भिंडी बनाम बाकी बची सब्ज़ियाँ; क्या भिंडी को राष्ट्रीय सब्ज़ी घोषित कर ही देना चाहिए?

सोशल मीडिया पर हर-रोज़ चलने वाले शोर-शराबे के बीच भिंडी ने तो सब्ज़ी प्रेमियों को एकजुट कर दिया, अब आप भी बता दीजिए क्या भिंडी को राष्ट्रीय सब्ज़ी घोषित कर देना चाहिए?

अगर आपसे पूछा जाए कि आपको कौन सी सब्ज़ी पसंद है, तो कई सारे जवाब मिलेंगे; मशहूर क़िस्सागो, गीतकार और गाँव कनेक्शन के फाउन्डर नीलेश मिसरा ने एक्स पर ऐसा ही एक पोस्ट किया- “मेरी माँग है कि भिंडी की सब्ज़ी को तत्काल राष्ट्रीय सब्ज़ी घोषित कर दिया जाए।”

उनके इस एक पोस्ट ने तो जैसे अनगिनत झरोखे खोल दिए हों, भिंडी के चाहने वाले और न चाहने वालों को तो जैसे एक मुद्दा मिल गया। अब तो ये पोस्ट भिंडी बनाम दूसरी सब्ज़ियाँ हो गई है। 

आशीष जोशी ने लिखा कि सूखी या दही की तरी वाली?

अकेले या आलू प्याज के संग वाली?

लंबी लंबी या बटन जैसी गोल वाली?

दाल भात के साथ या पराठे में रोल वाली?

कुमार विनायक ने लिखा- भिंडी भुजिया या ग्रेवी वाली?

भिंडी प्रेमी अनंत सिंह ने लिखा- बिल्कुल सही ,पर प्रश्न ये हैं कौन सी भिंडी, भरवा या कटी हुई ,कटी हुई भी गोल कटी,सीधी कटी या तिरछी कटी, आलू भिंडी या सिर्फ भिंडी मसाला । बेसन भरी भिंडी या धनिया मसाला भरी भिंडी

युवराज यादव ने लिखा- भिंडी के प्रति अभी कुछ महीनों में सकारात्मक एटीट्यूड हुआ है बाकी तो लगता था , क्यों ही बनाई गई है भिंडी इस दुनिया में

एक कुमार ने तो भिंडी पर निबंध ही लिख दिया – कृपया भारत में भिंडी को राष्ट्रीय सब्जी घोषित किए जाने के लिये एक बेहतरीन पिच तैयार करो grok वीरे! ऐसे पावरफुल आर्गयूमेंट रखना कि जज लोगों को ऐसी-तैसी करवा कर भिंडी को ही राष्ट्रीय सब्जी घोषित करना पड़े।

भारत में भिंडी को राष्ट्रीय सब्जी घोषित करने की धमाकेदार पिच

नमस्ते, माननीय जजगण! आज मैं आपके सामने एक ऐसी सब्जी की पैरवी करने जा रहा हूँ, जो न सिर्फ भारत की मिट्टी की महक है, बल्कि हर रसोई की शान, हर थाली का स्वाद, और हर दिल की धड़कन है—भिंडी! 

इसे राष्ट्रीय सब्जी घोषित करना न केवल एक सम्मान होगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक, आर्थिक, और पोषण संबंधी पहचान को मजबूत करने का एक ऐतिहासिक कदम होगा। चलिए, मैं आपको ऐसे तर्क देता हूँ कि आप भिंडी को राष्ट्रीय सब्जी बनाने के लिए मजबूर हो जाएँ!। ​

भिंडी की बात शुरू हुई है तो इसका इतिहास भूगोल भी बता ही देते हैं, भिंडी की उत्पत्ति पूर्वी अफ्रीका के देशों जैसे इथियोपिया, इरिट्रिया और पूर्वी सूडान से मानी जाती है। वहाँ से ये सब्जी अरब देशों से होती हुई भूमध्य सागर के किनारे होते हुए भारत और अन्य एशियाई देशों में फैल गई। 

अब एक्स से बिना भटके हुए एक बार फ़िर आ जाते हैं; अब भाई भिंडी के चाहने वाले मैदान में थे, तो इसको नापसंद करने वाले कहाँ पीछे रहने वाले हैं-

विश्वास परांजपे ने लिखा- मैं बहुत सालों से से आपकी स्लो लाइफ पॉलिसी पे चल रहा हूँ लेकिन ये भिंडी वाली बात बोलकर आपने विश्वासघात किया है। ओह नीलेश। भिंडी? क्यों भिंडी? यह सबसे बेकार सब्जियों में से एक है। जब तक इसे किसी और चीज़ से भरा न जाए, इसका स्वाद अच्छा नहीं लगता।”

अब सब्जियों की बात चल रही हो तो आलू के चाहने वाले कहाँ पीछे रह सकते हैं, लकी बाजपई ने लिखा- ये सरसर अन्यान्य हे आलू के साथ।

हम इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक लेके जायेगे और आलू को इंसाफ दिला कर रहेंगे।

एक और आलू प्रेमी गौरव श्याम पाण्डेय ने लिखा- 

सब्जी केवल एक है आलू

बाकी सब तो मिलावट है

कीर्ति आज़ाद ने लिखा – अगर ऐसा हुआ तो मैं यह भीष्म प्रतिज्ञा लूंगा कि आजीवन भिंडी नहीं खाऊंगा सिवाय तब के जब भिंडी की गीली सब्जी ना बनी हो या कुरकुरी भिन्डी जो काली न पड़ गई हो

आलू प्रेमी तो जैसे भिंडी को अपनाने को तैयार ही नहीं हैं, प्रसून वार्ष्णेय ने लिखा है- आलू को कहते हैं सब्जियों का राजा

सुगंध ने लिखा है – मैं इसका समर्थन नहीं करती 😏 राष्ट्रीय सब्जी तो आलू की तरकारी ही रहेगी वो भी भंडारे वाले आलू की 😁

सोशल मीडिया पर पर हर-रोज़ चलने वाले शोर-शराबे के बीच भिंडी ने तो जैसे सब्ज़ी प्रेमियों को एकजुट कर दिया। 

भिंडी से शुरू हुआ फ़िर आलू, गोभी, करेला, लौकी और न जाने कितनी सब्ज़ियों को साथ लेकर आ गया, अभी भी ये सिलसिला ज़ारी है, अब भी लिंक पर क्लिक करके अपना वोट दे दीजिए कि भिंडी की सब्ज़ी को तत्काल राष्ट्रीय सब्ज़ी घोषित कर दिया जाए या नहीं? 

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