पंडितों ने मुहूर्त नहीं बताया है लेकिन इस गांव में सिर्फ मई-जून में ही होती हैं शादियां

Neetu SinghNeetu Singh   23 Jun 2017 3:51 PM GMT

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पंडितों ने मुहूर्त नहीं बताया है लेकिन इस गांव में सिर्फ मई-जून में ही होती हैं शादियांइन गाँवों के लोग 20 साल से सड़क को लेकर परेशान है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोरखपुर। पूर्वांचल के चार गाँवों में सिर्फ मई-जून में ही शादी होती है। किसी पंडित ने मुहूर्त तो नहीं निकाला, लेकिन साल के 10 महीने यहां शहनाई नहीं बजती। जिनकी शादियां तय हो जाती है वो मई और जून के महीने का इंतजार करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस गाँव में सड़क ही नहीं है। मई-जून में खेत खाली होने पर खेतों के बीच से बारात गुजरती है।

गोरखपुर जिले के इन गाँवों की मुख्य समस्या सड़क है। गाँव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क या चकरोड नहीं है। करीब दो किलोमीटर तक खेतों की मेढ़ों पर चलना होता है, जिससे न वाहन पहुंच पाते हैं, न बैंडबाजा। इतने पिछड़े गाँव में लोग शादियां नहीं करना चाहते। जिन युवक-युवतियों की शादियां हो भी जाती हैं, वो ये सोचते हैं कि उनके रिश्तेदार दोबारा यहां आएंगे कि नहीं।

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गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर खोराबार ब्लॉक के जंगल केवटालिया ग्राम सभा का हाल बिल्कुल उसके नाम जैसा ही है। गाँव तक पहुंचने के लिए करीब 2 किलोमीटर मेढ़ों पर चलना पड़ता है। शादी-बारात के वाहन गाँव नहीं आ पाते तो बीमारी की हालत में एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए मरीज को खेतों के बीच से चरपाई पर ले जाना पड़ता है।

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जंगल केवटालिया निवासी राजेश कुमार निषाद (27 वर्ष) बताते हैं, "यहां शादी करने से पहले लोग 10 बार सोचते हैं, न सड़क है न बिजली। अब ऐसे में कौन अपनी बेटी की शादी करना चाहेगा। लड़के तो दूर हमारे यहां तो लड़कियों की शादियां होने में भी दिक्कत होती है।"

किसी पंड़ित ने मुहूर्त तो नहीं निकाला लेकिन हमारे यहां शादी-बारात सिर्फ मई-जून में हो सकती हैं क्योंकि तब खेत खाली होते हैं और गाड़ी-घोड़ा गाँव तक पहुंच जाते हैं।
राजेश कुमार निषाद, निवासी जंगल केवटालिया

मूलभूत सुविधाओं से तरह रही है गांव की करीब डेढ़ हजार आबादी। फोटो-नीतू सिंह

महिला सामाख्या से जुड़ी विमला देवी (35 वर्ष) बताती हैं, "जंगल केवटालिया ग्राम पंचायत के चार मजरे (छोटे गाँव) रेहार टोला, ब्लूहवा टोला, तमुआ टोला और बनराहवा टोला की आबादी करीब डेढ़ हजार है। लेकिन मुख्य मार्ग से गाँव को जोड़ने वाली कोई सड़क नहीं है। ग्रामीणों का कहना है वर्षों पहले हुई चकबंदी के दौरान किसी ने सड़क का ध्यान नहीं दिया, तो सड़क के नाम पर बस मेढ़ ही बची।

कुछ साल पहले तक को आदमी साइकिल पर बैठकर गाँव तक नहीं पहुंच पाता था। गाँव की लड़कियां इन्हीं खेतों से होकर स्कूल जाती हैं और अगर किसी महिला को बच्चा होने वाला हो और उसे रात-बिरात दर्द हो जाए तो खटिया पर ही ले जाना पड़ेगा। एंबुलेंस 2 किलोमीटर दूर सड़क पर खड़ी रहती है।
विमला देवी, कार्यकर्ता, महिला सामाख्या, गोरखपुर

विमला देवी आगे बताती हैं, "कुछ साल पहले तक को आदमी साइकिल पर बैठकर गाँव तक नहीं पहुंच पाता था। गाँव की लड़कियां इन्हीं खेतों से होकर स्कूल जाती हैं और अगर किसी महिला को बच्चा होने वाला हो और उसे रात-बिरात दर्द हो जाए तो खटिया पर ही ले जाना पड़ेगा। एंबुलेंस 2 किलोमीटर दूर सड़क पर खड़ी रहती है।"

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अपने घर के बाहर खेत में बैठे रेहार टोला के चंद्रभान निषाद (45 वर्ष) का कहना है, "20 साल के दौरान रास्ते के बारे में ध्यान नहीं दिया गया। गाँव के चारो तरफ खेत ही खेत हैं। खेत की मेड़ से पूरे गाँव के लोग निकलते हैं।" वो आगे बताते हैं "कई बार लोग शादी के लिए भी मना कर देते हैं, अगर कभी मजबूरी में शादी सर्दियों में करनी हो तो पहले खेत वाले से बात कर लेते हैं जिसके खेत से गाड़ी निकाली जा सके,खेत वाले अपना नुकसान सहकर गाड़ी निकालने देते हैं, इसलिए किसी का नुकसान हो उससे अच्छा है खेत खाली होने पर ही शादी करें।"

ग्रामीणों को योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से जगी उम्मीद

इस गाँवों में रहने वाले लोगों को योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से उम्मीद जगी हैं। विमला देवी कहती हैं, उम्मीद है योगी जी हमारे गाँव के लोगों की भी समस्या समझेंगे, क्योंकि वो तो इस इलाके को अच्छे से जानते हैं। हम गरीबों का भी भला होगा।" योगी सरकार ने प्रदेश की सभी सड़कों को 15 जून तक गड्ढा मुक्त करने के आदेश दिए हैं तो कम आबादी वाले गांवों को भी सड़क मार्ग से जोड़ने की कवायद शुरू की है।

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