“पहली लहर में हमारे पीपीई किट तक नहीं थी, दूसरी में ऑक्सीजन की कमी थी और इस बात पर ध्यान दें तीसरी लहर में डॉक्टरों की गंभीर कमी होगी, “सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव अनुज अग्रवाल ने गांव कनेक्शन को बताया।
अनुज 28 दिसंबर को नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक विरोध प्रदर्शन में शामिल थे, जिसका आयोजन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), लेडी हार्डिंग, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, मौलाना आजाद अस्पताल और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (USMC जैसे सरकारी अस्पतालों के उनके जैसे हजारों डॉक्टरों ने किया था।
प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने मांग की कि नीट-पीजी (स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के लिए मेडिकल छात्रों की काउंसलिंग जल्द से जल्द की जाए।
क्या है डॉक्टरों के विरोध का कारण?
अनुज ने बताया कि एडमिशन प्रक्रियामें देरी के कारण ‘डॉक्टरों संख्या में 33 प्रतिशत की कमी’ हुई है और दूसरे और तीसरे वर्ष में रेजिडेंट डॉक्टरों पर काम का प्रेशर बढ़ गया है।
“नीट-पीजी परीक्षा के बाद, मई या जून में नए डॉक्टर शामिल होते हैं। देश भर के सभी अस्पतालों में, एक समय में, डॉक्टरों के तीन बैच होते हैं, लेकिन पिछले नौ महीनों से, केवल दो बैच काम कर रहे हैं, “उन्होंने कहा।
बोझ से दबे डॉक्टरों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “देश में इस समय लगभग 50,000 डॉक्टरों की कमी है। अस्पताल में डॉक्टर नहीं होंगे तो मरीजों की देखभाल कौन करेगा। हम हर हफ्ते 80-100 घंटे काम कर रहे हैं और थक गए हैं।”
साथ ही 28 दिसंबर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने विरोध कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर धरना समाप्त करने का अनुरोध किया।
“सरकार काउंसलिंग को आगे बढ़ाने में असमर्थ है क्योंकि मामला विचाराधीन है और सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) रिपोर्ट के संबंध में जवाब देने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है, जिसे 6 जनवरी, 2022 को सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत में पेश किया जाना है, “स्वास्थ्य मंत्री ने कहा।
क्या है डॉक्टरों की मांग?
एम्स के एक रेजिडेंट डॉक्टर विनय कुमार ने गांव कनेक्शन को बताया कि एनईईटी-पीजी प्रवेश परीक्षा, जो आमतौर पर जनवरी में आयोजित की जाती है, इस साल सितंबर में लगभग आठ महीने की देरी के बाद आयोजित की गई थी क्योंकि इसे कोविड-19 एहतियात के तौर पर स्थगित कर दिया गया था।
जबकि परीक्षा सितंबर में आयोजित की गई थी, तब से कोई काउंसलिंग और एडमिशन नहीं हुआ है। काउंसलिंग कानूनी प्रक्रिया में अटकी हुई है क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उम्मीदवारों के लिए नए शुरू किए गए कोटा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक कई मामलों पर निर्णय नहीं लिया है।
डॉक्टरों की मांग है कि भारत सरकार कोटा की 8,00,000 रुपये की वार्षिक आय पात्रता के चुने हुए मानदंड के बारे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करने की गति तेज करनी चाहिए और अपने जूनियर्स के लिए जल्द से जल्द काउंसलिंग आयोजित करनी चाहिए।
“हम यह भी मांग करते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टरों को लिखित आश्वासन दें या कम से कम उनकी मांगों के संबंध में उनसे मिलने आएं। वो रैलियां मैं जाते हैं पुरा दिन तो हमसे मिलने तो आ ही सकते हैं, “लेडी हार्डिंग कॉलेज के एक सीनियर रेजिडेंट स्वप्निल सांगले ने गांव कनेक्शन को बताया।
“हमारा कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और हम किसी भी तरह के आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। हम सिर्फ काउंसलिंग की तारीख घोषित करना चाहते हैं। सरकार को सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट जमा करने में तेजी लानी चाहिए ताकि काउंसलिंग की तारीख तय की जा सके, “सांगले ने आगे कहा।
साथ ही, सफदरजंग अस्पताल की एक वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर वैशाली गौतम ने गांव कनेक्शन को बताया, “हमारे पास COVID19 से लड़ने के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा है, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि डॉक्टर एक दिन में नहीं बनते हैं, इसमें समय लगता है। हम यहां 10 साल पढ़ाई करने के बाद आए हैं। तीसरी लहर हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है, हमें मरीजों की देखभाल के लिए और डॉक्टरों की जरूरत है। अगर सरकार अभी कार्रवाई नहीं करती है, तो हम दूसरी लहर को देख सकते हैं।”
#PressRelease: the Agitation continues till our demands are met. We all stand united in this fight for Justice! #ExpediteNEETPGCounselling2021 @PMOIndia @mansukhmandviya @Drvirendrakum13 @MoHFW_INDIA @MSJEGOI @barcouncilindia @ANI @MirrorNow @LiveLawIndia @ndtv @TNNavbharat pic.twitter.com/Du1Jiia1fd
— FORDA INDIA (@FordaIndia) December 28, 2021
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन इंडिया ने 28 दिसंबर को एक प्रेस बयान जारी कर एनईईटी-पीजी काउंसलिंग 2021 को आगे बढ़ाने की मांग की। एसोसिएशन ने कहा कि उसने स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक में अपनी मांगों को रखा था और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। मुलाकात की।
‘पुलिस ने हाथापाई की, हिरासत में लिया, एफआईआर दर्ज’
27 दिसंबर को अपने विरोध प्रदर्शन के हिस्से के रूप में, प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट तक मार्च किया था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उनके मार्च को रोक दिया गया था।
सफदरजंग अस्पताल की एक वरिष्ठ रेजिडेंट मेघा सांगवान ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट तक एक शांतिपूर्ण मार्च को ‘गलत तरीके से’ कैसे रोका गया, इस बारे में बात करते हुए पुलिस ने डॉक्टरों के साथ मारपीट की।
“हमारे शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट के बावजूद, पुलिस ने हमें हिरासत में लिया और हमारे साथ मारपीट की। यहां तक कि महिला डॉक्टरों को भी नहीं बख्शा गया – उन्हें पुरुष पुलिस अधिकारियों ने घसीटा और बसों में बंद कर दिया, “उन्होंने कहा।
डॉक्टरों के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए, सांगवान ने कहा, “जब यह उनके हितों के अनुकूल था, तो उन्होंने हमें COVID योद्धाओं के रूप में सम्मानित किया और हम पर फूल बरसा रहे थे। अब जबकि हमारी वास्तविक मांग है, हमें काम करने के लिए डॉक्टरों की जरूरत है और वे हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहे हैं।”
दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ दंगा भड़काने, ड्यूटी में बाधा डालने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है।
अनुवाद: संतोष कुमार