बेमौसम बरसात से बर्बाद हुईं गेहूं की बुवाई

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बेमौसम बरसात से बर्बाद हुईं गेहूं की बुवाईगाँव कनेक्शन

बण्डा/खुटार (शाहजहांपुर)। बीते दो वर्षों से खेती में नुकसान उठा रहे किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। धान को कम दामों में बेचने के बाद जि़ले के किसानों ने गेहूं बोया तो वो भी अचानक बारिश होने से खराब हो गया।

दो वर्षों से कभी बेमौसम बरसात तो कभी ओलावृष्टि-बाढ़ से तो कभी सूखे से किसान जूझ रहे हैं। लगातार बर्बाद हो रही फसलों से किसान कर्जों तले डूबता जा रहा है। बीते दो सप्ताह में दो बार हुई सामान्य से अधिक बारिश ने अब किसानों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। धान की कटाई के बाद जब किसान ने गेहूं बोया तो बारिश

से खेतों में पानी भर गया। गेहूं के बीज ने अभी जमना तक नहीं शुरू किया था, पानी भरने से वह सड़ गया। ब्लॉक बंडा के गाँव सिकरहनियां निवासी सरदार भूपेंद्र सिंह गिल बताते है, ''दो साल से खेती में इतना घाटा हुआ कि कर्ज लेकर इस आस में गेहूं बोया कि बारिश का मौसम नहीं है, पैदावार अच्छी हो जाए तो कर्जा उतर जाएगा। लगता है भगवान भी नहीं चाहते कि परिवार दो रोटी सुकून से खा पाए। अचानक बारिश हो गई और खेतों में पानी भर गया। सारा गेहूं सड़ गया होगा।"

अचानक हुई बारिश की चपेट में क्षेत्र की करीब एक हजार एकड़ फसल आई है। बारिश होने से किसानों की मंशा पर पानी फिर गया है। मोहनपुर गाँव के निवासी पुनीत मिश्रा ने पांच एकड़ में गेहूं का बीज लगाया था। वो बताते है, ''केवल खुटार ब्लॉक में हजारों एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो गयी है। इस समय हम लोग इतने हताश और परेशान हो चुके हैं कि समझ में नहीं आता कि क्या करें, कर्जा कहां से निपटायें, परिवार का खर्च कहां से चलायें। पहले गन्ना बोया था, उसका बकाया पैसा भी चीनी मिलों से अभी तक मिला नहीं है और बेमौसम बरसात व अतिवृष्टि में पूर्व में बर्बाद हो चुकी फसल का अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है।"

गांव सुजान, मुरादपुर, बंथरा समेत दर्जनों गाँवों के किसानों की फसलों को बारिश से नुकसान हुआ है।बुवाई करने के बाद हुए इस भारी नुकसान के बाद अब किसानों के सामने ये समस्या खड़ी हो गई कि कैसे वो दुबारा बुवाई करें। यदि वो दुबारा गोड़ाई-बुवाई करते हैं तो फसल देर में पककर तैयार होगी। समय बीत जाने के बाद तैयार फसल का भी उचित मूल्य मिलना मुश्किल हो जाएगा। मोहनपुर गाँव के निवासी बलहार सिंह ने करीब 14 एकड़ भूमि में गेहूं की बुवाई की थी लेकिन बारिश से उनको काफी नुकसान पहुंचा। वो बताते है, ''इस बार गेहूं का बीज खाद आदि जैसे-तैसे इधर-उधर से इंतजाम करके फसल बोई थी। गेहूं बोने में लगभग 5000 रुपए प्रति एकड़ का खर्चा आया और अचानक हुई बरसात से सब कुछ नष्ट हो गया, समझ नहीं आता कि अब क्या करें।"  

रिपोर्टर - रमेश चन्द्र गुप्ता

 

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