी स्कूलों पर खर्च होता है।

गाँव के प्राथमिक स्कूल में बच्चे पढ़ाई करते हुए

सरकारी स्कूल प्रति बच्चा, निजी स्कूलों से ज्यादा खर्चते हैं

प्राथमिक स्कूलों में प्रति बच्चा खर्च भी निजी स्कूलों से बहुत ज्यादा होता है। यदि कुछ राज्यों का उदाहरण देखें तो अंतर पता चलता है:

सरकारी स्कूल प्रति बच्चा, निजी स्कूलों से ज्यादा खर्चते हैं
गाँव के प्राथमिक स्कूल में बच्चे पढ़ाई करते हुए

राजस्थान में टीचरों की सैलरी पर सबसे ज्यादा खर्चा

देश के लगभग सभी राज्यों में प्राथमिक शिक्षा पर जितना भी खर्च होता है उसमें से आधे से ज्यादा हिस्सा केवल शिक्षकों की सैलरी देने में खर्च हो जाता है।

राज्य खर्च का प्रतिशत

फिर भी सरकारी स्कूलों के बच्चों का ज्ञान निजी स्कूलों से कम

आंकड़ों के अनुसार सरकारी स्कूलों के 22 प्रतिशत बच्चे ही भाग के सवाल हल कर सकते हैं, जबकि निजी स्कूलों में 32 प्रतिशत बच्चे भाग के सवाल कर सकते हैं।

इसी तरह सरकारी स्कूलों के महज़ 43 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा दो की किताब पढ़ सकते हैं, जबकि निजी स्कूलों में ऐसा कर पाने में सक्षम बच्चों का आंकड़ा 53 प्रतिशत तक है।

शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करने की ज़रूरत

शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव के अनुसार इतने ज्यादा खर्च के बाद और ज्यादातर शिक्षकों पर ही खर्च करने के बाद ज़रूरत इस बात की है कि शिक्षा स्तर के लिए टीचरों की जिम्मेदारी तय की जाए।

यदि ऐसा न हुआ तो वर्तमान स्थिति को देखते हुए अगर सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का स्तर निजी स्कूलों जितना लाने के लिए दो लाख 32 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करना पड़ेगा।

नोट- सभी आंकड़े 'एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव' नामक संस्था से लिए गए हैं।


      

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