सोशल मीडिया का ‘एंटीसोशल’ इस्तेमाल

अमित सिंहअमित सिंह   24 Feb 2016 5:30 AM GMT

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सोशल मीडिया का ‘एंटीसोशल’ इस्तेमालgaon connection, गाँव कनेक्शन

अमित सिंह

लखनऊ। फोटो के साथ मजाक अब गंभीर समस्या बन गई है। फोटोशॉप के इस्तेमाल से बनाई गई फर्जी फोटो लोगों की जान ले रही है, दंगे और हिंसा फैला रही है। सोशल साइट्स पर भड़काऊ बयानों और हिंसक फोटो, वीडियो के साथ समाज को जाति और मजहब के नाम पर बांटा जा रहा है। जेएनयू मामले में भी वीडियो और फोटो के साथ छेड़खानी की गई। बड़े नामों का सहारा लेकर लोगों को भड़काया गया। इस बार पड़ताल में फोटो, वीडियो और सोशल साइट्स द्वारा फैलाए जा रहे मकड़जाल और फरेब को आप को समझाने की कोशिश की जा रही है।

बड़ी पड़ताल 

देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हुए जेएनयू छात्रसंघ नेता कन्हैया का हर रोज़ एक नया वीडियो वायरल हो रहा है। देश के तमाम बड़े टीवी चैनलों पर ये वीडियो दिन-रात दिखाए जा रहे हैं। लेकिन खबरिया चैनलों पर दिखाया जा रहा हर वीडियो क्या असली है? सिर्फ इतना ही नहीं कन्हैया की तस्वीरों के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। सोशल मीडिया पर कन्हैया एक फर्ज़ी तस्वीर भी वायरल हो रही है। तस्वीर में कन्हैया के पीछे भारत का विवादित नक्शा दिखाया गया है। लेकिन गाँव कनेक्शन की टीम इस पूरे विवाद की सच्ची और असली तस्वीर आपके सामने पेश करने जा रही है जिसकी हक़ीकत जानने के बाद आपके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी।

क्या है कन्हैया के वीडियो का सच ?

11 फरवरी 2016 को छात्र नेता कन्हैया का एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में दिखाया गया कि कन्हैया जेएनयू कैंपस में कुछ छात्रों को संबोधित करते हुए नारे लगा रहे हैं। इस वीडियो में सुनाई पड़ रहे नारों से संदेश ये गया कि कन्हैया ने देश विरोधी नारे लगाए, लेकिन इसके बाद एक और वीडियो वायरल हुआ। बाद में ख़बर आई कि ये वीडियो भी फर्ज़ी है। तो सच क्या है ? आइये हम आपको समझाते हैं।

11 फरवरी से ठीक दो दिन पहले यानि 9 फरवरी को सीपीआई समर्थित छात्र नेता उमर खालिद का देश विरोधी नारे लगाने का वीडियो सामने आया था। सूत्रों के मुताबिक़ कन्हैया के वीडियो के साथ छेड़छाड़ करने के लिए खालिद के वीडियो के ऑडियो का इस्तेमाल किया गया। कन्हैया के वीडियो में खालिद के वीडियो ऑडियो को इस तरह से फिट किया गया जैसे कन्हैया ही देश के ख़िलाफ़ नारे लगा रहा था। कुछ असामाजिक तत्वों ने कन्हैया के वीडियो से छेड़छाड़ करके देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की।

कौन है उमर खालिद ?

जेएनयू कैंपस में 9 फरवरी के दिन जब देश विरोधी नारे लग रहे थे तो उमर खालिद छात्रों की भीड़ में था। उमर खालिद जेएनयू में स्कूल ऑफ सोशल साइंस से इतिहास में पीएचडी कर रहा है। उमर खालिद को जेएनयू के ताप्ति हॉस्टल के कमरा नंबर 168 मिला है। उमर खालिद के संगठन डीएसयू को सीपीआई माओवादी समर्थित छात्र संगठन का नेता माना जाता है।

कन्हैया की तस्वीर से कैसे हुई छेड़छाड़ ?

छात्र नेता कन्हैया को एक तस्वीर में भारत के विवादित नक्शे के साथ दिखाया गया है। लेकिन गाँव कनेक्शन की पड़ताल में इस झूठ का भी पर्दाफाश हुआ है।

दरअसल कन्हैया की विवादित नक्शे के साथ दिखाई गई तस्वीर मार्फ्ड यानि नकली है। अगर ग्राफिक्स की भाषा में समझे तो फोटोशॉप के जरिए किसी भी तस्वीर को मॉर्फ कर अलग तरीके से पेश किया जा सकता है। कन्हैया की असल तस्वीर में पीछे कोई भी विवादित नक्शा है ही नहीं।

कन्हैया का मामला पहला ऐसा मामला नहीं, तस्वीरों और वीडियो के छेड़छाड़ से जुड़े कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं जब असामाजिक तत्वों ने देश का माहौल ख़राब करने की कोशिश की।

हाफिज़ सईद के फर्जी ट्वीट पर बवाल

जेएनयू में चल रही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को लेकर पूरे देश का माहौल बिगड़ा हुआ था इसी बीच गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयान ने सबको चौंका दिया।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा ?

गृहमंत्री ने कहा कि जेएनयू में जो राष्ट्रविरोधी गतिविधियां चल रही हैं उसमें लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया और मुंबई हमलों के मास्टर माइंड हाफिज सईद का हाथ है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक़ राजनाथ सिंह का बयान हाफिज सईद के फर्जी अकाउंट से किए गए ट्वीट के बाद आया था। ये ट्वीट हाफिज़ सईद के फर्ज़ी ट्वीटर हैंडल हाफिज़ सईद जेयूडी से किया गया था।

सोशल मीडिया में रतन टाटा का फर्ज़ी बयान

जेएनयू विवाद के बाद देश के शीर्ष कारोबारियों में से एक रतन टाटा के सोशल मीडिया में आए एक बयान ने सबको हैरान कर दिया। ट्वीट में कहा गया कि टाटा समूह जेएनयू के किसी भी छात्र की सेवा नहीं लेगा। ख़बर फैलते ही टाटा समूह की ओर से सफ़ाई आई कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने जेएनयू विवाद पर किसी भी तरह का बयान दिया ही नहीं।

दादरी में बीफ़ खाने की अफवाह

यूपी के दादरी इलाके में गोमांस खाने की फर्ज़ी अफवाह ने एक परिवार की जिंदगी तबाह कर दी। कुछ समुदाय विशेष के 200 लोगों ने मिलकर दादरी के बिसहड़ा गांव में रहने वाले आखलाक के घर पर धावा बोल दिया। हादसे के बाद जांच हुई और पता चला कि आखलाक के परिवार ने गोमांस खाया ही नहीं था और ना ही फ्रिज से मिला मीट ही गोमांस था। 

दादरी में कैसे फैली गोमांस की अफ़वाह ? 

दरअसल इलाके में गोमांस खाने की अफ़वाह एक वॉट्सएप मैसेज के जरिए वायरल हुई। किसी को नहीं पता ये वॉट्सएप मैसेज किसने वायरल किया। किसी ने भी ना तो इस वॉट्सएप मैसेज को जांचा ना परखा बस भीड़ के साथ हो लिए और अखलाक की जान ले ली।

मुज़फ्फरनगर दंगों का झूठा वीडियो

2013 में यूपी के मुज़फ्फरनगर ज़िले में दंगा भड़कने की पीछे की बड़ी वजह एक फर्ज़ी वीडियो था। जिसे कुछ आसामाजिक तत्वों ने सोशल मीडिय वायरल किया था। इलाके में दंगा भड़काने के लिए ये अफवाह फैलाई गई कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने किसी दूसरे समुदाय से जुड़े दो लड़कों को पीट-पीट कर मार डाला। जबकि वो वीडियो पूरी तरह से फर्ज़ी था। वीडियो वायरल होते ही इलाके का माहौल बिगड़ा और हालात इतने ख़राब हो गए कि 43 मासूम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, सैकड़ों घायल हुए और हज़ारों लोग अपनी जान बचाने के अपने आशियाने छोड़कर भाग गए।

आरएसएस के वायरल फोटो की पड़ताल

कुछ ही दिनों पहले भारतीय जनता पार्टी के अनुशांगिक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। तस्वीर में आरएसएस के कार्यकर्ता ब्रिटेन की महारानी को गार्ड ऑफ ऑनर देते दिखाए गए। दरअसल ये तस्वीर भी फर्ज़ी थी। इसे फोटोशॉप के ज़रिए मॉर्फ करके बनाया गया था। ये तस्वीर कुछ इस कदर वायरल हुई है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरूपम तक ने इसपर ट्वीट करते हुए लिखा कि आरएसएस के स्वयं सेवकों की हकीकत ये है कि वो ब्रिटिश महारानी को सलामी दे रहे हैं और हमें देशभक्ति सिखाने चले हैं।

क्या है आरएसएस के तस्वीर की हक़ीक़त ?

दरअसल आरएसएस के कार्यकर्ता ना तो कोई सलामी दे रहे थे और ना ही ये फोटो ब्लैक एंड व्हाइट थी। असली तस्वीर रंगीन थी जिसे छेड़छाड़ के बाद ब्लैक एंड व्हाइट बना दिया गया था। ताकि देखने में ये तस्वीर अंग्रेज़ों के ज़माने की लगे। पहले फोटो को ब्लैक एंड व्हाइट किया गया और फिर ब्रिटिश महारानी की तस्वीर जोड़कर ये दिखाने की कोशिश की गई कि जैसे ब्रिटिश महारानी आरएसएस स्वयंसेवकों से गार्ड ऑफ़ ऑनर ले रही हैं।

क्या वीडियो और तस्वीर से छेड़छाड़ मुमकिन है?

मौजूदा दौर में तमाम ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं जिनकी मदद से किसी भी तस्वीर या वीडियो में तब्दीलियां की जी सकती हैं। टेक्निकल भाषा में इसे मॉर्फिंग कहते हैं।

वीडियो और तस्वीर से कैसे होती है छेड़छाड़ ?

असल वीडियो या तस्वीर से छेड़छाड़ करने वाले लोग फोटोशॉप और वीडियो साफ्टवेयर की मदद से किसी भी तस्वीर को बदल सकते हैं। किसी भी शख्स का चेहरा किसी भी तस्वीर में फिट कर सकते हैं। तस्वीर का बैकग्राउंड या आस-पास के लोगों को बदला या हटाया जा सकता है। इसी तरह वीडियो सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी वीडियो में छेड़छाड़ की जा सकती है और देखने वाले को इसका पता तक नहीं चलेगा। तस्वीर के असल ऑडियो को हटाकर किसी दूसरे ऑडियो को आसानी से जोड़ा जा सकता है। या किसी भी ऑडियो क्लिप पर किसी भी वीडियो को लगाया जा सकता है। कन्हैया के वीडियो में इसी तरह की छेड़छाड़ की गई है। 

 

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