दो मई, दोपहर के करीब दो बजे, लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में हर दिन की तरह ही लोगों की भीड़ थी। उसी भीड़ में विनय कुमार भी थे, जो बदहवास यहाँ के पोस्टमार्टम हाउस के दरवाजे को बार-बार देख रहे थे। विनय अपने पिता और भाई के शव का इंतज़ार कर रहे थे।
एक मई को जब पूरी दुनिया मज़दूर दिवस मना रही थी, उस दिन विनय के पिता सोबरन यादव (52) और भाई सुशील यादव (32) सीवर साफ करने उतरे लेकिन वापस नहीं आए।
सीतापुर जिले के सरवरपुर गाँव के रहने वाले हैं 29 वर्षीय विनय कुमार, जिन्होंने अपने पिता और बड़े भाई को खो दिया है।
बेशक आँसू सूख चुके थे लेकिन चेहरा से साफ नज़र आ रहा था कि विनय अंदर से टूट चुके हैं, लेकिन विनय ने हिम्मत करके गाँव कनेक्शन से बात की और अपना दुःख साझा करते हुए बोले, “हमको कल शाम को पता चला, किसी ने हमको कॉल किया और बोला अस्पताल पहुँच जाओ; जब हम पहुँचे तो पता चला पिता और भाई सीवर साफ़ करने जब नीचे उतरे थे, वहीं पर ज़हरीली गैस की चपेट में आ गए, जो भी लोग उनके साथ थे वो सब उन्हें छोड़ कर वहाँ से चले गए।”
सिर्फ एक दिन में ही उनके सर पर ज़िम्मेदारियों का बोझ अचानक से बढ़ गया है। सात लोगों के परिवार में विनय अब अकेले कमाने वाले बचे हैं, जिसके ऊपर घर के चार सदस्यों की ज़िम्मेदारी है, जिसमें विनय की माँ, बड़े भाई की पाँच साल की बेटी और उनकी पत्नी और खुद विनय की पत्नी।
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने बताया था कि साल 2018 से लेकर साल 2023 तक कुल 339 लोगों की मौत सीवर की सफाई करते हुई है। इनमें सबसे अधिक महाराष्ट्र 54, फिर तमिलनाडु 51 और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है जहाँ पर पिछले पाँच साल में 46 मौतें हुईं हैं। अभी अप्रैल 2024 में ही वाराणसी में सेप्टिक टैंक साफ करते हुए एक मज़दूर की मौत हो गई थी।
प्रदेश/केंद्र शासित राज्य |
2018 |
2019 |
2020 |
2021 |
2022 |
2023 |
कुल |
आंध्र प्रदेश | 9 | 0 | 0 | 0 | 3 | 0 | 12 |
छत्तीसगढ़ | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
दिल्ली | 11 | 10 | 4 | 4 | 6 | 0 | 36 |
दादरा नगर हवेली | 0 | 0 | 0 | 3 | 0 | 0 | 3 |
गुजरात | 2 | 14 | 0 | 5 | 4 | 3 | 28 |
हरियाणा | 6 | 16 | 0 | 5 | 17 | 0 | 44 |
झारखंड | 0 | 0 | 3 | 0 | 0 | 1 | 4 |
कर्नाटक | 9 | 7 | 2 | 5 | 0 | 0 | 23 |
मध्य प्रदेश | 0 | 1 | 0 | 5 | 0 | 0 | 6 |
ओडिशा | 0 | 0 | 0 | 2 | 0 | 0 | 2 |
पंजाब | 2 | 3 | 0 | 2 | 0 | 0 | 7 |
राजस्थान | 2 | 5 | 0 | 0 | 0 | 0 | 7 |
तमिलनाडु | 9 | 15 | 9 | 5 | 13 | 0 | 51 |
तेलंगाना | 3 | 0 | 0 | 40 | 0 | 0 | 7 |
उत्तर प्रदेश | 8 | 26 | 0 | 4 | 8 | 0 | 46 |
उत्तराखंड | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
पश्चिम बंगाल | 0 | 2 | 0 | 6 | 0 | 0 | 8 |
महाराष्ट्र | 5 | 17 | 4 | 8 | 15 | 5 | 54 |
कुल |
67 |
117 |
22 |
58 |
66 |
9 |
339 |
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक साल 1993 से अब तक कुल 971 लोगों ने सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान अपनी जान गँवाई है।
हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 मैनुअल स्केवेंजिंग या हाथों से अस्वच्छ शौचालय, खुली नालियों, गड्ढों जैसी सभी जगहों की सफ़ाई को अवैध बनाता है।
बावजूद इसके आज भी भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग आम बात है। हालाँकि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एक सवाल के जवाब में बताया गया कि भारत के 766 ज़िलों में से 639 ज़िले मैनुअल स्कैवेंजिंग मुक्त हैं और बाकी ज़िले भी तेज़ी से मैनुअल स्कैवेंजिंग से मुक्त होने की राह पर तेज़ी से काम कर रहे हैं।
विनय कुमार ने वजीरगंज थाने में दिए एफआईआर में लिखा है कि एक मई को दोपहर तीन बजे फर्म के लोगों ने जानबूझकर सीवर की सफाई के लिए पिता और भाई को बिना किसी सुरक्षा को उतार दिया। जहाँ पर जहरीली गैस की चपेट में आने से दोनों की मौत हो गई।
सोबरन यादव के भांजे बाबूराव ने गाँव कनेक्शन से बताया, “हमें उनका कोई सामान अभी तक नहीं मिला है (मोबाइल, पर्स) न ही उसकी कोई जानकारी है और न ही उनके साथ काम करने वाले किसी से संपर्क हो पाया है; कल शाम से हम लोग यहाँ हैं, लेकिन फर्म का कोई भी आदमी आया ही नहीं और जिसके अंडर में काम करते थे वो तक नहीं आया, हम तो यही चाहते हैं की जिन लोगों की लापरवाही की वजह से ये हादसा हुआ है उनको सज़ा मिलनी चाहिए और हमें न्याय मिलना चाहिए।”
इस बारे में गाँव कनेक्शन ने हरियाणा की फरीदाबाद की फर्म मेसर्स केके स्पन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जिसके लिए पिता-पुत्र काम करते थे, उनके ठेकेदार केएस पांडेय से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।