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बिहार के गाँवों में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?

फसल अवशेष जलाने, शार्ट सर्किट और खेती की जमीन पर मशीन के इस्तेमाल के कारण लगने वाली आग से किसान परेशान हैं। फसल, घर और पशुओं को इससे काफी नुकसान पहुंच रहा है। बढ़ता तापमान और पछुआ हवाएं आग की लपटों को और भयावह बना रही हैं।
#Fire

पटना, बिहार। बढ़ती गर्मी और प्रचंड गर्म हवाएं बिहार के ग्रामीण इलाकों में कहर बरपा रही हैं। यहां आग की बढ़ती घटनाओं के चलते किसानों को अपनी फसल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस महीने की शुरुआत में, 11 अप्रैल को नालंदा जिले में 10 बीघा (1 बीघा = 0.25 हेक्टेयर) से ज्यादा जमीन पर खड़ी फसल आग की चपेट में गई।

बेन ब्लॉक के देवरिया गाँव के 53 साल के किसान लाल बाबू ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मौके पर पहुंचने में दमकल कर्मियों को डेढ़ घंटे का समय लगा और 10 बीघा से ज्यादा गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई।” उसमें से दो बीघा उनका खेत था। उन्होंने कहा, “जब मैंने मदद के लिए फोन किया, तो फोन लाइन कटती रही। आस-पास के लोगों की तुरंत मदद से ही हम आग पर काबू कर पाए थे।”

इस घटना के पांच दिन पहले 6 अप्रैल को राज्य की राजधानी पटना में तीन जगहों पर आग लगी थी। एक घटना राज्य सचिवालय से चार किलोमीटर से थोड़ी ही दूर हुई, जहां एक झुग्गी बस्ती में 80 घर जलकर राख हो गए। आग की चपेट में आने से सात मवेशी भी झुलस गए थे।

आग लगने की दूसरी घटना राजवंशी नगर में सर्वे ऑफिस के पास हुई। इस इलाके में मौजूद 30 झोपड़ियां पूरी तरह से जल गईं। वहीं तीसरी घटना में इनकम टैक्स गोलंबर के पास स्थित नियोजन भवन में आग लगी थी। लेकिन इससे पहले कि कोई नुकसान हो पाता, आग पर काबू पा लिया गया था।

पटना के पर्यावरणविद् धर्मेंद्र ने गाँव कनेक्शन से कहा, “गर्मियों के मौसम में आग लगने की घटनाओं में चालीस से पचास फीसदी का इजाफा हो जाता है। फसल अवशेष जलाना और शॉर्ट सर्किट इसका प्रमुख कारण हैं। वहीं इस समय चलने वाली पश्चिमी हवाएं स्थिति को और खराब कर देती हैं।”

पटना जिला अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर गाँव कनेक्शन को बताया, “बिहार में 170 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है जहां आग लगने की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं। इनमें से बीस पटना में हैं। हालांकि हमारे पास लगभग 700 अग्निशमन वाहन हैं, लेकिन कभी-कभी वे भी कम पड़ जाते हैं।”

उनके मुताबिक, साल 2021 में पटना निगम सीमा के भीतर 700 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हुईं थीं।

दिलचस्प बात यह है कि आग लगने की इन बढ़ती घटनाओं के बीच, 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक देश भर में अग्निशमन सेवा सप्ताह या अग्नि निवारण सप्ताह के रूप में मनाया गया था। बिहार में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की अग्निशमन सेवाओं को बधाई दी और बताया कि कैसे आग जीवन और संपत्ति को तबाह कर देती है। उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह बिहार को आग से सुरक्षित बनाने में योगदान दे।

स्पार्किंग की समस्या

नालंदा के देवरिया गाँव के 26 साल के राहुल पटेल ने बताया कि छोटे किसानों को आग का ज्यादा खतरा होता है। पटेल ने गाँव कनेक्शन से कहा, “बड़े किसान अपनी फसल काटने के लिए मशीनों का इस्तेमाल करते हैं और उसके तुरंत बाद खेतों को पूरी तरह से साफ करने के लिए फसल अवशेष में आग लगा देते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी अगली फसल बोने की जल्दी होती है।” छोटे किसान मैन्युअल रूप से अपने गेहूं की कटाई करते हैं और इसमें अधिक समय लगता है। पटेल ने बताया, “कभी-कभी आग की चिंगारी छोटे जोत की खड़ी फसलों तक फैल जाती है।”

पटेल के गाँव के पास ही के गाँव में अप्रैल के दूसरे सप्ताह में लगी आग से कम से कम 20 घर चंद मिनटों में जलकर खाक हो गए। सुपौल जिले की भपटियाही पंचायत के हीरालाल मुखिया ने गाँव कनेक्शन को बताया, “पास के खेतों में एक थ्रेशर चल रहा था। उससे निकली एक चिंगारी ने 20 घरों को जलाकर राख कर दिया।” इसमें से तीन घर मुखिया के थे। इनमें

अनाज और काफी सारा सामान रखा हुआ था। उन्होंने कहा, इतने नुकसान के बाद, अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है।

पटना के शास्त्री नगर क्षेत्र के रहने वाले नंदलाल मजदूरी करते है और किरण देवी घर-घर जाकर बर्तन धोती है। 6 अप्रैल को एक झटके में उनका पूरा घर जल गया। फोटो: राहुल कुमार गौरव

पटना के शास्त्री नगर क्षेत्र के रहने वाले नंदलाल मजदूरी करते है और किरण देवी घर-घर जाकर बर्तन धोती है। 6 अप्रैल को एक झटके में उनका पूरा घर जल गया। फोटो: राहुल कुमार गौरव

सुपौल जिले में इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के सदस्य चंद्रशेखर मंडल ने गाँव कनेक्शन को बताया, “कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब ग्रामीण क्षेत्रों में आग की घटना न घटती हो। यहां के अधिकांश घर अभी भी फूस के हैं।”

वे कहते हैं – ” इन गाँवों में न तो कोई उचित अग्निशमन तंत्र है, न ही कोई अस्पताल है जहां पीड़ितों का इमरजेंसी की हालत में इलाज किया जा सके। मुआवजा मिलता भी है तो काफी कम ।” इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी आग प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मदद करने के लिए पहुंचती है।

वहीं सुपौल में सरायगढ़ अनुमंडल के सर्कल अधिकारी पिंटू कुमार ने कहा कि आग से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान की जा रही है। उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “सरकार उन्हें मुआवजा भी देगी।”

पीड़ितों ने कहा, मुआवजा राशि काफी कम

नंदलाल एक दिहाड़ी मजदूर हैं और उनकी पत्नी किरण देवी लोगों के घरों में घरेलू सहायिका के तौर पर काम करती हैं। उन दोनों ने अपना घर और सारा सामान आग में खो दिया। 6 अप्रैल को पटना के शास्त्री नगर में आग से 80 झोपड़ियां जल कर राख हो गई थीं इनमें से एक झोपड़ी नंदलाल की भी थी।

किरण देवी ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैंने अपनी बेटी के दहेज के लिए कुछ चीजें इकट्ठी की थीं। वो सब आग में स्वाह हो गई।” उन्होंने कहा, “हमें सरकार से 9,800 रुपये का मुआवजा मिला है।”

अजय कुमार का घर भी आग में जल गया था। उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “आग एक घर में चूल्हे से लगनी शुरू हुई थी और जब तक दमकल की गाड़ियां आती तब तक 80 घरों तक आग फैल चुकी थी। वहां कुछ नहीं बचा था।”

शास्त्री नगर क्षेत्र में आग लगी के बाद घर बनाते पीड़ित। फोटो: राहुल कुमार गौरव

शास्त्री नगर क्षेत्र में आग लगी के बाद घर बनाते पीड़ित। फोटो: राहुल कुमार गौरव

उनके अनुसार, जिलाधिकारी के कार्यालय से उन्हें मुआवजा मिला था। अजय कुमार ने कहा, “ आग से प्रभावित हर परिवार को 10,000 रुपये तक की मदद दी गई थी। इसके अलावा उन्हें कुछ पॉलीथिन शीट और थोड़ा सा राशन भी दिया गया था।” वह आगे कहते हैं, “कुछ अधिकारियों ने जले हुए घरों के बारे में आंकड़े इकट्ठे किए थे, लेकिन अब 15 दिन हो गए हैं, कोई अपडेट नहीं आया है।”

आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, 2020 में आग से 28 लोगों की मौत हुई और 2021 में 54 लोगों की जान चली गई। वहीं 2022 में आग से संबंधित घटनाओं में मरने वालों की संख्या 83 थी।

आग लगने का दूसरा कारण

पिछले माह 28 मार्च को सुपौल के पिपरा प्रखंड के पात्रा उत्तर पंचायत के वार्ड एक व वार्ड दो में आग लगने से 100 घर जल कर राख हो गए। दोपहर तीन बजे बिजली के तार में आग लगने से यह नुकसान हुआ था।

अपने पड़ोसी फरीद के घर में लगी आग को बुझाने में मदद करने वाले मोहम्मद जाफर ने गाँव कनेक्शन को बताया, “आग इतनी भीषण थी कि हम मोहम्मद फरीद के घर के पास तक नहीं जा पा रहे थे।” दमकल करीब एक घंटे बाद आई और आग बुझाने में तीन घंटे लग गए। उन्होंने कहा, ” जिला प्रशासन और कई गैर सरकारी संगठन हमारी मदद के लिए आगे आए और हमें राहत सामग्री उपलब्ध कराई थी।”

सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पथरा उत्तर पंचायत स्थित दसियावही वार्ड नंबर एक आगलगी के बाद में जांच करते अधिकारी। फोटो: विष्णु 

सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पथरा उत्तर पंचायत स्थित दसियावही वार्ड नंबर एक आगलगी के बाद में जांच करते अधिकारी। फोटो: विष्णु 

सुपौल जिले के सहरसा में बिजली विभाग के साथ काम करने वाले शैलेश झा ने गाँव कनेक्शन को बताया, “इस तरह से लगने वाली आग के लिए बिजली की चोरी मुख्य कारणों में से एक है।” उन्होंने कहा, “विभाग के पास इस मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में ढीले लटके तारों को ठीक करने और मजबूत बनाने के आदेश हैं, क्योंकि इससे शॉर्ट सर्किट और बाद में खतरनाक आग में बदलने की संभावना बनी रहती है।”

गर्मियों का मतलब राज्य के जंगलों में लगने वाली आग भी है। पिछले कुछ साल से जंगल में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो साल 2019-20 में करीब 425.3 हेक्टेयर जंगल में आग लगी थी। तो वहीं 2020-21 में जंगल में लगी आग का क्षेत्र 572.4 हेक्टेयर था। 2021-22 में बढ़कर यह 665 हेक्टेयर हो गया।

सावधानी बरतना बेहतर

राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग, सूचना जनसंपर्क विभाग और कृषि विभाग लगातार लोगों को आग के प्रति सचेत कर रहे हैं।

आग से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने कुछ निर्देश जारी किए हैं।

– लकड़ी से जलने वाले चूल्हे पर खाना सुबह 9 बजे से पहले और शाम को 6 बजे के बाद पकाएं।

– खाना बनाने के बाद चूल्हे या अंगीठी में लगी आग को पूरी तरह से बुझा दें। यह ध्यान रखें की आग सुलगती न रहे।

– संभव हो तो रसोई की छत ऊंची होनी चाहिए। इसके अलावा ज्वलनशील उत्पादों को आग और बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए।

– हवन से जुड़ी पूजा-पाठ सुबह 9 बजे से पहले पूरी कर लेनी चाहिए।

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