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14 से 18 साल के 56 फ़ीसदी बच्चे नहीं हल कर पाते हैं कक्षा तीन के सवाल

असर की रिपोर्ट के अनुसार 90% बच्चों के पास या उनके घर पर स्मार्टफोन हैं, जबकि वही 43.7% लड़कों के पास उनका खुद का फ़ोन हैं; लेकिन इसमें दो-तिहाई बच्चे इसकी मदद से पढ़ाई करते हैं।
Aser report

देश के 56 फीसदी 14 से 18 आयु वर्ग के छात्र-छात्राएँ कक्षा तीन के सवाल नहीं कर पाते हैं। जबकि 25 प्रतिशत बच्चे कक्षा दो की क्षेत्रीय भाषा की किताब नहीं पढ़ पाते हैं।

असर की 2023 की वार्षिक रिपोर्ट ‘बियॉन्ड बेसिक्स’ में ऐसे ही हैरान करने वाले कई आँकड़े सामने आए हैं। ये सर्वे 26 राज्यों के 28 ज़िलों में किया गया, जिसमें 14-18 वर्ष के 34,745 बच्चें शामिल हैं।

इस सर्वे में मुख्य तौर पर गाँव के बच्चों को शामिल किया हैं, जिसमें हर राज्य के एक ज़िले के गाँव को शामिल किया गया है। सिर्फ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ही ऐसे राज्य थे, जिनके दो ज़िलों को शामिल किया गया हैं।

इन मुद्दों पर किया गया सर्वे

1 – भारतीय युवा वर्तमान में कौन-कौन सी एक्टिविटी में लगे हैं ?

2 – क्या उनमें मौलिक और बुनियादी पठन और गणित क्षमताएँ हैं ?

3 – क्या उनके पास स्मार्टफोन की पहुँच है? वे स्मार्टफोन का उपयोग किस लिए करते हैं, और क्या वे स्मार्टफोन पर बुनियादी काम कर सकते हैं ?

सर्वे करने के लिए 14 से 18 वर्ष के युवाओं को पाँच तरह के कामों में शामिल किया गया था। जैसे बुनियादी मौलिक पठन, गणित और अंग्रेजी क्षमताएँ; मौलिक कौशलों का प्रतिदिन की गणनाओं में लागू करना; लिखित निर्देशों को पढ़ना और समझना; और वास्तविक जीवन में करने के लिए ज़रूरी वित्तीय गणनाएँ करना शामिल हैं।

इस सर्वे में कुछ रोचक बातें सामने आयी हैं, जैसे 14 से 18 वर्ष की आयु के 25% बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषा में कक्षा दो स्तर का पाठ सहज तरीके से नहीं पढ़ सकते हैं। तकरीबन 56.7 % बच्चें तीन अंकों की संख्या को एक अंक की संख्या से भाग देने में असहज थे जबकि इतनी प्रतिभा कक्षा तीन के छात्रों से उम्मीद की जाती है। सिर्फ 57.3% बच्चे ही अंग्रेजी का वाक्य पढ़ पाए और जो भी बच्चे अंग्रेजी का वाक्य पढ़ पाए; उनमें से एक तिहाई ही उस वाक्य का मतलब बताने में सक्षम थे।

अगर रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में काम आने वाली कैलकुलेशन की बात की जाए तो असर ने कुछ टेस्ट बच्चों को करने को दिए; जिसमें स्केल से लम्बाई नापना भी शामिल था। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 85% युवा स्केल का उपयोग करके लंबाई माप सकते हैं, जब प्रारंभिक बिंदु जीरो सेमी हो। शुरुआती बिंदु को बदलने के बाद यानि ज़ीरो के अलावा कोई और संख्या रखने के बाद यह अनुपात तेजी से गिरकर 39% हो जाता है। कुल मिलाकर, लगभग 50% युवा अन्य सामान्य गणनाएँ कर सकते हैं।

बच्चों के दैनिक जीवन में समझ और निर्देशों को पढ़ने की समझ को देखने के लिए असर द्वारा बच्चों को O.R.S. का पैकेट दिया गया और फिर उस पर लिखी जानकारी को पढ़ने को कहा गया; जिस पर आधारित उनसे कुछ सवाल पूछे गए जोकि कक्षा एक के छात्र के स्तर के थे।

जो युवा कक्षा एक स्तर का पाठ या उससे अधिक पढ़ सकते हैं, उनमें से लगभग दो तिहाई पैकेट के आधार पर 4 में से कम से कम 3 प्रश्नों का उत्तर दे पाए।

बच्चों की वित्तीय जोड़ घटाने की क्षमता को आँकने के लिए उनसे कुछ गणित के सवाल पूछे गए; उसमें ये पाया गया कि जो युवा असर अंकगणित परीक्षण में कम से कम घटाव कर सकते थे, उन्हें कुछ सामान्य वित्तीय गणना करने के लिए कहा गया। जो युवा घटाव या अधिक कर सकते हैं, उनमें से 40% से अधिक बजट प्रबंधन कार्य करने में सक्षम नहीं हैं, लगभग 37% डिस्काउंट लागू कर सकते हैं, लेकिन केवल 10% ही दुबारा भुगतान कैलकुलेट कर पाए।

असर (ASER) यानी(Annual Status of Education Report)। यह भारत में हर साल राष्ट्रीय स्तर पर घरों में किया जाने वाला एक सर्वेक्षण है जो यह पता लगाता है कि क्या बच्चे विद्यालय में नामांकित हैं और क्या वे सीख रहे हैं। असर 2005 से हर साल आयोजित किया जाता है।

स्मार्टफोन और उसके व्यापक इस्तेमाल करने की क्षमता के बारे में सर्वे में पाया गया कि 90% बच्चों के पास या उनके घर पर स्मार्टफोन हैं। वही 43.7% लड़कों के पास उनका खुद का फ़ोन हैं जबकि सिर्फ 19.8% लड़कियों के पास उनका निज़ी स्मार्टफोन हैं। लगभग 90.5% बच्चों ने अपने स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया हैं, लेकिन सिर्फ आधे बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा सेटिंग्स जिन्हें सर्वेक्षण में शामिल किया गया था उसके बारे में जानकारी थी।

जितने भी बच्चों के पास स्मार्टफोन थे उनमें से दो तिहाई बच्चों ने बीते हफ्ते में अपना स्मार्टफोन शिक्षा संबंधी गतिविधि के लिए उपयोग करते हैं जैसे कि एजुकेशनल वीडियोज देखना, पढाई के लिए नोट्स पढ़ना या ऑनलाइन डाउट समझना। जबकि 80% बच्चों ने बीतें हफ़्तों में अपने स्मार्टफोन को मनोरंजन के तौर पर इस्तेमाल किया हैं जैसे की फिल्में देखना या गाने सुन्ना।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, 40.3 फीसदी लड़के घर या बाहर का काम पढ़ाई के साथ करते हैं। इसमें कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक काम करते हैं। जबकि 28 फीसदी लड़कियाँ पढ़ाई के साथ घर का काम करती हैं।

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