धान की खेती करने वाले किसान बंशीधर बारिक को जब से दाना चक्रवात के बारे में पता चला है, तब से चिंता सताए जा रही है। उन्हें डर है कि महीनों की मेहनत तबाह न हो जाए। ये सिर्फ बंशीधर की चिंता नहीं है, ओडिशा के समुद्र तटीय गाँवों में रहने वाले सभी किसानों का यही हाल है।
55 साल के किसान बंशीधर बारिक पुरी जिले के अस्तरंगा ब्लॉक के आँकना गाँव के रहने वाले हैं। उनका गाँव समुद्र से सिर्फ एक किमी दूर है, गाँव कनेक्शन से अपना डर साझा करते हुए वो कहते हैं, “हम छोटे किसान हैं और 2 एकड़ ज़मीन में हमारी खेती है। हमारा घर और खेत समुद्र से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है। हमने अपनी जमीन पर काफी खर्च किया है, धान की फसल काटने को तैयार है, लेकिन अचानक इस चक्रवात के आने से हम कुछ नहीं कर सकते।”
बंशीधर का डर जायज है, पिछली बार आए फोनी तूफान ने भी काफी तबाही मचाई थी, जिसका उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। चार साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन आज तक ‘फानी’ चक्रवात का मुआवजा नहीं मिला है, और अब एक और चक्रवात दस्तक दे रहा है। “हमने अपनी उम्मीद छोड़ दी है कि हमें मुआवजा कभी मिलेगा; हमारे नाम से कुछ हज़ार रुपए आए थे, लेकिन पता नहीं कहाँ गए; उस साल जो भी खेती की थी, सब बर्बाद हो गया और मुआवजा नहीं मिला, “बंसी ने आगे बताया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार चक्रवात ‘दाना’ भारत के ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 23-24 अक्टूबर तक पहुंच सकता है। 23 अक्टूबर तक यह मध्य-पूर्व बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। यह उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ेगा, और 24 अक्टूबर की सुबह तक उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक गंभीर चक्रवाती तूफान बन जाएगा । 24 अक्टूबर की रात और 25 अक्टूबर की सुबह के बीच पुरी और सागर द्वीप के बीच ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों को इसके पार करने की संभावना है।
मौसम विभाग के मुताबिक, भूमि पर पहुंचने की प्रक्रिया आमतौर पर 5-6 घंटे का समय लेती है। इसलिए, भारी वर्षा, तेज़ हवाएँ और तूफान की लहरें 24 अक्टूबर (मध्य रात्रि) को अपने चरम पर होंगी और यह 25 अक्टूबर की सुबह/दोपहर तक जारी रह सकती हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग भुवनेश्वर, की केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी मनोरमा मोहंती गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “छह घंटे पहले यह 13 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रही थी, और यह पारादीप से 490 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की ओर है, धमरा (Dhamara) से 520 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण-पूर्व में है, और सागर द्वीप से 570 किलोमीटर दूर है; कल सुबह यानी 24 अक्टूबर तक हमें इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।”
आँकना गाँव के 300 से अधिक लोग लगभग 700-800 एकड़ में धान की खेती करते हैं और आय का ज़रिया धान और मछली ही है। उन्हें डर है कि अगर तेज़ हवा के साथ बारिश हुई और समुद्र का पानी खेतों में आया, तो सारी फसल बर्बाद हो जाएगी।
पुरी जिले के काकटपुर ब्लॉक के नीलकंठ पुर गाँव के बाबुनी साहू, भी डरे हुए हैं, उन्होंने गाँव कनेक्शन से बात करते हुए कहा, “हमने चार एकड़ की खेती की है और लगभग 60 हज़ार रुपए से अधिक खर्च किया है, न हम इतनी जल्दी धान काट सकते हैं और न ही कुछ कर सकते हैं; हमारा जिला रेड अलर्ट में है, और अगर तेज बारिश हुई और पानी का उफान बढ़कर हमारी ओर आया, तो सारी खेती बर्बाद हो जाएगी और हमें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।”
पुरी के साथ ही कई दूसरे जिले भी खतरे में हैं, केंद्रपाड़ा जिला भी उन्हीं में एक है। केंद्रपाड़ा जिले के राजकनिका तहसील के बराडिया गाँव के रंजीत मंडल, जो कटक में काम करते हैं, अपनी गाँव की समस्याओं को बताते हुए गाँव कनेक्शन से कहते हैं, “हमारे गाँव से कुछ कदम की दूरी पर बॉयतरणी नदी बहती है, अभी तक हमारे धान के खेत में बालियाँ नहीं आई हैं, इसलिए हम हड़बड़ी में काट भी नहीं सकते; अगर हवा और बारिश ज्यादा बढ़ जाए, तो सारी फसल खराब हो जाएगी।”
वो आगे कहते हैं, “हमारे गाँव के लोगों को यह भी डर है कि नदी में मगरमच्छ हैं, और अगर पानी का स्तर बढ़ गया, तो मगरमच्छ गाँव के अंदर आ सकते हैं; धीरे-धीरे यहाँ हवा तेज़ हो रही है और रात तक बारिश भी हो जाएगी।”
बंद किया गया ढेंकानाल का प्रसिद्ध मेला
चक्रवात दाना को देखते हुए ढेंकानाल में हो रहे प्रसिद्ध लक्ष्मी पूजा पर लगने वाले मेले को बंद कर दिया गया है। यहाँ पर कई प्रदेशों के कारीगर आते हैं और अपने सामान बेचते हैं। मेले को अभी दो दिन बचे हैं, आखिरी दिनों ज़्यादा बिक्री होती है। लेकिन चक्रवात को देखते हुए मेले पर रोक लगा दी गई।
इससे पहले भी चक्रवात ने मचाई थी तबाही
साल 1999 में सबसे बड़ा चक्रवात आया था, जिसमें करीब 10,000 लोगों की मौत हुई थी। यह सुपर साइक्लोनिक गंजाम, पूरी, केंद्रपाड़ा और भद्रक जिलों में टकराया था। इस चक्रवात ने भारी तबाही और नुकसान पहुँचाया था।
2013 में फेलिन चक्रवात की वजह से करीब 15 लोगों की जान गई। यह गोपालपुर के करीब लैंडफॉल हुआ था, और लगभग 2.5 लाख घर तबाह हो गए थे।
2014 में हुदहुद चक्रवात हुआ था, जिसने ओडिशा और आंध्र प्रदेश में लैंडफॉल किया था। इसमें करीब 60 लोगों की जान गई थी।
2018 में तितली चक्रवात आया, जिसने ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश को प्रभावित किया था।
2019 में फानी आया, जिससे बहुत से लोगों की खेती बर्बाद हो गई थी, और पूरी जिले में भारी नुकसान हुआ था। इसमें करीब 64 लोगों की जान चली गई थी।