2017 तक सभी गाँव तक मोदी सरकार पहुंचाएगी बिजली, लेकिन गाँव वालों को बिजली मिले ये ज़रूरी नहीं
Bhasker Tripathi 9 Oct 2016 11:08 AM GMT

बड़ोदरा/लखनऊ (एजेंसी इंपुट)। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा है कि मई 2017 तक देश के सभी गाँवों को बिजली कनेक्शन मिल जाएगा। यह काम राजग सरकार द्वारा निर्धारित 1000 दिन की समय सीमा के एक वर्ष पहले ही पूरा हो जाएगा। लेकिन गाँवों को बिजली पहुंचाने की इस मैराथन दौड़ में विद्युतिकरण का मतलब ये नहीं है कि गाँव वाले बिजली इस्तेमाल भी कर रहे हों। तो अगर मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत गाँवों का विद्युतिकरण कर भी दिया तो भी ज़रूरी नहीं सभी गाँव वालों बिजली मिलने लगे।
केंद्रीय उर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने देश में प्रत्येक घर को बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को ऋण देने की भी घोषणा की। गोयल ने कहा, ''बारिश की वजह से पिछले कुछ महीनों के दौरान गाँवों के विद्युतीकरण का काम धीमी गति से हुआ है। इन दो दिनों में राज्यों के साथ मेरी चर्चा होने के बाद मुझे विश्वास है कि एक मई 2017 तक सभी गाँवों को बिजली कनेक्शन मिल जाएगा जो कि हमारी सरकार द्वारा निर्धारित की गई 1000-दिन की समय सीमा से एक वर्ष पहले पूरा हो जाएगा।'' सरकार ने इस काम के पूरा होने के लिए मई 2018 की समय सीमा निर्धारित की थी।
दरअसल विद्युतिकरण की सरकारी परिभाषा -- जो 90 के दशक से बार-बार बदलती रही -- को समझें तो असलियत सामने आती है।
ऊर्जा मंत्रालय की परिभाषा के अनुसार (नवीनतम 2004-05) के अनुसार कोई गाँव विद्युतिकृत माना जाएगा अगर:
- बिजली के खंबे और ट्रांसफार्मर गाँव की आबादी तक पहुंच गए हैं, साथ ही दलित बस्तियों तक पहुंच गए हैं।
- गाँव के सामुदायिक स्थानों जैसे- स्कूल, पंचायतघर, स्वास्थ्य केंद्र, दवाघर और सामुदायिक घर तक बिजली पहुंच गई हो।
- गाँव के (महज़) 10 प्रतिशत लोगों का बिजली का कनेक्शन हो गया हो।
इस परिभाषा से साफ ज़ाहिर है कि मोदी सरकार भले ही 1,000 में 18,000 गाँवों को बिजली पहुंचाने का अपना लक्ष्य पूरा कर ले, लेकिन ये कतई मतलब नहीं होगा कि गाँव वालों को बिजली मिलेगी और ज्यादातर गाँव वाले उसका इस्तेमाल करने लगेंगे। गोयल ने यह भी कहा, ''प्रत्येक घर के विद्युतीकरण करने का 100 फीसदी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए राज्यों को ऋण प्रदान किया जाएगा।''
कुछ महीनों पहले उत्तर भारत के छह राज्यों में एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे का उद्देश्य यही पता लगाना था कि जिन गाँवों में विद्युतिकरण कर दिया गया है उनमें से कितने गाँव वालों के घर में बिजली है। एक्सेस टू क्लीन एनर्जी एंड इलेक्ट्रिसिटी नाम के इस सर्वे में सामने आया था कि झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के जिन 96 प्रतिशत गाँवों का विद्युतिकरण हुआ था उनके सिर्फ 69 प्रतिशत घरों में बिजली का कनेक्शन है।
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