डिजिटल इंडिया : इंटरनेट से ग्रामीण महिलाएं सीख रहीं लजीज़ खाना बनाना

Meenal TingalMeenal Tingal   6 April 2018 1:02 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
डिजिटल इंडिया : इंटरनेट से ग्रामीण महिलाएं सीख रहीं लजीज़ खाना बनानागाँव में स्मार्टफोन पर इंटरनेट चलाती महिलाएं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बहराइच। इंटरनेट के दौर में शहर ही नहीं गाँव की महिलाएं भी आगे आ रही है। ग्रामीण महिलाएं भी इंटरनेट के जरिये बहुत सी ऐसी बातें सीख रही है जिसके बारे में गाँव में भी लोगों को नहीं पता था। बहराइच से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित महसी ब्लॉक की रहने वाली रामपती (30 वर्ष) ने बताया, "सब कहते थे इंटरनेट गलत चीज होती है, इसलिए न किसी ने चलाने दिया न ही हिम्मत पड़ी चलाने की, लेकिन जब स्मार्टफोन और इंटरनेट चलाना सीखा तब लगा कि ये गलत नहीं, बहुत काम की चीज है। इसलिए अब इंटरनेट सीखकर गाँवों की महिलाओं को भी सिखा रहे हैं। मैं तो इंटरनेट के माध्यम से अच्छा खाना भी बनाने लगी हूं जो पहले नहीं बना पाती थी।"

ये भी पढ़ें- इंटरनेट साथी तोड़ रही हैं स्मार्टफोन को लेकर महिलाओं की झिझक

रामपती अकेली महिला नहीं हैं जो इंटरनेट सीखने के बाद गाँव की अन्य युवतियों व महिलाओं को स्मार्टफोन व इंटरनेट चलाना सिखा रही हैं। बहराइच के पांच ब्लॉक महिसी, नवाबगंज व हुजूरपुर, तेजवापुर और विशेस्वरगंज में 112 'इंटरनेट साथी' पिछले दो महीने मई व जून में लगभग 12,500 से ज्यादा युवतियों व महिलाओं को इंटरनेट सिखा चुके हैं। यह कार्यक्रम 'इंटरनेट साथी' के नाम से 'टीसीएल संस्था' के द्वारा आयोजित किया जा रहा है। टीसीएल संस्था की नीरजा ने बताया, "यह गूगल का एक कार्यक्रम है। इसने टाटा को पार्टनर बनाया और टाटा ने यह कार्यक्रम हमारी संस्था टीसीएल को दिया है। अब तक गूगल खुद से इंटरनेट साथियों के जरिए ट्रेनिंग दे रहा था।"

टीसीएल संस्था की ओर से आयोजित किया जा रहा इंटरनेट साथी कार्यक्रम

टीसीएल संस्था द्वारा गाँव की पढ़ी-लिखी और अनपढ़ युवतियों व महिलाओं को इंटरनेट और स्मार्टफोन सिखाने के लिए इंटरनेट साथी तैयार किए जाते हैं। इंटरनेट साथी बनाने के लिए उन युवतियों व महिलाओं को तैयार किया जाता है जो कम से कम हाईस्कूल तक पढ़ी हों। इनका चुनाव करके, इन साथियों को ट्रेनिंग देने के बाद इंटरनेट डाटा के साथ टेबलेट दिया जाता है ताकि वह गाँव-गाँव जाकर पढ़ी व अनपढ़ हर तरह की युवतियों व महिलाओं को सामूहिक रूप से इसकी जानकारी दें।

ये भी पढ़ें- जानलेवा गलघोंटू बीमारी से पशुओं को बचाएं

नवाबगंज ब्लॉक स्थित गंगापुर गाँव की अंशु सिंह (21 वर्ष) ने कहा, "इस महीने सावन था और रक्षाबंधन भी। इसलिए मैंने भी इंटरनेट से डिजाइन देखकर मेहंदी लगाई और बहुत सारी लड़कियों ने भी मेहंदी के डिजाइन देखें। यही नहीं, बुटीक खोलने के लिए क्या करना होगा यह भी जानकारी ली। इंटरनेट की जानकारी देने के लिए इंटरनेट साथी तैयार करने वाले सारिक कहते हैं, "हम लोग गाँव-गाँव जाकर ऐसी युवतियों व महिलाओं को तलाशते हैं जो कम से कम हाईस्कूल तक पढ़ी हों।"

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

          

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.