डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया सभी प्रदेशों के वन विभागों और अन्य संस्थाओं को पोस्टर बांट कर इन प्रजातियों के प्रति जन-जन को जागरूक करने और इनके संरक्षण के प्रयास में तेजी लाने की मांग की जाएगी। पूरे देश में जमीनी स्तर पर प्रसार के लिए पोस्टर हिंदी, मराठी, गुजराती, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, बांग्ला और असमिया में प्रकाशित किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस के अवसर पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने गिद्धों की प्रत्येक प्रजाति के संरक्षण की जानकारी के साथ भारत में गिद्धों की विभिन्न प्रजातियों पर एक पोस्टर जारी किया है। गिद्धों के रंगरूप और प्रकृति की आहार श्रृंखला में उनके तौर-तरीकों के चलते उन्हें अक्सर दानव के रूप में देखा जाता है। यह भ्रम मृत पशुओं की सड़न से पनपने वाली बीमारियों को फैलने से रोकते हुए हमारे पर्यावरण की साफ-सफाई करने वाले इस जीव के महत्व को नजरअंदाज करता है।
गिद्धों के प्रति लोगों की जानकारी को बेहतर बनाने के लिए, हमारे देश में पाए जाने वाले गिद्धों की नौ प्रजातियों पर प्रकाश डालते हुए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने ब्रिंग बैक दि वल्चर पोस्टर का प्रकाशन किया है। गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट आई है और देश में उनका संरक्षण जरूरी है। सरकार और कई संरक्षण संगठनों ने नियंत्रित परिवेशों में कुछ प्रजातियों की सुरक्षा, पशुओं के उपचार में डाइक्लोफेनक सोडियम के उपयोग पर प्रतिबंध और वनों में गिद्धों की संख्या की निगरानी जैसे कुछ कदम उठाए हैं।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के सेक्रेटरी-जेनरल और सीईओ रवि सिंह ने पोस्टर जारी करते हुए कहा, ”भारत में गिद्धों की प्रजातियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने से उनके संरक्षण के कार्य में सहायता मिलेगी। देश में गिद्धों की संख्या को बचाने और बढ़ाने के कुछ प्रयास जारी हैं। हमें आशा है कि इन जैसे कुछ प्रयासों से गिद्धों की संख्या में वृद्धि होगी और वे पारितंत्र की सेवाओं में अपना व्यापक योगदान जारी रखेंगे।”
इस पोस्टर में ह्वाइट-रंप्ड वल्चर (चमर गिद्ध), इंडियन लॉङ्ग-बिल्ड वल्चर (लंबी चोंच वाला भारातीय गिद्ध), स्लेंडर-बिल्ड वल्चर (पतली चोंच वाला गिद्ध), रेड-हेडेड वल्चर (लाल सिर वाला गिद्ध/राज गिद्ध), इजिप्शन वल्चर (सफेद गिद्ध), सिनिअरिअस वल्चर (काला/धूसर गिद्ध), बिअर्डिड वल्चर (दाढ़ी वाला गिद्ध), हिमालयन ग्रिफन (हिमालयी ग्रिफिन) और यूरेशियन ग्रिफन (यूरेशियाई ग्रिफिन) की प्रत्येक प्रजाति के चित्र और जानकारी के अतिरिक्त उनके संरक्षण की स्थिति शामिल है।
संकट से घिरे इन पक्षियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए, इन महत्वपूर्ण प्रजातियों की रक्षा के मद्देनजर बताया गया है कि हमारे पारितंत्र की सहायता वे किस प्रकार करते हैं, उनकी कमी से क्या होता है और उनकी संख्या में बढ़ती गिरावट को रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं। पोस्टर में पाठकों को गिद्धों के महत्व के साथ-साथ इस बात की जानकारी मिलेगी कि उनकी रक्षा का प्रयास हम किस प्रकार कर सकते हैं। देश भर में जमीनी स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए इन पोस्टरों का प्रकाशन हिंदी, मराठी, गुजराती, मलयालम, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, बांग्ला और असमिया में भी किया जाएगा।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम के निदेशक डॉ. दिवाकर शर्मा ने कहा, ”शिकारी जीव-जंतुओं के संरक्षण की दिशा में एक और कदम बढ़ाने के लिए, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने पिछले सितंबर माह में नागरिक विज्ञान के जरिए गिद्धों की गिनती का एक माह का कार्यक्रम शुरू किया और इस वर्ष सितंबर में इसका आयोजन फिर किया जा रहा है। इसका लक्ष्य गिद्धों की संख्या की निगरानी के लिए गिद्धों की पहचान कर प्राप्त जानकारी को ईबर्ड इंडिया पर दर्ज करने के कार्य में पक्षी प्रेमियों को शामिल करना और प्रशिक्षण देना है।”
”शिकारी जीव-जंतुओं के संरक्षण की दिशा में एक और कदम बढ़ाने के लिए, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने पिछले सितंबर माह में नागरिक विज्ञान के जरिए गिद्धों की गिनती का एक माह का कार्यक्रम शुरू किया और इस वर्ष सितंबर में इसका आयोजन फिर किया जा रहा है। इसका लक्ष्य गिद्धों की संख्या की निगरानी के लिए गिद्धों की पहचान कर प्राप्त जानकारी को ईबर्ड इंडिया पर दर्ज करने के कार्य में पक्षी प्रेमियों को शामिल करना और प्रशिक्षण देना है, ”डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम के निदेशक डॉ. दिवाकर शर्मा ने आगे कहा।