संयुक्त किसान मोर्चा ने वर्तमान मौसम की स्थिति और फसल के मौसम के कारण 26 अक्टूबर को होने वाली लखनऊ किसान महापंचायत को 22 नवंबर 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया है। साथ ही अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और गिरफ्तारी की मांग के लिए 26 अक्टूबर को पूरे भारत में विरोध धरने का आह्वान किया है, यह विरोध आंदोलन के11 महीने पूरे होने पर किया जा रहा है।
सिंघू मोर्चा पर आज एसकेएम की बैठक हुई। इस बैठक में एसकेएम ने एक बार फिर सिंघू मोर्चा पर हुई 15 अक्टूबर 2021 की हिंसक घटनाओं पर कहा है कि देश के सामने अब तक जो सबूत और रिपोर्ट सामने आए हैं, उससे साफ है कि यह घटना यूं ही नहीं हुई थी – बल्कि इसके पीछे किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसे हिंसा में फंसाने की साजिश है। एसकेएम की मांग है कि केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश चौधरी, जिन्हें तस्वीरों में निहंग सिख नेता से मिलते दिखाया गया था, जिनका समूह नृशंस हत्या में शामिल है, को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। किसानों को फंसाने और बदनाम करने की साजिश की जांच के लिए, एसकेएम ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा जांच की जानी चाहिए।
एसकेएम पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इस घटना में शामिल निहंग सिखों से मोर्चा का कोई लेना-देना नहीं है। एसकेएम स्पष्ट करना चाहता है कि सिंघू मोर्चा या किसी अन्य मोर्चा में इस हत्याकांड में आरोपी समूहों और समुदायों के लिए कोई जगह नहीं है। यह किसान आंदोलन है न कि धार्मिक आंदोलन।
लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद, एसकेएम ने इस घटना में न्याय सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रमों की घोषणा की है। पहले घोषणा की गई कि 26 अक्टूबर को लखनऊ में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। आज, एसकेएम ने समय और फसल के मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस महापंचायत को 22 नवंबर तक के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कार्रवाई के लिए एक नए आह्वान में, अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने और दिल्ली बॉर्डर पर 11 महीने के विरोध प्रदर्शन को चिह्नित करने के लिए, 26 अक्टूबर को पूरे देश में विरोध धरने का आह्वान किया।
पंजाब के 32 किसान संगठनों की कल सिंघू मोर्चा पर बैठक हुई। घटना की तथ्यान्वेषी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया। बैठक में पंजाब के किसानों से आह्वान किया गया कि वे सरकार की चल रही साजिशों को नाकाम करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच कर मोर्चों को मजबूत करें।
बैठक में पंजाब के माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्रों में 24 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी नरसंहार के शहीदों की अस्थियों को किरतपुर साहिब, गोइंदवाल साहिब और हुसैनीवाला में विसर्जित करने के लिए ‘कलश यात्रा’ निकालने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में किसानों से धान और गन्ने की खरीद, उर्वरकों की कालाबाजारी खत्म करने और उसकी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का मुद्दा उठाया गया।
मंत्री अजय मिश्रा टेनी के काफिले में मारे गए शहीद-किसानों की अस्थियों को लेकर लखीमपुर से शुरू हुई शहीद कलश यात्रा भारत के कई राज्यों में जारी है। यूपी में, यात्रा पश्चिमी यूपी के कई जिलों जैसे मुजफ्फरनगर और मेरठ से होकर गुजरी। यात्रा सिवाया टोल प्लाजा से होकर गुजरी। मुजफ्फरनगर में तीर्थनगरी शुक्रताल में अस्थियों का सम्मानपूर्वक विसर्जन किया गया। प्रयागराज में अस्थियों को पवित्र गंगा नदी में विसर्जित किया गया। ऐसी यात्राएँ हरियाणा के जिलों से होकर भी गुजरीं – भिवानी में हर जगह भारी भीड़ यात्रा में शामिल हुई। करनाल में कई गांवों से यात्रा करने के बाद अस्थियां पश्चिमी यमुना नहर में विसर्जित की गईं। महाराष्ट्र में यात्रा नासिक पहुंची, जहां आज अस्थियों को राम कुंड में विसर्जित कर दिया गया। इस यात्रा ने महाराष्ट्र के 15 जिलों का भ्रमण किया। एक यात्रा उत्तराखंड से होते हुए अस्थि कलश को भी ले जा रही है जो डोईवाला टोल प्लाजा तक पहुंच गई।
शहीद किसान कलश यात्रा यूपी
रायबरेली के शहीद स्मारक से शुरु हुई कलश यात्रा डलमऊ पहुंच गई है। यहां गंगा जल में शहीद किसानों की अस्थियों को विसर्जित किया जाएगा।
जय किसान आंदोलन के नेता अर्चना जी, @bachneshpalPal जी ने श्रद्धांजलि अर्पित की।#FarmersProtest pic.twitter.com/y4ASftrstQ
— Jai Kisan Andolan (@_JaiKisan) October 21, 2021
वहीं आज दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों से सड़कें खाली कराने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के वकीलों से कहा, सड़कें साफ होनी चाहिए। हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते। आपको (किसान) आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में किसान संगठनों से जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने साफ किया कि जब संगठनों का जवाब आएगा तो तय करेंगे कि आगे आदेश जारी करें या फिर मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ें।
Bench: Mr Dave submits that preventing them from going to Ramleela Maidan is causing the problem. #SupremeCourt #FarmersProtest
— Live Law (@LiveLawIndia) October 21, 2021
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान 300 से ज्यादा दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं। सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर समेत कई शाहजहांपुर समेत कई नाकों पर किसान डेरा डाले हुए हैं। इस दौरान कई बार किसानों द्वारा सड़कों पर आंदोलन के चलते राहगीरों और स्थानीय लोगों की परेशानी का मुद्दा उठा है। इस संबंध में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी।
दिल्ली की सड़कों को खोलने की मांग संबंधी याचिका पर 4 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 43 किसान नेताओं या संगठनों (Farm unions) को नोटिस जारी किया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस एसके कौल ने कहा कि नोटिस के जवाब में 2 ही संगठन यहां पहुंचे हैं। हम आपके विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं। लेकिन सड़क बंद करना सही नहीं है। जिसके जवाब में किसान संगठन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा, “सड़क को पुलिस ने बंद किया है। हमने नहीं। बीजेपी को रामलीला मैदान में रैली करने दी, हमें भी आने दीजिए।
इस बीच, कई राज्यों में धान किसानों द्वारा खरीद में कमी को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। यह मामला राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी है, जहां किसान धान को यूपी से हरियाणा में प्रवेश करने से रोकने के राज्य सरकार के आदेश का विरोध कर रहे हैं। मौजूदा बाजार मूल्य सरकार द्वारा घोषित एमएसपी से काफी कम है।