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यूपी बिहार में ज़्यादा बारिश की ये है वजह

बारिश और बाढ़ से यूपी बिहार में भारी तबाही हुई है। धान की खड़ी फसल के डूबने से जहाँ किसान परेशान हैं वहीं, नेपाल में लगातार हो रही बारिश ने बिहार के किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है।

यूपी के लट्ठूडीह गाँव में 60 साल के दया शंकर सिंह दो दिन से अपने फोन पर टक टकी लगाए हैं।  इन्हें उस कॉल का इंतज़ार है जो उनकी बढ़ती फ़िक्र को खुशियों में बदल सकती है।

दयाशंकर का गाँव उत्तर प्रदेश के उसी गाज़ीपुर जिले में है जिसकी पहचान अब सेब और ड्रेगन फ्रूट से भी है। लेकिन भारी बारिश और सैलाब से तबाही की ख़बर से वे सहमें हुए हैं।  

“चार बीघा में धान बोया था, सब डूब गया है; मालूम नहीं कैसे इस नुक़सान से निकल सकेंगे? अब तो पानी कम होने का इंतज़ार है, “दया शंकर सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया।                      

बिहार के बक्सर और यूपी के बलिया के बीच बहने वाली गंगा नदी में आई बाढ़ से कई गाँव और खेतों में पानी घुस गया है। इन्ही खेतों में एक खेत दयाशंकर का भी है। बारिश से खेत ही नहीं वहाँ तक पहुँचने के रास्ते भी बाढ़ की भेंट चढ़ गए हैं। पड़ोस के गाँव से किसी ने खेत के हालात की जानकारी देने की बात तो कही, लेकिन दो दिन गुजर जाने के बाद भी दया शंकर को कोई ख़बर नहीं मिल सकी है।

बरसात और तेज़ हवाओं के चलते फसल खेतों में गिर जाने से पानी में डूब गई। सबसे ज़्यादा नुक़सान उन किसानों को हुआ है जिन्होंने कर्ज लेकर खाद, बीज या सिंचाई करवाई थी।    

इस बार मानसून की बरसात ने पूर्वी यूपी में बरसों बाद बारिश के मौसम का एहसास कराया है। अगर असम और बिहार के कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो पिछले कुछ साल में बरसात से तबाही की ख़बर कम ही सुनने को मिली। दिल्ली,यूपी या मध्य प्रदेश गुजरात जैसे राज्यों में सामान्य से काफी अधिक बारिश की सुर्खियाँ कम सुनने पढ़ने को मिली। लेकिन इस साल हालात जुदा है।

इन जिलों में हुआ है सबसे अधिक नुकसान

बरसात की मार से सबसे अधिक नुक़सान यूपी और बिहार के उन जिलों में हुआ है जो नदी किनारे हैं। यूपी में गाज़ीपुर, बाराबंकी, फतेहपुर बलिया, वाराणसी में बारिश थमने के बाद भी कई इलाके डूबे हुए हैं।

बलिया में तमसा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे के कई गाँव में पानी भरा है।      

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में ज़्यादातर नदियाँ उफान पर हैं। 16 जिलों में हालात बाढ़ से बदतर होते जा रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए NDRF की 12 और SDRF की 22 टीमें तैनात की गई हैं।

बिहार में गंडक, बागमती, धारधा, गंगा, बूढ़ी, कोसी, अधवार, कमला बलान, कमला, महानंदा, परमान और फुल्हर नदी में पानी खतरे के निशान से ऊपर चला गया है।

कुछ दिनों से बिहार के कई जिलों में भारी बारिश हो रही है। 29 सितंबर को राज्य में सामान्य से 205 प्रतिशत ज़्यादा बारिश हुई है। दरभंगा, सीतामढ़ी और पश्चिमी चंपारण में अधिक तबाही हुई है। गंडक नदी में पानी भरने से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व तक में बाढ़ आ गई है।

बारिश से नुक़सान की ये भी है वजह

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन की वजह से बिहार के लोगों को भी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। नेपाल में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिसकी वजह से कई नदियाँ उफान पर हैं। तेज़ बारिश के बीच जैसे ही नेपाल ने अपने बैराज के गेट खोले सारा पानी बिहार की ओर बह गया। आलम ये है कि बिहार के 12 जिले पूरी तरह से बाढ़ प्रभावित हैं। हालात को देखते हुए राहत बचाव काम तेज़ कर दिया गया है।  

नेपाल से पानी छोड़े जाने के चलते मुजफ्फरपुर के बागमती नदी में भी जल स्तर बढ़ गया है। हालात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीपा पुल तक को आवाजाही के लिए बंद करना पड़ा है। कोसी बैराज से पानी आने से दिक्क्त और बढ़ी है।  

आगे कैसा रहेगा बाकी राज्यों में बारिश का हाल  

मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि अगले पाँच से छह दिनों तक पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश हो सकती है।

अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में किसान भाई बहन सावधानी रखें तो बेहतर होगा। अगले एक सप्ताह के लिए उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत जैसे कि राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के लिए चेतावनी नहीं है।  

मौसम विभाग का कहना है कि यूपी में बारिश का सिलसिला 30 सितंबर तक जारी रह सकता है।  इस दौरान पूर्वी यूपी, पश्चिमी यूपी के कई जिलों में बारिश देखने को मिल सकती है।

गोरखपुर, आजमगढ़ के क्षेत्रों में अब भी रुक रुक कर बारिश जारी है। यहाँ तक की बारिश ने कानपुर में होने वाले भारत-बांग्लादेश मैच को भी प्रभावित किया है।    

मौसम वैज्ञानिकों ने 26 जिलों के लिए बारिश का अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में अयोध्या, सुल्तानपुर, अमेठी, कौशांबी, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, वाराणसी, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, संत कबीर नगर, गाजीपुर, जौनपुर, भदोही, चंदौली, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, बाराबंकी, रायबरेली, बहराइच और श्रावस्ती भी शामिल हैं।  

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