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Budget Session 2022: ‘भारत में बन रही वैक्सीन्स पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त करा रही हैं’, पढ़िए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण की प्रमुख बातें

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ ही संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार के कार्यों का लेखा जोखा पेश किया।
budget 2022

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ ही संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई। अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार के कार्यों का लेखा जोखा पेश किया। पढ़िए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पूरा अभिभाषण…

कोरोना वायरस से उत्पन्न वैश्विक महामारी का यह तीसरा वर्ष है। इस दौरान हमने भारत के लोगों की लोकतांत्रिक मूल्यों में अगाध आस्था, अनुशासन और कर्तव्य-परायणता को और मजबूत होते देखा है। आज जब भारत, अपनी आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है, तब प्रत्येक भारतवासी की यह संकल्पशक्ति, भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए असीम विश्वास पैदा करती है। इसी विश्वास के साथ, मैं संसद भवन के इस ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल से प्रत्येक भारतवासी का अभिनंदन करता हूं।

मैं आज संसद के इस समवेत सत्र में, देश के उन लाखों स्वाधीनता सेनानियों को नमन करता हूँ, जिन्होंने अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और भारत को उसके अधिकार दिलाए। आज़ादी के इन 75 वर्षों में देश की विकास यात्रा में अपना योगदान देने वाले सभी महानुभावों का भी मैं श्रद्धा-पूर्वक स्मरण करता हूँ।

अमृत महोत्सव के इस कालखंड में देश की महान विभूतियों से जुड़े विशेष अवसर भी सभी देशवासियों को प्रेरणा दे रहे हैं। गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व, श्री अरबिन्दो की 150वीं जन्म-जयंती, वी.ओ. चिदम्बरम पिल्लई का 150वां जन्मवर्ष और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म-जयंती जैसे पुण्य अवसरों को मेरी सरकार पूरी भव्यता के साथ मना रही है। सरकार ने इस वर्ष से, गणतंत्र दिवस समारोह को, नेताजी की जयंती पर, 23 जनवरी से ही मनाने की शुरुआत की है।

मैं देश के प्रत्येक हेल्थ और फ्रंट लाइन वर्कर का, हर देशवासी का अभिनंदन करता हूं

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, और भारत में भी हमारे बहुत से अपनों को हमसे छीना है। इन परिस्थितियों में केंद्र से लेकर राज्यों तक – हमारी सभी सरकारों, स्थानीय शासन और प्रशासन, हमारे डॉक्टर्स, नर्सेज़ और हेल्थ वर्कर्स, हमारे वैज्ञानिकों और उद्यमियों – सभी ने, एक टीम के रूप में काम किया है। सरकार और नागरिकों के बीच यह परस्पर विश्वास, समन्वय और सहयोग, लोकतन्त्र की ताकत का अभूतपूर्व उदाहरण है। इसके लिए, मैं देश के प्रत्येक हेल्थ और फ्रंट लाइन वर्कर का, हर देशवासी का अभिनंदन करता हूँ।

कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में भारत के सामर्थ्य का प्रमाण कोविड वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नजर आया है। हमने एक साल से भी कम समय में 150 करोड़ से भी ज्यादा वैक्सीन डोज़ लगाने का रेकॉर्ड पार किया। आज हम पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज़ देने वाले अग्रणी देशों में से एक हैं। इस अभियान की सफलता ने देश को एक ऐसा रक्षा-कवच दिया है जिससे हमारे नागरिकों की सुरक्षा भी बढ़ी है और उनका मनोबल भी बढ़ा है।

आज देश में 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क नागरिकों को टीके की एक डोज़ मिल चुकी है, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोग दोनों डोज़ ले चुके हैं। ‘हर घर दस्तक अभियान’ के माध्यम से सरकार बाकी लोगों तक भी पहुंच रही है। इसी माह, वैक्सीनेशन प्रोग्राम में 15 से 18 वर्ष तक के किशोर-किशोरियों को भी शामिल किया गया है। साथ ही, फ्रंटलाइन वर्कर्स और बीमारियों से ग्रस्त वरिष्ठ नागरिकों के लिए precautionary डोज की शुरुआत भी की गई है।

भारत मे ंबन रही वैक्सीन्स पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त करा रही हैं

अब तक देश में कुल 8 वैक्सीन्स को emergency use के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। भारत में बन रही तीन वैक्सीन्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी भी मिली है। भारत में बन रही ये वैक्सीन्स पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त कराने और करोड़ों लोगों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

कोरोना महामारी से निपटने के लिए हमारे देश के प्रयास केवल तात्कालिक चुनौतियों तक सीमित नहीं हैं। इसीलिए, मेरी सरकार ऐसे दूरदर्शी समाधान तैयार कर रही है जो भविष्य के लिए भी प्रभावी और उपयोगी रहें। सरकार द्वारा 64 हजार करोड़ रुपए की लागत से शुरू किया गया प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर मिशन इसका एक सराहनीय उदाहरण है। इससे न केवल वर्तमान की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि आने वाले संकटों के लिए भी देश को तैयार किया जा सकेगा।

मेरी सरकार की संवेदनशील नीतियों के कारण देश में अब स्वास्थ्य सेवाएँ जन साधारण तक आसानी से पहुंच रही हैं। 80 हजार से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स और करोड़ों की संख्या में जारी आयुष्मान भारत कार्ड से गरीबों को इलाज में बहुत मदद मिली है। सरकार ने 8000 से अधिक जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध कराकर, इलाज पर होने वाले खर्च को कम किया है। सुलभ और सुगम स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उठाया गया ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ भी एक बड़ा कदम है।

कोरोना काल में भारतीय फार्मा सेक्टर ने भी अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है। वर्तमान समय में भारतीय फार्मा कंपनियों के उत्पाद 180 से ज्यादा देशों में पहुँच रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र में भारत के लिए संभावनाएं कहीं अधिक व्यापक हैं। फार्मा इंडस्ट्री के लिए मेरी सरकार द्वारा घोषित PLI स्कीम से इन संभावनाओं को विस्तार मिलेगा और रिसर्च को भी गति मिलेगी।

सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप योग, आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2014 में देश से 6600 करोड़ रुपए के आयुष उत्पादों का निर्यात होता था, जो आज बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। दुनिया के सबसे पहले ‘WHO Global Centre of Traditional Medicine’ की स्थापना भी भारत में होने जा रही है।

 प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत हर गरीब को मिल रहा मुफ्त राशन

कोरोना के इस महासंकट में हमने बड़े-बड़े देशों में खाद्यान्न की कमी और भूख की परेशानी देखी है। लेकिन मेरी संवेदनशील सरकार ने इस बात का पूरा प्रयास किया कि 100 साल के इस सबसे बड़े संकट में कोई गरीब भूखा न रहे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत मेरी सरकार सभी गरीबों को हर महीने मुफ्त राशन दे रही है। 80 करोड़ लाभार्थियों को 19 महीनों से खाद्यान्न वितरित करने हेतु 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए के खर्च के साथ भारत में आज दुनिया का सबसे बड़ा फूड डिस्ट्रिब्यूशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ मेरी सरकार ने इस योजना को मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है।

कोरोना काल में गरीब के स्वाभिमान और उसके रोजगार की रक्षा करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री-स्वनिधि योजना भी चला रही है। यह योजना हमारे रेहड़ी-पटरी वाले भाइयों-बहनों के लिए बहुत सहायक सिद्ध हो रही है। इस योजना के तहत अब तक 28 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को 29 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि जारी की गई है। सरकार अब इन स्ट्रीट वेंडर्स को ऑनलाइन फूड डिलिवरी करने वाली कंपनियों के साथ भी जोड़ रही है। श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने ई-श्रम पोर्टल भी शुरू किया है जिससे अब तक 23 करोड़ से अधिक श्रमिक जुड़ चुके हैं।

महामारी में डिजीटल इंडिया का साथ

जनधन-आधार-मोबाइल अर्थात JAM ट्रिनिटी को मेरी सरकार ने जिस तरह नागरिक सशक्तीकरण से जोड़ा है, उसका प्रभाव भी हम लगातार देख रहे हैं। 44 करोड़ से अधिक गरीब देशवासियों के बैंकिंग सिस्टम से जुड़ने के कारण महामारी के दौरान करोड़ों लाभार्थियों को सीधे कैश ट्रान्सफर का लाभ मिला है।

डिजिटल इंडिया और डिजिटल इकॉनमी के बढ़ते प्रसार के संदर्भ में देश के UPI platform की सफलता के लिए भी, मैं, सरकार के विज़न की प्रशंसा करूंगा। दिसम्बर 2021 में, देश में 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन UPI के माध्यम से हुआ है। यह इस बात का उदाहरण है कि हमारे देश में जन-सामान्य द्वारा, बदलाव और तकनीक को बहुत तेजी से अपनाया जा रहा है।

मेरी सरकार मूलभूत सुविधाओं को गरीब के सशक्तीकरण और गरीब की गरिमा बढ़ाने का माध्यम मानती है। पिछले वर्षों के अनवरत प्रयासों से प्रधानमंत्री आवास योजना में अब तक दो करोड़ से अधिक पक्के घर गरीबों को मिल चुके हैं। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण’ के तहत गत तीन वर्षों में करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए की लागत से एक करोड़ सत्रह लाख घर स्वीकृत किए गए हैं।

हर घर जल की भूमिका

‘हर घर जल’ पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किए गए जल जीवन मिशन ने लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाना शुरू कर दिया है। महामारी की बाधाओं के बावजूद करीब 6 करोड़ ग्रामीण घरों को पेयजल के कनेक्शन से जोड़ा गया है। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारे गांव की महिलाओं-बहनों-बेटियों को हुआ है।

ग्रामीण क्षेत्रों में, लोगों को उनकी संपत्ति के दस्तावेज देने के लिए शुरू की गई स्वामित्व योजना भी एक असाधारण प्रयास है। इस योजना के तहत अब तक 27 हजार गाँवों में 40 लाख से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड दिए जा चुके हैं। ये प्रॉपर्टी कार्ड न केवल विवादों को रोकने में सहायक हैं बल्कि गांव के लोगों को बैंकों से मदद मिलना भी आसान हो रहा है।

मेरी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश के किसानों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है। वैश्विक महामारी के बावजूद साल 2020-21 में हमारे किसानों ने 30 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न और 33 करोड़ टन से अधिक बागवानी उत्पादों की पैदावार की। सरकार ने रेकॉर्ड उत्पादन को ध्यान में रखते हुए रेकॉर्ड सरकारी खरीद की है। रबी की फसल के दौरान 433 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई जिससे लगभग 50 लाख किसानों को सीधा फायदा पहुंचा है। खरीफ की फसल के दौरान रेकॉर्ड लगभग 900 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई जिससे एक करोड़ तीस लाख किसान लाभान्वित हुए।

कृषि निर्यात में हुई 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि

सरकार के प्रयासों से देश का कृषि निर्यात भी रेकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है। वर्ष 2020-21 में कृषि निर्यात में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। यह निर्यात लगभग 3 लाख करोड़ रुपए पहुँच गया है।

हॉर्टिकल्चर और शहद उत्पादन भी किसानों के लिए आमदनी के नए स्रोतों और बाज़ार तक उनकी बढ़ती पहुँच के महत्वपूर्ण माध्यम हैं। शहद उत्पादन को प्रोत्साहन देने से वर्ष 2020-21 में देश का शहद उत्पादन एक लाख पच्चीस हजार मीट्रिक टन तक पहुँच गया है जोकि 2014-15 की तुलना में करीब 55 प्रतिशत ज्यादा है। 2014-15 की तुलना में शहद की निर्यात मात्रा में भी 102 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है।

किसानों को उनकी फसल के अधिक दाम मिलें, इसके लिए उनके उत्पादों का सही बाजार तक पहुँचना जरूरी होता है। इस दिशा में सरकार ने किसान रेल सेवा शुरू करते हुए किसानों के लिए खुशहाली के नए रास्ते खोलने का काम किया है। कोरोना काल में भारतीय रेल ने सब्जियों, फलों तथा दूध जैसी, जल्दी खराब होने वाली खाद्य सामग्री के परिवहन के लिए, 150 से अधिक मार्गों पर 1900 से ज्यादा किसान रेल चलाईं और करीब 6 लाख मीट्रिक टन कृषि उत्पादों की ढुलाई की। यह इस बात का उदाहरण है कि अगर सोच नई हो तो पुराने संसाधनों से भी नए रास्ते बनाए जा सकते हैं।

कृषि क्षेत्र में देश की सतत सफलता और बढ़ते सामर्थ्य का सबसे बड़ा श्रेय, मैं, देश के छोटे किसानों को देना चाहता हूँ। देश के 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान ही हैं, जिनके हितों को मेरी सरकार ने हमेशा केंद्र में रखा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस निवेश से कृषि क्षेत्र में आज बड़े बदलाव दिखाई दे रहे हैं। फसल बीमा योजना में नए बदलावों का लाभ भी देश के छोटे किसानों को हुआ है। इन बदलावों के बाद से अब तक 8 करोड़ से अधिक किसानों को मुआवजे के तौर पर एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि दी जा चुकी है।

खेतों के नजदीक, जरूरी इनफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए भी मेरी सरकार अभूतपूर्व स्तर पर निवेश कर रही है। एक लाख करोड़ रुपए के कृषि इनफ्रास्ट्रक्चर फ़ंड के अंतर्गत हजारों परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। मेरी सरकार ने खाद्य तेल में आत्म-निर्भरता को ध्यान में रखते हुए 11 हजार करोड़ रुपए की लागत से National Mission on Edible Oils – Oil Palm की शुरुआत भी की है। सरकार ऑर्गेनिक खेती, प्राकृतिक खेती और crop diversification जैसे विशेष प्रयास भी कर रही है।

यह आप सभी की जानकारी में है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को International Year of Millets के रूप में घोषित किया है। मेरी सरकार International Year of Millets को देश के किसानों, सेल्फ हेल्प ग्रूप्स, FPOs, फूड इंडस्ट्री और जन-सामान्य के साथ मिलकर व्यापक स्तर पर मनाएगी।

मेरी सरकार, वर्षा जल संरक्षण के लिए भी गंभीरता से काम कर रही है। देश में rain water harvesting infrastructure के निर्माण और पारंपरिक जल-स्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत विभिन्न परियोजनाओं और अटल भू-जल योजना की मदद से देश में 64 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की गई है। नदियों को आपस में जोड़ने की योजनाओं पर भी सरकार ने काम आगे बढ़ाया है। हाल ही में 45 हजार करोड़ रुपए की लागत से पूरी होने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना को भी स्वीकृति दी गई है। यह परियोजना बुंदेलखंड में पानी की चुनौतियों को समाप्त करने में सहायक होगी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में महिलाओं की भूमिका अधिक विस्तृत होती जा रही है। 2021-22 में 28 लाख सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को बैंकों की तरफ से 65 हजार करोड़ रुपए की मदद दी गई है। यह राशि 2014-15 की तुलना में 4 गुना अधिक है। सरकार ने हजारों महिला सेल्फ हेल्प ग्रूप के सदस्यों को ट्रेनिंग देकर उन्हें बैंकिंग सखी के रूप में भागीदार भी बनाया है। ये महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने का माध्यम बन रही हैं।

महिला सशक्तीकरण मेरी सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक है। उज्ज्वला योजना की सफलता के हम सभी साक्षी हैं। “मुद्रा” योजना के माध्यम से हमारे देश की माताओं-बहनों की उद्यमिता और कौशल को बढ़ावा मिला है। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” पहल के अनेक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, और स्कूलों में प्रवेश लेने वाली बेटियों की संख्या में उत्साहजनक वृद्धि हुई है। बेटे-बेटी को समानता का दर्जा देते हुए मेरी सरकार ने महिलाओं के विवाह के लिए न्यूनतम आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर पुरूषों के समान 21 वर्ष करने का विधेयक भी संसद में प्रस्तुत किया है।

सरकार ने तीन तलाक को कानूनन अपराध घोषित कर समाज को इस कुप्रथा से मुक्त करने की शुरुआत की है। मुस्लिम महिलाओं पर, केवल मेहरम के साथ ही हज यात्रा करने जैसे प्रतिबंधों को भी हटाया गया है। वर्ष 2014 से पूर्व अल्पसंख्यक वर्ग के लगभग तीन करोड़ विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी गई थीं, जबकि मेरी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक ऐसे साढ़े चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां प्रदान की हैं। इससे मुस्लिम बालिकाओं के स्कूल छोड़ने की दर में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है तथा उनके प्रवेश में वृद्धि देखी गई है।

देश की बेटियों में सीखने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में Gender Inclusion Fund का भी प्रावधान किया गया है। यह हर्ष की बात है कि मौजूदा सभी 33 सैनिक स्कूलों ने बालिकाओं को प्रवेश देना शुरू कर दिया है। सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में भी महिला कैडेट्स के प्रवेश को मंजूरी दी है। महिला कैडेट्स का पहला बैच एनडीए में जून 2022 में प्रवेश करेगा। मेरी सरकार के नीतिगत निर्णय और प्रोत्साहन से, विभिन्न पुलिस बलों में महिला पुलिस-कर्मियों की संख्या में, 2014 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है।

आत्म निर्भर भारत से मिली नई उड़ान

आत्म-निर्भर भारत के संकल्प व सामर्थ्य को आकार देने के लिए मेरी सरकार, देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से स्थानीय भाषाओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्नातक पाठ्यक्रमों की महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में भी संचालित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस वर्ष 10 राज्यों के 19 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू हो रही है।

स्किल इंडिया मिशन के तहत, आई.टी.आई., जन शिक्षण संस्थान, और प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों के जरिए पूरे देश में सवा दो करोड़ से अधिक युवाओं का कौशल विकास हुआ है। स्किल को उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए यू.जी.सी. के नियमों में कई बदलाव भी किए गये हैं।

कोरोना से लड़ाई के लिए स्किल इंडिया मिशन के तहत हेल्थ केयर से जुड़े 6 विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इनसे हेल्थ केयर सेक्टर को मदद मिल रही है।

सरकार द्वारा जनजातीय युवाओं की शिक्षा के लिए हर आदिवासी बहुल ब्लॉक तक एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल के विस्तार का काम किया जा रहा है। ये स्कूल लगभग साढ़े तीन लाख जनजातीय युवाओं को सशक्त बनाएंगे।

टोक्यो ओलम्पिक के दौरान हम सभी ने भारत की युवा शक्ति की क्षमताओं को देखा है। इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अब तक का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारत ने सात मेडल जीते। टोक्यो पैरा-ओलम्पिक में भी भारतीय पैरा-एथलीटों ने 19 पदक जीतकर रिकॉर्ड कायम किया। ओलम्पिक प्रतिस्पर्धाओं तथा खेल-कूद में भारत की उपस्थिति मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ मिलकर देश में सैकड़ों खेलो इंडिया केंद्र स्थापित कर रही है। पैरा स्पोर्ट्स में दिव्यांग युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए सरकार ने ग्वालियर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त Centre for Disability Sports की स्थापना भी की है।

हमारा स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम, हमारे युवाओं के नेतृत्व में तेजी से आकार ले रही अनंत नई संभावनाओं का उदाहरण है। वर्ष 2016 से हमारे देश में 56 अलग-अलग सेक्टर्स में 60 हजार नए स्टार्ट-अप्स बने हैं। इन स्टार्ट-अप्स के जरिए छह लाख से अधिक रोजगारों का सृजन हुआ है। वर्ष 2021 में कोरोना काल में भारत में 40 से अधिक यूनिकॉर्न-स्टार्ट-अप अस्तित्व में आए जिनमें से प्रत्येक का मूल्य 7,400 करोड़ रुपए से अधिक आंका गया है।

मेरी सरकार की नीतियों की वजह से आज भारत उन देशों में है जहां इंटरनेट की कीमत सबसे कम है, तथा स्मार्ट फोन की कीमत भी सबसे कम है। इसका बहुत बड़ा लाभ भारत की नौजवान पीढ़ी को मिल रहा है। भारत 5G मोबाइल कनेक्टिविटी पर भी तेजी से काम कर रहा है जिससे अनेक नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। सेमी-कंडक्टर को लेकर भारत के प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ हमारे स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम को होगा। भारत के युवाओं को तेजी से बदलती टेक्नॉलॉजी का लाभ मिले, इसके लिए भी सरकार ने अनेक नीतिगत निर्णय लिए हैं, कई नए सेक्टरों में प्रवेश के द्वार खोले हैं। सरकार ने Start-ups Intellectual Property Protection Program के माध्यम से पेटेंट और ट्रेडमार्क से जुड़ी प्रक्रियाओं को आसान बनाया है, उन्हें नई गति दी है। इसी का परिणाम है कि इस वित्त-वर्ष में पेटेंट के लिए लगभग 6 हजार और ट्रेडमार्क के लिए 20 हजार से ज्यादा आवेदन किए गए हैं।

हर एक क्षेत्र में मिली नई उपलब्धि

मेरी सरकार के निरंतर प्रयासों से, भारत एक बार फिर, विश्व की, सर्वाधिक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। देश में GST कलेक्शन पिछले कई महीनों से निरंतर, एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर बना हुआ है। इस वित्त-वर्ष के पहले सात महीनों में 48 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आना, इस बात का प्रमाण है कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक भारत के विकास को लेकर बहुत आश्वस्त हैं। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी इस समय 630 बिलियन डॉलर से ऊपर है। हमारा निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है और पिछले रिकार्ड टूट रहे हैं। 2021 में अप्रैल से दिसम्बर के दौरान भारत का Goods निर्यात लगभग 300 बिलियन डॉलर यानि 22 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है, जोकि 2020 की इसी अवधि की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा है।

मेरी सरकार ने manufacturing sector में मौजूद संभावनाओं को साकार करने और युवाओं को नए अवसर देने के लिए एक लाख सत्तानवे हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश से 14 महत्वपूर्ण PLI स्कीम्स शुरू की हैं। ये PLI स्कीम्स, न केवल भारत को ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी बल्कि रोजगार के 60 लाख से अधिक अवसर भी उपलब्ध कराएंगी। देश में मोबाइल उत्पादन की सफलता, मेक इन इंडिया का एक बड़ा उदाहरण है। आज भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बनकर उभरा है। इससे भारत के लाखों युवाओं को रोजगार भी मिला है।

हमारा देश इलेक्ट्रॉनिक और टेक्नॉलॉजी हार्डवेयर के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बने, इसके लिए सरकार ने silicon और compound semi-conductor fabrication, display FAB, chip design और इनसे जुड़े ventures के लिए हाल ही में 76,000 करोड़ रुपए का पैकेज भी घोषित किया है।

मेरी सरकार नए क्षेत्रों के साथ-साथ उन पारंपरिक क्षेत्रों में भी देश की स्थिति को पुनः मजबूत बना रही है, जिनमें हमारे पास सैकड़ों वर्षों का अनुभव है। इसी दिशा में, मेरी सरकार द्वारा वस्त्र उद्योग के विकास के लिए करीब 4500 करोड़ रुपए के निवेश से 7 मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और ऐपरल पार्क बनाए जा रहे हैं। इससे देश में integrated textile value chain तैयार होगी। ये मेगा टेक्सटाइल पार्क्स भारतीय तथा विदेशी निवेशकों को भी आकर्षित करेंगे, और रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा करेंगे।

भारत की समृद्धि में बड़े उद्योगों के साथ सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे MSMEs हमारी अर्थव्यवस्था का मेरुदंड रहे हैं, और आत्म-निर्भर भारत को गति प्रदान करते रहे हैं। कोरोना काल में MSMEs को संकट से बचाने और जरूरी क्रेडिट उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपए के Collateral Free Loans की व्यवस्था की। हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि इस योजना की सहायता से साढ़े 13 लाख MSME यूनिट्स को जीवनदान दिया गया और डेढ़ करोड़ रोजगार भी सुरक्षित किए गए। जून 2021 में सरकार, 3 लाख करोड़ रुपए की इस गारंटी को बढ़ाकर साढ़े चार लाख करोड़ रुपए कर चुकी है।

MSME सेक्टर को विस्तार प्रदान करने तथा इस सेक्टर के लिए अवसर बढ़ाने हेतु कई नीतिगत फैसले भी लिए गए हैं। MSMEs की नई परिभाषा से छोटे उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिल रही है। सरकार ने थोक और खुदरा व्यापारियों व स्ट्रीट वेंडर्स को उद्यम पोर्टल पर रजिस्टर करने की अनुमति भी दी है, ताकि उन्हें Priority Sector Lending का लाभ मिल सके।

देश में हाईवे का जाल

ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, संसाधनों और इनफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से देश की उन संभावनाओं को उड़ान मिल रही है जो दशकों से उपेक्षित पड़ी थीं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की उपलब्धियां गर्व करने योग्य हैं। वर्ष 2020-21 में ग्रामीण इलाकों में 100 किलोमीटर प्रति दिन से अधिक की रफ्तार से 36 हजार 500 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं और हजारों रिहायशी क्षेत्रों को all weather road connectivity से जोड़ा गया है।

आज देश के नेशनल हाइवेज़ भी – पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण – पूरे देश को एक साथ जोड़ रहे हैं। मार्च 2014 में हमारे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 90 हजार किलोमीटर थी, जबकि आज उनकी लंबाई बढ़कर एक लाख चालीस हजार किलोमीटर से अधिक हो गई है। भारतमाला परियोजना के अंतर्गत लगभग 6 लाख करोड़ रुपए की लागत से 20,000 किलोमीटर से अधिक लंबाई के राजमार्गों पर काम किया जा रहा है। इनमें 23 ग्रीन एक्सप्रेस-वेज़ और ग्रीन-फील्ड कॉरिडोर्स का विकास भी शामिल है।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे भी पूरा होने के करीब है, जोकि भारत का सबसे लंबा और सबसे तेज एक्सप्रेस-वे होगा। मेरी सरकार को पंढरपुर तीर्थ को जोड़ने वाले संत ज्ञानेश्वर मार्ग और संत तुकाराम पालकी मार्ग के चौड़ीकरण का काम शुरू करने का सौभाग्य भी मिला है।

देश में आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास से आज जहां एक ओर विकास के नए रास्ते खुल रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर, इससे देश की सुरक्षा को भी नई ताकत मिल रही है। Border Roads Organisation – BRO ने लद्दाख में उमलिंग ला दर्रा पर 19 हजार फीट की ऊंचाई पर विश्व की सबसे ऊंची परिवहन योग्य सड़क का निर्माण किया है। लद्दाख के देमचोक, उत्तराखंड के जोलिंग कोंग और अरूणाचल प्रदेश के हुरी जैसे सर्वाधिक दूरस्थ गांवों को भी आधुनिक सड़कों से जोड़ा गया है।

मेरी सरकार, भारतीय रेलवे का भी तेज गति से आधुनिकीकरण कर रही है। नई वंदे भारत ट्रेनें तथा नए विस्टाडोम कोच, भारतीय रेल की आभा में वृद्धि कर रहे हैं। बीते सात वर्षों में 24 हजार किलोमीटर रेलवे रूट का विद्युतीकरण हुआ है। नई रेलवे लाइन्स बिछाने और दोहरीकरण का काम भी तेज गति से जारी है। गुजरात में गांधीनगर रेलवे स्टेशन और मध्य प्रदेश में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन आज आधुनिक भारत की नई तस्वीर के रूप में सामने आए हैं। कश्मीर में चिनाब नदी पर निर्मित हो रहा रेलवे आर्च ब्रिज, आकर्षण का केंद्र बन रहा है।

मेरी सरकार ने गरीब और मध्यम वर्ग का जीवन आसान बनाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा बढ़ाने में भी असाधारण काम किया है। देश में 11 नई मेट्रो लाइन्स पर सेवाएँ शुरू की गई हैं, जिनका लाभ 8 राज्यों में लाखों लोगों को हर दिन मिल रहा है। भारत आज दुनिया के चार सबसे बड़े ड्राईवर-लेस ट्रेन नेटवर्क वाले देशों में भी शामिल हो गया है। हमने देश में Indigenous Automatic Train System भी विकसित किया है जोकि मेक इन इंडिया की बढ़ती क्षमता का प्रतीक है। सरकार ने देश में 21 ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स के निर्माण के लिए भी मंजूरी दी है। इनमें से देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में बन रहा है।

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