पोलैंड में आज से जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, जानिये 10 बातें

Hridayesh JoshiHridayesh Joshi   3 Dec 2018 4:44 AM GMT

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पोलैंड में आज से जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, जानिये 10 बातेंपोलैंड के कटोविसशहर में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू। (फोटो साभार- दूरदर्शन)

पोलैंड के कटोविसशहर में आज (सोमवार से) जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में हो रहे इस महासम्मेलन में दुनिया के सभी देश हिस्सा ले रहे हैं। गांव कनेक्शन में हम बता रहे हैं कि इस सम्मेलन से जुड़ी 10 अहम बातें।

1- क्या है यह सम्मेलन?

जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में दुनिया के सभी देश इस बात पर विचार करते हैं कि धरती के तापमान को बढ़ने से रोकने के लिये क्या उपाय किये जायें।

2- क्यों बढ़ रहा है धरती का तापमान?

धरती का तापमान बढ़ने की मुख्य वजह पर्यावरण में जमा हो रहा कार्बन और ग्रीन हाउस गैसें हैं। इनकी वजह से वायुमंडल में प्रवेश करने वाली ऊष्मा (गरमी) वापस नहीं जा पाती जिससे धरती लगातार गरम हो रही है।

3- तापमान बढ़ने से क्या होगा?

इस बढ़ते तापमान से दुनिया में ऐसे बदलाव आ रहे हैं जो भविष्य में तबाही ला सकते हैं। मिसाल के तौर पर हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्र के पानी का तापमान बढ़ रहा है। इन बदलावों से आबोहवा में भयानक बदलाव के लक्षण दिख रहे हैं। बहुत कम वक्त में बहुत अधिक बारिश होना और बाढ़ आ जाना या फिर लम्बे वक्त तक सूखा पड़ना, चक्रवाती तूफानों का बार-बार आना इसके लक्षण हैं।

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पोलैंड के जलवायु सम्मेलन भारत समेत 200 देश ले रहे हैं हिस्सा।

4- इस बदलाव क्या ख़तरे हैं?

तटीय शहरों और कई द्वीपों के डूबने से बड़ी आबादी ख़तरे में आयेगी। कई छोटे देश पूरी तरह डूब जायेंगे और दुनिया में पलायन का चक्र शुरू हो सकता है। इससे शरणार्थी समस्या पैदा होने की आशंका है। सूखा पड़ने और बाढ़ बार-बार आने से खेती बर्बाद होने और खाद्य सुरक्षा का संकट पैदा होगा। हिमालयी क्षेत्रों में आबोहवा बिगड़ने से जैव विविधता को खतरा हो सकता है। कई देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा भी ख़तरे में पड़ सकती है।

5- कितना तापमान बढ़ चुका हैऔर हम तबाही से कितना दूर हैं?

औद्योगिक क्रांति शुरू होने के बाद (1850 को मोटे तौर पर इसके लिये आधार वर्ष माना जाता है) अब तक दुनिया के तापमान में करीब 1 डिग्री की वृद्धि हो चुकी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 1.5 डिग्री से अधिक की बढ़ोतरी खतरनाक दुष्परिणाम लायेगी लेकिन किसी भी हाल में सदी के अंत तक धरती का तापमान 2 डिग्री से अधिक नहीं बढ़ना चाहिये।

6- तापमान में बढ़ोतरी कैसे रोकी जा सकती है?

इसे रोकने के लिये दुनिया के तमाम देशों को ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन उत्सर्जन को तेज़ी से कम और फिर पूरी तरह बन्द करना होगा। उसके लिये बिजली बनाने और वाहन चलाने जैसे कार्यों के लिये साफ सुथरे ईंधन का इस्तेमाल करना होगा। बैटरी कार, सोलरपैनल से बिजली और पवन ऊर्जा जैसे विकल्पों के साथ न्यूक्लियर और छोटे हाइड्रोप्रोजेक्ट इसका हल हो सकते हैं।

7- इस समस्या के लिये कौन ज़िम्मेदार है और इसे हल करने के रास्ते में अड़चनें क्या हैं?

वायुमंडल में जितना भी कार्बन जमा हुआ है उसका करीब 50 प्रतिशत अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ अमीर देशों की वजह से है। यहां हुई औद्योगिक क्रांति और यहां के लोगों का विलासितापूर्ण जीवन अत्यधिक ऊर्जा के इस्तेमाल और कार्बन उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार है। वर्तमान में चीन सबसे अधिक कार्बन ऊत्सर्जन कर रहा है। 2015 में ऐतिहासिक पेरिस संधि हुई थी जिसमें दुनिया के तकरीबन सभी देशों ने हस्ताक्षर कर दिये हैं। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि वह अपने यहां कार्बन उत्सर्जन कम करने और तापमान को बढ़ने से रोकने के लिये क्या कदम उठायेंगे। बदकिस्मती से डोनाल्डट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने पेरिस संधि से पीछे हटने का फैसला कर लिया जो इस दिशा में की जा रही कोशिशों के लिये एक बड़ा धक्का है।

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8- कटोविस सम्मेलन में क्या होगा?

कटोविस में 2015 में हुई पेरिस संधि को लागू करने के लिये एक नियमावली बनायी जायेगी। पेरिस संधि 2020 से लागू होनी है और कटोविस में इसे लागू करने के लिये एक नियमावली (रूलबुक) बनेगी।

9- भारत की भूमिका क्या है?

भारत जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में एक अहम देश है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है। वह चीन जैसे देशों के साथ मिलकर अमीर देशों पर दबाव डालता है कि वह कार्बन उत्सर्जन कम करें। साथ ही भारत की मांग रही है कि अमीर देश विकासशील देशों को आर्थिक मदद के साथ-साथ और टैक्नोलॉजीदें ताकि वह भी साफ सुथरी ऊर्जा के संयंत्र लगा सकें।

10- इस समस्या का क्या गांव कनेक्शन है?

गांवों में अब भी भारत की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी है। जलवायु परिवर्तन से खेती, पशुपालन और ग्रामीण रोज़गार पर बड़ा असर पड़ सकता है और भारत के किसान और गरीब सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इससे भारत की अर्थव्यवस्था और हिमालयी और तटीय इलाकों में रहने वाली आबादी पर सबसे अधिक चोट पड़ेगी।

क्लाइमेट चेंज का भारत पर पड़ रहा है असर। खेती और पशुपालन आ रहे हैं चपेट में। बढ़ता तापमान पानी की किल्लत की वजह भी बन रहा। फोटो- अभिषेक वर्मा

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