हिमालयन ग्रिफिन गिद्ध का 60 दिनों का सफर, पन्ना टाइगर रिजर्व से पहुंचा चीन

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से जीपीएस टैग किए गए हिमालयन ग्रिफिन गिद्ध 60 दिनों में चीन पहुंचे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व से निकले गिद्ध पटना, नेपाल में एवरेस्ट को पार करते हुए चीन पहुंचे हैं।
panna tiger reserve

पन्ना (मध्यप्रदेश)। मौसम के बदलाव के साथ प्रवासी पक्षियों का सफर भी शुरू हो जाता है, पन्ना टाइगर रिजर्व से निकला गिद्ध चीन पहुंच गया हैं।

गिद्धों के बारे में और जानने के लिए दो महीने पहले फरवरी महीने में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की मदद से पन्ना टाइगर रिजर्व में 25 गिद्धों की टैगिंग की गई थी। उन्हीं में से एक गिद्ध को चीन के तिब्बत में शिगेट शहर में लोकेट किया गया है।

मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व बाघों के साथ ही गिद्धों के लिए भी अनुकूल स्थान है। यहां पर गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की निवासी हैं, बाकी 3 प्रवासी हैं।

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की मदद से 25 गिद्धों को जीपीएस टैग लगाया गया था। टैग किए गए गिद्धों में 13 इंडियन वल्चर, 2 रेड हेडेड वल्चर, 8 हिमालयन ग्रिफिन और 2 यूरेशियन ग्रिफिन वल्चर हैं। गिद्धों को टैग करने का मुख्य उद्देश्य उनके सफर और निवास के संबंध में अधिक जानकारी इकट्ठा करना है।

फरवरी महीने में 25 गिद्धों की जीपीए टैगिंग की गई थी।

पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया, “टैगिंग के बाद जो जानकारी निरंतर मिल रही है, वह बहुत ही रोचक और गिद्धों के प्रबंधन में काफी अहम है।”

लोकेट किए गए गिद्ध पन्ना टाइगर रिजर्व से पटना, नेपाल के सागरमथा राष्ट्रीय उद्यान के एवरेस्ट से होते हुए Shigatse City की यात्रा की है। इन्होंने यह यात्रा लगभग 60 दिनों में 7 हजार 5 सौ किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके की है।

क्षेत्र संचालक ने बताया, “हाल ही में दो हिमालयन ग्रिफिन गिद्धों की यात्रा के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई है, जिससे गिद्धों से संबंधित कई सारे राज़ से पर्दा उठने का अनुमान है।

“HG_ 8673 जीपीएस टैग की प्राप्त जानकारी से पता चला है कि एक हिमालयन ग्रिफिन पन्ना टाइगर रिजर्व से अपना प्रवास समाप्त कर चीन के तिब्बत क्षेत्र में Shigatse City के समीप पहुंच गए हैं, “उन्होंने आगे कहा।

इसी तरह एक और हिमालयन ग्रिफिन HG_8677 ने भी पन्ना टाइगर रिजर्व से अपनी वापसी यात्रा करते हुए नेपाल में प्रवेश कर लिया है, जो वर्तमानमें धोरपाटन हंटिंग रिजर्व नेपाल के समीप पहुंच गया है।

भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त वन अधिकारी आर. श्रीनिवास मूर्ति ने गिद्धों की यात्रा और निवास के अध्ययन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है, “यह वास्तविक इकोलॉजिकल रिसर्च है, जो मैं हमेशा से चाहता था”।

पन्ना में पाई जाती हैं गिद्धों की 7 प्रजातियां

मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिज़र्व राष्ट्रीय पशु बाघ के अलावा आसमान में ऊंची उड़ान भरने वाले गिद्धों का भी घर है। यहां पर गिद्धों की 7 प्रजातियां (हिमालियन ग्रिफान, यूरेशीयन ग्रिफान, सिनरस, भारतीय लम्बी चोंच वाला गिद्ध, सफेद पीठ वाला राज गिद्ध, रेड हेडेड वल्चर और इजीप्शियन गिद्ध) पाई जाती हैं, जिनमें 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की प्रजातियां हैं। जबकि शेष 3 प्रजातियां प्रवासी हैं।

गिद्धों के प्रवास मार्ग हमेशा से ही वन्य जीव प्रेमियों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। गिद्ध न केवल एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश बल्कि एक देश से दूसरे देश में मौसम अनुकूलता के हिसाब से प्रवास करते हैं।

गिद्धों पर मंडरा रहा विलुप्त होने का खतरा

आसमान में सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले पक्षी गिद्धों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। प्रकृति के सबसे बेहतरीन इन सफाई कर्मियों की जहां भी मौजूदगी होती है वहां का पारिस्थितिकी तंत्र स्वच्छ व स्वस्थ रहता है।

लेकिन प्रकृति और मानवता की सेवा में जुटे रहने वाले इन विशालकाय पक्षियों का वजूद मानवीय गलतियों के कारण संकट में है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के विश्लेषण के अनुसार गिद्धों के निवास स्थलों के उजड़ने और मवेशियों के लिए दर्द निवारक दवा डाइक्लोफिनेक का उपयोग करने से गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार रिजर्व में साल 2020-21 में 722 गिद्ध रिकॉर्ड किए गए थे। जबकि पूरे जिले में 1,774 गिद्ध पाए गए और पूरे मध्य प्रदेश में 9,408 गिद्ध पाए गए। 

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