चढ़ता पारा दे रहा बीमारियों को न्यौता, रहें सावधान

Shrivats AwasthiShrivats Awasthi   13 April 2017 9:39 PM GMT

चढ़ता पारा दे रहा बीमारियों को न्यौता, रहें सावधानगर्मी के मौसम में लू से बचे।

श्रीवत्स अवस्थी ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

उन्नाव। गर्मी का मौसम ने शुरुआती दिनों में ही अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। मौसम के मिजाज को अनदेखा करना तमाम बीमारियों का कारण बन सकता है। ऐसे में तापमान में लगातार हो रही वृद्धि से होने वाले रोग और इनके लक्षण व प्राथमिक उपचार की जानकारी साझा करते हुए सीएमओ ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी। साथ ही आश्वस्त किया कि मौसम जनित रोगों के उपचार के पूरे इंतजाम सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है।

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सीएमओ डॉ. सीबीएन त्रिपाठी ने बताया कि गर्मी के दिनों में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है। मौसम विभाग की मानें तो जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार 3 दिन तक वहां के सामान्य तापमान से 3 सेन्टीग्रेड या इससे अधिक बना रहता है तो ऐसी अवस्था लू या हीटवेव कहलाती हैं। त्रिपाठी ने बताया कि 37 डिग्री तक तापमान रहने पर मानव शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ते। लेकिन जब तापमान इससे अधिक बढ़ता है तो शरीर का तापमान प्रभावित होने लगता है। ऐसे में हीटवेव से सम्बन्धित विकार और रोग जैसे सनबर्न, हीट क्रैम्पस, हीट एक्जाशन, हीटस्ट्रोक, घमौरियां या मरोड़ व ऐठन की समस्या हो सकती है।

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उन्होंने बताया कि त्वचा में लालिमा, दर्द, फफोले और बुखार सनबर्न के लक्षण हैं। ऐसे में मरीजों को साबुन से स्नान कराना चाहिए ताकि बन्द रन्ध्र खुल सकें। इसके साथ ही चिकित्सक की सलाह भी आवश्यक है। हीटवेव में पेट खराब होना और हाथों-पैर की तकलीफ के साथ पूरे बदन में ऐठन की समस्या हो सकती है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को छायादार और ठण्डे स्थान पर ले जाना चाहिए। ऐठन से बचने के लिए हल्की मालिश करे। पानी बूंद-बूंद कर पिलाएं यदि जी मचले तो पानी देना बंद कर दें।

उन्होंने आगे बताया कि हीट एक्जाशन में पीड़ित को अधिका पसीना आता है, कमजोरी महसूस होती है] त्वचा ठण्डी, पीली व चिपचिपी हो जाती है। सिर दर्द, बेहोशी व उल्टी भी हो सकती है। ऐसे में मरीज को ठण्डे स्थान पर लिटाना चाहिए, कपड़े ढीले कर कर देने चाहिए, ठण्डे कपड़े का उपयोग कर मरीज को ठण्डा करना चाहिए। पानी बूंद-बूंद कर पिलाएं। उल्टी हो तो तत्काल एम्बुलेंस बुला कर उसे अस्पताल में भर्ती कराए। हीट स्ट्रोक में शरीर का तापमान 16 फारेनहाइट या इससे अधिक हो जाता है। त्वचा गर्म, सूखी, नाड़ी तेज हो जाती है। मरीज को बेहोशी होती है और पसीना आना बंद हो जाता है।

धूप में निकलने से बचें

आपकी थोड़ी सी सावधानी तापमान जनित इन समस्याओं से बचा सकती है। सीएमओ डॉ. सीबीएन त्रिपाठी ने बताया कि धूप में घर से निकलते समय पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी पिएं और साथ रखें। पसीना सोखने वाले पतले और हल्के कपड़े पहने। जितना हो सके धूप में निकलने से बचें। यदि जरूरी हो तो चश्मा, छाता, टोपी चप्पल आदि का प्रयोग करें। यदि खुले में काम करते हो तो सिर, चेहरा, हाथ, पैर को गीले कपड़े से ढके रहे। ओआरएस का घोल, घर में बने पेय जैसे लस्सी, चावल का पानी, नींबू पानी, छाछ या सत्तू का घोल पीते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी की भरपाई होती रहे।

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