हल्दिया (पश्चिम बंगाल)। 25 वर्षीय मोहन महतो हल्दिया के इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) रिफाइनरी में लगभग छह घंटे काम करने के बाद पास के भोजनालय में दाल भात खाने जा रहे थे लेकिन एक जोरदार धमाके ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। विस्फोट के बाद खामोशी थी।
क्षण भर बाद महतो विस्फ़ोट से हैरान रिफाइनरी की ओर मुड़े और देखा कि उनके घायल साथी रिफाइनरी परिसर से बाहर भाग रहे हैं।
“मैं उस स्थान से लगभग 100 मीटर दूर था जहां विस्फोट हुआ था। मैंने मजदूरों को उस ऊंचे चबूतरे से कूदते देखा जहां वे काम करते थे… शरीर के अंग इधर-उधर बिखरे हुए थे। यह भयानक था और इसे शब्दों में बताया नहीं किया जा सकता है, “महतो ने गांव कनेक्शन को बताया। वह रिफाइनरी में ठेका मजदूर के रूप में काम करते हैं और झारखंड का रहने वाले हैं। जहां 21 दिसंबर को दोपहर 2:50 बजे विस्फोट हुआ था।
आईओसी तेल रिफाइनरी में विस्फोट में कम से कम तीन प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई है, जबकि 44 अन्य का इलाज चल रहा है।
तीनों मृतकों की पहचान परगट सिंह (39 वर्ष), सरबजीत सिंह (29 वर्ष) के रूप में हुई है – दोनों पंजाब से हैं जबकि शमशाद अली (35वर्ष ) बिहार से आए थे।
रिफाइनरी पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के औद्योगिक शहर हल्दिया में स्थित है, जो राज्य की राजधानी कोलकाता से लगभग 120 किलोमीटर दूर है।
जानकारी के अनुसार रिफाइनरी में ‘शटडाउन रिलेटेड वर्क्स’ के दौरान मोटर स्पिरिट क्वालिटी (एमएसक्यू) यूनिट में विस्फोट हुआ। यूनिट को रखरखाव के लिए 1 दिसंबर को बंद कर दिया गया था और 21 दिसंबर को उसे फिर से चलाया जा रहा था, जब विस्फोट हुआ।
“घटना के समय MSQ में 100 से अधिक कर्मचारी थे और उनमें से अधिकांश बिहार, झारखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश राज्यों के संविदा कर्मचारी थे जो रखरखाव के काम के लिए आए थे और उन्हें यहां लगभग 45 दिन काम करना था।” मोहन महतो ने गांव कनेक्शन को बताया।
इन ठेका मजदूरों को बिना किसी वैधानिक लाभ के प्रतिदिन 450-500 रुपये का भुगतान किया जाता है।
परिजन घायल मजदूरों की स्थिति से बेखबर
एक घायल मजदूर की चालीस वर्षीय पत्नी रेबोटी बागधरा को जब से रिफाइनरी में हुए हादसे की जानकारी मिली है, वह गहरे सदमे में है। जब से उसे पता चला कि विस्फोट में उसका पति झुलस गया है, तब से वह कई बार बेहोश हो चुकी हैं।
हल्दिया के ब्रजलाल चक गांव निवासी उनका पति मानस धारा (45 वर्ष) रिफाइनरी के अंदर अन्य मजदूरों के साथ काम कर रहा था, तभी विस्फोट हो गया। वह बस इतना जानती है कि घायलों को कोलकाता के कई निजी अस्पतालों में ले जाया गया है, जहां उनमें से 16 की हालत गंभीर बताई जा रही है।
मानस परिवार का एकमात्र कमाने वाले हैं जिसमें उनकी पत्नी, उनकी नाबालिग बेटी, एक बहन और बूढ़े माता-पिता शामिल हैं।
“मैं अपने घर के कामों में व्यस्त था जब शाम के करीब चार बजे अचानक फोन आया। रिफाइनरी के एक कर्मचारी ने मुझे बताया कि एक विस्फोट में मेरे पति गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें कोलकाता रेफर किया जा रहा था। मेरे कुछ पूछने से पहले ही फोन करने वाले ने फोन काट दिया,” उसने बेहोश होने से पहले गांव कनेक्शन को बताया।
‘असल में मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा’
विस्फोट को देखने वाले श्रमिकों और उनके घायल साथियों ने गांव कनेक्शन को बताया कि वास्तविक मरने वालों की संख्या आधिकारिक रूप से बताई गई जानकारी से कहीं अधिक है। 16 मजदूरों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
बिहार के 48 वर्षीय ठेका मजदूर साधु सरन यादव ने कहा, “हमें संदेह है कि विस्फोट से कम से कम 15-20 लोग मारे गए हैं क्योंकि घटना के समय कई मजदूर काम कर रहे थे।” “हमने देखा कि दस कारों को रिफाइनरी से बाहर निकाला जा रहा था जो एम्बुलेंस के आने से पहले ही पूरी तरह से घायलों से भरी हुई थीं। अधिकारी असली आंकड़े छिपा रहे हैं।’
रिफाइरी विस्फोट- मुआवजे की मांग, सुरक्षा उपाय पर सवाल
विरोध कर रहे मजदूरों ने रिफाइनरी का काम बंद कर दिया और मृतक मजदूरों के परिवारों और घायलों को तत्काल मुआवजा देने की मांग की।
इंडियन नेशनल तृणमूल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के नेता एसके हनीफ ने गांव कनेक्शन को बताया, “हम गंभीर रूप से घायलों को तत्काल दस लाख रुपए (1,000,000 रुपए) और मृतकों के परिवारों के लिए पच्चीस लाख रुपए (2,500,000 रुपए) की मांग करते हैं।”
मजदूर नेता एसके नूर हुसैन ने बताया कि आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे और दमकल की गाड़ियां भी देरी से पहुंचीं जिससे स्थिति और भी खराब हो गई और अधिक लोग हताहत हुए।
“भीषण आग पर काबू पाने और बचाव कार्य शुरू करने में समय लगा। प्रबंधन को ऐसे खतरनाक स्थलों पर दमकल और एम्बुलेंस की उपस्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। लेकिन उनकी अनुपस्थिति अधिकारियों की ओर से केवल लापरवाही है,” उन्होंने आगे कहा।
दुर्घटना पर अब तक की आधिकारिक प्रतिक्रिया
पता चला है कि घटना की जांच के लिए कल 22 दिसंबर को दिल्ली से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) की एक उच्च स्तरीय टीम नई दिल्ली से पहुंची थी। सूत्रों ने गांव कनेक्शन को बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अत्यधिक ज्वलनशील नाप्था गैस पाइपलाइन में रिसाव के कारण विस्फोट और आग लग सकती है।
इसके अलावा राज्य के सिंचाई और जलमार्ग मंत्री सोमेन महापात्रा और तृणमूल ट्रेड यूनियन नेता तापस मैती के नेतृत्व में एक दल हल्दिया में आईओसी के कॉर्पोरेट कार्यालय गया और मुआवजे और सुरक्षा उपायों पर अपने अधिकारियों के साथ बैठक की।
संपर्क करने पर रिफाइनरी के वरिष्ठ अधिकारियों ने मीडियाकर्मियों से बात करने से इनकार कर दिया और रिफाइनरी परिसर के अंदर उनके प्रवेश की अनुमति नहीं दी। प्रबंधन ने अभी तक मृतकों और घायलों के लिए कोई मुआवजा घोषित नहीं किया है।