कादोडीह (पश्चिमी सिंहभूम), झारखंड
झारखंड के घने जंगलों के कादोडीह गाँव में रहने वाले 35 आदिवासी परिवार आख़िरकार राहत की साँस ले सकते हैं। गाँव के लोगों को जल्द ही सरकार की तरफ से सुरक्षित पेयजल आपूर्ति मिलने की उम्मीद है और अब उन्हें पानी के लिए दो से तीन फीट गहरे खोदे गए गड्ढों ‘चुआ’ के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
ज़िला प्रशासन वनग्राम में गहरा कुआँ खोदने और सौर ऊर्जा आधारित जल पंप की मदद से पानी आपूर्ति करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। शुरुआत में ऐसी योजना गाँव के उस प्राथमिक विद्यालय के लिए लागू की जाएगी जहाँ 21 छात्र पढ़ते हैं।
इस महीने की शुरुआत में, 13 जून को, गाँव कनेक्शन ने कादोडीह गाँव पर एक ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे गाँव के लोग अपनी पानी की सभी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए चुआ पर निर्भर हैं, और यहाँ तक कि गाँव के नव प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे भी चुआ का ही पानी इस्तेमाल करते हैं। स्कूल में उनका मिड डे मील भी उसी पानी से पकाया जाता है । यह गाँव झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में पट्टा भूमि (वन अधिकार अधिनियम के तहत वन भूखंड पर सशर्त कानूनी अधिकार) पर स्थित है, और यहाँ पक्की सड़क भी नहीं है।
गाँव कनेक्शन की रिपोर्ट के तुरंत बाद, पश्चिमी सिंहभूम में नोवामुंडी ब्लॉक प्रशासन हरकत में आ गया। सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) के अधिकारियों ने गाँव के निवासियों, विशेषकर नव प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए 15 जून को गाँव का दौरा किया, जो वर्तमान में लगभग 100 से 200 मीटर की दूरी पर स्थित चुआ पर निर्भर हैं।
15 जून को नोवामुंडी ब्लॉक में पीएचईडी के जूनियर इंजीनियर कामदेव ओराँव ने मामले की जाँच के लिए राज्य की राजधानी राँची से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित कादोडीह का दौरा किया। उन्होंने स्वीकार किया कि चुआ पीने के पानी के लिए बेहद असुरक्षित स्रोत है।
जूनियर इंजीनियर ने गाँव कनेक्शन को बताया कि पीएचईडी ने पहले कादोडीह में एक गहरी बोरिंग सुविधा स्थापित करने और वनग्राम में सौर ऊर्जा आधारित सुविधा स्थापित करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था। “लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका क्योंकि वनग्राम तक कोई सड़क ही नहीं है। ठेकेदारों ने कहा कि यहाँ काम नहीं हो पाएगा, क्योंकि यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क ही नहीं है, ” जूनियर इंजीनियर ओरांव ने आगे कहा।
उन्होंने कहा कि सड़क की समस्या को ध्यान में रखते हुए, पीएचईडी ने ग्रामीणों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक वैकल्पिक विधि की योजना बनाई है। “हम चुआ स्थल पर मैन्युअल रूप से एक बड़ा कुआँ खोदेंगे। सौर ऊर्जा आधारित जल पंप की मदद से हम कुएँ के पानी को स्कूल परिसर में एक टैंक तक ले जाएँगे। शुरुआत में स्कूली छात्रों को 2,000 लीटर की क्षमता वाले टैंक से जुड़े नल के माध्यम से सुरक्षित पानी उपलब्ध कराया जाएगा,” ओराँव ने बताया।
उन्होंने कहा, “स्कूल परिसर में सफल परिणाम मिलने के बाद, हम गाँव के बाकी घरों में भी नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए इसी सिस्टम को लागू करेंगे।”
ओराँव ने बताया कि पीएचईडी इस संबंध में एक प्रस्ताव उपायुक्त अनन्य मित्तल को भेजेगा। अनुमति मिलने के बाद विभाग कादोडीह के लोगों को सुरक्षित पेयजल आपूर्ति के अपने मिशन पर काम शुरू कर देगा।
आदिवासी परिवारों के लिए राहत के लिए ख़बर है। कोदोडी के अमृत भुईया ने कहा कि गाँव कनेक्शन द्वारा उनकी जल संकट पर स्टोरी प्रकाशित करने के बाद हमें उम्मीद है कि जल्द ही हमें सुरक्षित पेयजल मिलेगा।”
“कई वर्षों तक प्रशासनिक अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों से बार-बार अनुरोध करने के बावज़ूद, हमें सुरक्षित पेयजल नहीं मिल सका। हम सारी उम्मीद खो चुके थे और सोच रहे थे कि हमें और हमारे बच्चों को चुआ का पानी ही पीना पड़ेगा। लेकिन गाँव कनेक्शन द्वारा हमारे संघर्षों पर एक कहानी प्रकाशित करने के बाद, हमें उम्मीद नज़र आयी है, “अमृत भुईया ने आगे कहा।
नव प्राथमिक विद्यालय की रसोइया शांति ने गाँव कनेक्शन को बताया कि गाँव के स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के माता-पिता इस बात से खुश थे कि जल्द ही उनके बच्चों को पानी पीने के लिए चुआ नहीं जाना पड़ेगा। शांति, जिनके दो बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते हैं, ने कहा कि उन्हें राहत मिली है कि उन्हें अब मिड डे मील चुआ के पानी से नहीं बनाना पड़ेगा।
नोवामुंडी एक से पश्चिमी सिंहभूम जिला परिषद की सदस्य देवकी कुमारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कादोडीह और बड़ी संख्या में ऐसे पट्टा आधारित वनग्राम (सारंडा में राजस्व और वनग्रामों के अलावा) अभी भी पीने के पानी के लिए चुआओं पर निर्भर हैं।
“मैं पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त से विभाग के प्रस्ताव को तुरंत मंजूरी देने का अनुरोध करूंगी। ऐसे सभी ग्रामीणों को सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए प्रस्ताव को सारंडा के अन्य हिस्सों में भी लागू किया जाना चाहिए, ”देवकी ने कहा।
इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता और मनोहरपुर उपमंडलीय वन अधिकार कल्याण समिति के पूर्व सदस्य सोनू सिरका ने कहा कि वे ग्रामीण विकास विभाग से कादोडीह तक पहुँचने के लिए सड़क निर्माण और टीन-शेड स्कूल भवन के पुनर्निर्माण के लिए अनुरोध करेंगे।